फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
कौशल में कुशलता, बनाएगी विजेता


Oct 14, 2021
कौशल में कुशलता, बनाएगी विजेता !!!
राम और श्याम नाम के दो दोस्त थे। वैसे तो दोनों ही दोस्त जंगल से लकड़ी काटकर बाज़ार में बेचा करते थे और दोनों को ही अपने काम में महारत हासिल थी। लेकिन इसके बाद भी श्याम किसी ना किसी तरह से राम को नीचा दिखाने का या खुद को राम से श्रेष्ठ सिद्ध करने की कोशिश किया करता था। एक दिन इसी कोशिश में श्याम ने राम को चुनौती देते हुए कहा कि एक दिन में जो ज़्यादा पेड़ काटेगा वही हम दोनों में श्रेष्ठ माना जाएगा।
तय दिन, तय समय पर दोनों ही दोस्त जंगल में पहुँच गए, अपनी-अपनी पोजिशन ली और पेड़ काटना शुरू कर दिया। एक घंटे बाद श्याम को जैसे ही पता चला कि राम ने पेड़ काटना बंद कर दिया है, वह खुश हो गया। उसे लगा उसे राम से बढ़त लेने का मौक़ा मिल गया है, वह और ज़्यादा शिद्दत के साथ पेड़ काटने में लग गया।
अभी 15 मिनिट ही बीते होंगे कि श्याम को वापस पता चला कि राम ने वापस पेड़ काटना शुरू कर दिया है। श्याम ने एक बार फिर खुद को बूस्ट करा और अपनी लय बरकरार रखते हुए पेड़ काटता रहा। अभी लगभग एक घंटा ही और बिता होगा कि श्याम को वापस पता चला कि राम ने वापस लकड़ी काटना बंद कर दिया है। श्याम को पहली बार एहसास हुआ कि शायद अब उसकी जीत निश्चित है। पर उसने किसी भी तरह की रिस्क लेने की बजाय अपनी लय बरकरार रखने अर्थात् उसी गति से लकड़ी काटते रहने का निर्णय लिया।
यह सिलसिला पूरे दिन इसी तरह चलता रहा, हर घंटे राम 10 मिनिट का ब्रेक लेता था और श्याम बिना रुके, बिना थके लकड़ी काटता रहा। समय समाप्त होने पर श्याम बहुत खुश था क्यूंकि उसे पूरा यक़ीन था कि आज की प्रतियोगिता का विजेता वही रहेगा क्यूँकि उसने पूरे समय बिना रुके, बिना थके, बिना गति कम किए हुए पूरे समय पेड़ काटा था। पर उसकी ख़ुशी ज़्यादा देर नहीं चली क्यूंकि थोड़ी देर बाद जब परिणाम आया तो पता चला कि राम ने श्याम से लगभग 25% ज़्यादा लकड़ी काटी थी और वही विजेता था। श्याम को समझ ही नहीं आ रहा था गलती कहाँ हो गई, आख़िर वह आज हार क्यों गया ?
आपको ऐसा नहीं लगता दोस्तों, कि श्याम की ही तरह हमारे जीवन में भी कई बार ऐसा ही होता है। हम अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं लेकिन उसके बाद भी हमारे प्रतियोगी के मुक़ाबले हमें वैसा परिणाम नहीं मिल पाता जिसकी अपेक्षा हम रखते हैं। ना मेहनत में कमी रहती है, ना ही इरादे में लेकिन उसके बाद भी कहाँ चूक हो जाती है पता ही नहीं चलता। लेकिन अब चिंता करने की बिलकुल भी ज़रूरत नहीं है दोस्तों, आज हम इस समस्या समाधान राम और श्याम की कहानी से ही खोजते हैं।
श्याम काफ़ी देर तक तो विचार करता रहा लेकिन जब वह राम के जीतने की वजह समझ नहीं पाया तो उसने राम से ही उसकी सफलता का राज पूछने का निर्णय लिया और बोला, ‘राम, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ कि तुम जीत कैसे गए? मैंने तो यह सुना था कि पेड़ काटते वक्त तुम हर एक घंटे में 15 मिनिट के लिए काम बंद कर रहे थे। जब तुमने मेरे मुक़ाबले कम काम करा, कम मेहनत करी, कम समय लगाया, उसके बाद भी तुम्हें ज़्यादा पेड़ काटने में सफलता कैसे मिली? यह तो नामुमकिन है। राम मुस्कुराया और बोला, ‘मित्र श्याम, यह बहुत आसान था। तुम जो कह रहे हो कि मैंने हर 1 घंटे बाद 15 मिनिट का ब्रेक लिया, बिलकुल सही है। लेकिन इस पंद्रह मिनिट में मैंने काम नहीं किया होगा, तुम्हारा यह अंदाज़ा ग़लत है।’ श्याम बोला, ‘मैं समझ नहीं पाया मित्र।’ राम उसी मुस्कुराहट के साथ बोला, ‘श्याम उस पंद्रह मिनिट में मैंने हर बार अपनी कुल्हाड़ी की धार तेज़ करी। जबकि तुम बिना धार वाली कुल्हाड़ी से ही पेड़ काटते रहे।
वैसे तो आप समझ ही गए होंगे लेकिन फिर भी दोस्तों इस पर हम हल्की सी चर्चा कर लेते हैं। हम अपने कार्य में, अपने क्षेत्र में कितने ही माहिर क्यों ना हों दोस्तों, लेकिन अगर आप हमेशा नम्बर वन बने रहना चाहते है, तो आपको अपनी कुल्हाड़ी पर धार करते ही रहना होगा अर्थात् आपको अपने कौशल को समय समय पर निखारना और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करते रहना होगा। याद रखिएगा ‘वर्क’ तो श्याम भी कर रहा था, लेकिन जीता राम क्यूंकि उसने ‘स्मार्ट वर्क’ किया।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर