Nirmal Bhatnagar

Dec 1, 20223 min

शून्य से शिखर की यात्रा…

Dec 01, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन में हर कोई बेहतर बन, सफल होना चाहता है और उसके लिए जी तोड़ प्रयत्न भी करता है। लेकिन इसके बाद भी उसे परिणाम मनमाफ़िक नहीं मिल पाते हैं। अगर आप आशा के विपरीत परिणाम पाने वाले लोगों के द्वारा किए गए कार्यों को गहराई से देखेंगे तो पाएँगे कि इनके असफल होने के पीछे कोई बहुत बड़ा कारण नहीं अपितु कोई बहुत ही छोटी सी चूक होती है।

जी हाँ साथियों, सफलता बड़े-बड़े कार्यों का नहीं अपितु उत्कृष्टता के साथ किए गए बहुत ही छोटे-छोटे कार्यों का परिणाम होती है। अपनी बात को मैं नब्बे के दशक की एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ। अंतराष्ट्रीय स्तर की एक बहुत ही बड़ी फ़ार्मा कम्पनी के कर्मचारियों की एक बैठक चल रही थी। इस बैठक में प्रोडक्शन एवं मेंटेनेंस डिपार्टमेंट से सम्बंधित सभी बड़े अधिकारी, मैनेजर और प्रमुख कर्मचारी भाग ले रहे थे। इस मीटिंग का मुख्य उद्देश्य बिना अपनी गुणवत्ता गिराए उत्पादन की लागत को कम कर, मुनाफ़ा बढ़ाना था।

चूँकि इस मीटिंग में मुख्य कार्यालय से आए डायरेक्टर भी मौजूद थे इसलिए सभी वरिष्ठ अधिकारी बढ़-चढ़कर एक से एक सुझाव दे रहे थे। उन्हें पता था कि ऐक्टिव्ली भाग लेना, अच्छे सुझाव देना मैनेजमेंट के सामने उनकी बेहतर छवि बनायेगा। अच्छी ख़ासी चलती मीटिंग के बीच में अचानक से एक टेक्नीशियन खड़ा हुआ और बोला, ‘माफ़ कीजिएगा, आप सभी वरिष्ठों द्वारा बताई जा रही कई बातें हम जैसे छोटे कर्मचारियों की समझ के बाहर हैं। जहाँ तक क़ीमत को कम करने का सवाल है तो मुझे लगता है केमिकल की पाइप लाइन में लगने वाले वाल्व, जिसे हम हर 6 माह में बदलते हैं, के किट को अगर बदला जाए तो उस वाल्व को हम 2 बार और उपयोग कर सकते हैं। पूरी फ़ैक्टरी में इस तरह के कई सौ वाल्व हैं, अगर सभी को इस तरह तीन बार प्रयोग में लाया गया तो हम प्रतिवर्ष कुछ करोड़ रुपए बचा सकते हैं।’

टेक्नीशियन के सुझाव में दम था लेकिन समस्या यह थी कि वाल्व का किट आएगा कहाँ से? इस प्रश्न का जवाब भी उसी टेक्नीशियन द्वारा दिया गया। उसने कहा, हम वाल्व के लिए दिए जाने वाले पर्चेस ऑर्डर में यह शर्त जोड़ देते हैं कि कम्पनी को हर वाल्व के साथ 2 किट और देना होंगी। अंततः उस टेक्नीशियन के सुझाव को कम्पनी प्रबंधन द्वारा स्वीकारा गया और साथ ही उस कर्मचारी का सम्मान मुंबई स्थित कम्पनी के मुख्य कार्यालय में वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा किया गया।

दोस्तों, पिछले बीस से ज़्यादा वर्षों से कम्पनी एक छोटे से बदलाव के कारण करोड़ों का मुनाफ़ा बना रही है। दोस्तों, अब तो आप भी मेरे पूर्व के कथन से पूरी तरह सहमत होंगे कि ‘असफलता के पीछे कोई बहुत बड़ा कारण नहीं अपितु छोटी सी चूक होती है और इसी तरह सफलता बड़े-बड़े नहीं बल्कि उत्कृष्टता से उठाए गए छोटे-छोटे कदमों का परिणाम होती है।’

यक़ीन मानिएगा दोस्तों, ‘असफलता से सफलता’ या ‘शून्य से शिखर की यात्रा’ का इससे आसान कोई और रास्ता ही नहीं है। अगर आप भी सफलता के शिखर पर पहुँचना चाहते हैं तो आज से ही बारीकी से अपनी दैनिक दिनचर्या, कार्य करने के तरीके, स्वभाव, बनाए गए लक्ष्य, व्यवहार, बोलचाल के तरीके, नज़रिए आदि को देखें और पहचानने का प्रयास करें कि स्वयं की उत्पादकता बढ़ाने या खुद को बेहतर बनाने के लिए उसमें कौन-कौन से छोटे बदलाव किए जा सकते हैं। जैसे ही आप आवश्यक बदलाव वाले क्षेत्रों को पहचान लें, उस पर कार्य करना शुरू कर दें। दूसरे शब्दों में कहूँ दोस्तों, तो तत्काल पहचानी गई अपनी ग़लतियों या चूकों को दूर करने के लिए छोटे-छोटे कदम उठाना शुरू कर दें।

-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

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