फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
अनिश्चितता भगाएँ, जीवन बनाएँ - भाग 1
Sep 10, 2021
अनिश्चितता भगाएँ, जीवन बनाएँ - भाग 1
अगर आप इस दुनिया में आए हैं तो एक दिन यहाँ से जाना भी है। दोस्तों ईश्वर ने सिर्फ़ यही एक चीज़ तय करके, हमें बता भी रखी है। इसके अलावा हमारे जीवन में क्या घटेगा और क्या नहीं, सब अनिश्चित है और इस अनिश्चय के बीच, दिन प्रतिदिन आने वाली चुनौतियों का सामना, अपना सर्वोत्तम देते हुए करना और हर हाल में खुश रहना ही मेरी नज़र में हमारे जीवन का एकमात्र असली लक्ष्य है।
वैसे दोस्तों अनिश्चितता ज़रूरी भी है। इसे मैं आपको एक उदाहरण से समझाता हूँ, मान लीजिए आप बड़े शौक़ से अपने पसंदीदा हीरो की कोई पिक्चर देखने गए। वहाँ टिकट लेते वक्त आपको कोई उस पिक्चर की पूरी कहानी सुना दे, तो क्या आप पिक्चर का असली मज़ा ले पाएँगे? शायद नहीं, ठीक उसी तरह दोस्तों अगर जीवन में आने वाले समय में कब क्या घटेगा, सब कुछ पहले से ही हमें मालूम हो तो शायद पिक्चर की ही तरह जीवन का आनंद खत्म हो जाएगा। इसीलिए मैंने कहा है, ‘अनिश्चितता जीवन के लिए आवश्यक है।’
अनिश्चितता के दौर में हमेशा हमारे पास दो मौके होते हैं। पहला, हम अपनी क्षमता और सामर्थ्य का उपयोग करते हुए विभिन्न परिस्थितियों के लिए योजना के साथ अथवा बिना योजना के अचानक सामने आयी परिस्थिति का भरपूर लाभ उठाएँ या फिर वास्तविक रूप में उसका आनंद लें। दूसरा, अनिर्णय की स्थिति में रहकर परिस्थितियों को कोसते रहें और जो बदला नहीं जा सकता है, उस पर समय, ऊर्जा और अपना अमूल्य जीवन आदि बर्बाद करते रहे। याद रखिएगा दोस्तों, अनिर्णय कि स्थिति में रहना भी एक निर्णय है।
दोनों मौक़ों में से आप किसे चुनेंगे यह निर्णय आपका है। लेकिन अगर आप मेरी तरह पहले मौके का चुनाव करना चाहते हैं तो आइए अगले तीन दिनों में हम अनिश्चितता के दौर से सर्वोत्तम फ़ायदा उठाने के 9 सूत्र सीखते हैं-
पहला सूत्र - सपने देखें, बहुत बड़े देखें
जीवन में बड़े सपने देखना निश्चित तौर पर फ़ायदेमंद हैं क्यूँकि लक्ष्य या सपने हमारे जीवन को दिशा देते हैं और जब आप लम्बे समय तक एक ही लक्ष्य को ज़हन में रखकर योजनाबद्ध तरीक़े से उसे पाने के लिए कार्य करते हैं तो कुछ हद तक आप स्वयं को जीवन की अनिश्चितता के लिए तैयार कर लेते हैं।
लक्ष्य बनाते समय सिर्फ़ एक बात का ध्यान रखें, यह वास्तविक लक्ष्य हो उधार लिया हुआ नहीं। इसके लिए अपने जीवन का खाका बनाएँ। सही खाका बनाने के लिए सर्वप्रथम स्वयं से प्रश्न करें कि आने वाले 10 वर्षों में आप शारीरिक एवं मानसिक स्वास्थ्य, रिश्ते, कैरियर, आर्थिक एवं व्यक्तिगत विकास को दृष्टिगत रखते हुए स्वयं को कहाँ अथवा किस रूप में देखना पसंद करेंगे? अपने विचारों को लिख लें और उसके बाद स्वयं से दूसरा प्रश्न करें कि उपरोक्त खाके के आधार पर आने वाले 1 वर्ष में आप उक्त क्षेत्रों में स्वयं को कहाँ देखते हैं? इस प्रश्न के जवाब को भी लिख लें। अब अपने आप से तीसरा और अंतिम प्रश्न करें, ‘दैनिक जीवन में किए जाने वाले कार्य मुझे अपने लक्ष्यों की ओर ले जा रहे हैं या नहीं’? अगर नहीं, तो ‘मुझे अपने दैनिक जीवन किए जाने वाले कार्यों में क्या परिवर्तन करना होगा’?
दूसरा सूत्र - अपने सपनों व खुद पर विश्वास रखें और आत्मविश्वास जगाएँ
कई बार बड़े लक्ष्य का पीछा करते वक्त मिलने वाली छोटी-मोटी असफलताएँ अथवा आशानुरूप परिणाम ना मिलना मन में संदेह या डर पैदा करता है। ऐसी परिस्थिति में अपने सपनों और खुद पर विश्वास बनाए रखना ना सिर्फ़ आपकी बल्कि आपके सहकर्मियों, प्रबंधकों आदि की भी प्रबंधन क्षमता एवं उत्पादकता को बढ़ा कर आपके व्यवहार को बेहतर बनाता है।
वैसे दोस्तों, आत्मविश्वासी होने के और भी कई फ़ायदे हैं। यह आपको अच्छा श्रोता बनने में मदद करता है, आप जीवन में घटने वाली घटनाओं को स्वीकारने लगते हैं, आपकी सीखने की क्षमता बढ़ जाती है, आप लोगों की मदद करने या लेने के लिए तैयार रहते हैं, यह जीवन के प्रति आपके दृष्टिकोण को सकारात्मक और मज़बूत बनाता है, इसकी वजह से आप हमेशा नई ज़िम्मेदारियों और चुनौतियों को स्वीकारने के लिए तैयार रहते हैं। इतना ही नहीं दोस्तों, आत्मविश्वास आपको हर परिस्थिति के अनुसार ढलने और सफल होने के लिए मूल्य आधारित, हर तरीक़ा आज़माने के लिए तैयार करता है।
आज के लिए इतना ही दोस्तों। कल हम अगले तीन सूत्रों के साथ फिर मिलेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर