फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
खुद को चुनें


Jan 7, 2022
खुद को चुनें !!!
वर्ष 2005 में अपने कौशल, अपनी शिक्षा के सही उपयोग के लिए मेरी पत्नी ने आई॰टी॰ क्षेत्र में हाथ आज़माने का निर्णय लिया और बेटी को मात्र साढ़े तीन वर्ष की उम्र में मेरे पास छोड़कर पहले बैंगलोर फिर पुणे शिफ़्ट हुई। उस वक्त मैं उसके निर्णय से पूर्णतः सहमत नहीं था। मुझे लग रहा था कि इतनी कम उम्र में बिटिया का माँ से अलग रहना उचित नहीं होगा। लेकिन उसकी इच्छा और वर्षों तक की गई मेहनत का सम्मान करते हुए मैंने यह निर्णय लिया।
मात्र छह से आठ माह बाद ही पत्नी ने बिटिया को पुणे बुला लिया और उसका दाख़िला वहीं के एक प्रसिद्ध विद्यालय में करवा दिया। जिसकी वजह से बिटिया की शिक्षा में नींव अच्छी बन गई और वह आज जो भी कर पा रही है उसी का नतीजा है। इतना ही नहीं दोस्तों पुणे में आई॰टी॰ में काम करने के उसके निर्णय ने हमें आर्थिक रूप से भी सुदृढ़ बनाया। उसका परिवार को कुछ समय के लिए छोड़कर दूर जाना अंततः परिवार के लिए लाभदायक ही रहा।
पत्नी के इस सही निर्णय की वजह से मिले बल से ही मैंने वर्ष 2007 में एक और बड़ा निर्णय लिया और 1987 में 11वीं की पढ़ाई के साथ-साथ शुरू किए गए कम्प्यूटर के अपने व्यवसाय को बंद कर, ऑनलाइन शिक्षा पोर्टल की सेल्स का काम शुरू कर दिया। लेकिन अपने गुरु राजेश अग्रवाल जी के सम्पर्क में आते ही मैंने वर्ष 2010 के अंत तक इसे भी बंद करके मोटिवेशनल ट्रेनिंग और एजुकेशनल कंसलटेंसी करना शुरू कर दिया।
कम्प्यूटर के व्यवसाय को अच्छी, चलती हालत में बंद करने के असम्भव से निर्णय को लेकर ही दोस्तों, आज मैं इस रूप में आप सभी तक पहुँच पाया हूँ, समाज में अपनी थोड़ी बहुत पहचान बना पाया हूँ। उपरोक्त दोनों उदाहरणों से मैं सिर्फ़ एक बात कहना चाहता हूँ, कई बार चीजों को पकड़े रहने से बेहतर, उन्हें छोड़ देना होता है। जी हाँ दोस्तों, सम्पूर्ण जीवन जीने की चाह में या फिर कहीं कुछ और बुरा ना हो जाए, इस डर से अथवा समय के साथ सब ठीक हो जाएगा, की आस में, हम लोग अक्सर उन चीजों को भी पकड़े रहते हैं, जो हमें जाने-अनजाने में लगातार नुक़सान पहुँचा रही होती है।
दोस्तों, जीवन को पूर्ण रूप से जीने के लिए जितना आवश्यक चीजों को पकड़ना, इकट्ठा करना है, उससे कई गुना ज़रूरी है समय के साथ कुछ चीजों को छोड़ देना क्यूँकि जब आप किसी चीज़ को छोड़ते हैं तो आप किसी नई चीज़ को अपने जीवन में आने की इजाज़त देते हैं। हो सकता है दोस्तों, इस वक्त आप सोच रहे होंगे कि किस वक्त, किन चीजों को छोड़ा जाए, पता कैसे चलेगा? तो चलिए मैं चीजों को सही समय पर छोड़ने के 5 सुनहरे नियम बता देता हूँ-
पहला नियम - जब भी कोई चीज़, व्यक्ति या परिस्थिति आपको ख़ुशी से ज़्यादा दर्द अथवा परेशानी दे, उसे छोड़ दें।
दूसरा नियम - जब कोई कार्य अथवा किसी का साथ आपको गर्व की अनुभूति ना कराए तो उसे छोड़ दें।
तीसरा नियम - जब भी आपको ऐसा लगे कि आपको इज्जत, प्यार, पैसा, पद इत्यादि उतना नहीं मिल रहा है, जिसके हक़दार आप हैं तो उसे तत्काल छोड़ दें।
चौथा नियम - जो बातें या चीज़ें अथवा लोग आपकी शारीरिक या मानसिक सेहत के लिए अच्छे नहीं है, उन्हें छोड़ दें।
पाँचवाँ नियम - जो आपके सम्मान, जीवन मूल्यों को ठेस पहुँचाए और जिस चीज़ के आप हक़दार हैं, उसे आपको देने से रोके, उसे छोड़ दें।
जी हाँ दोस्तों, अगर एक लाइन में कहा जाए तो, ऐसी हर चीज़ को समाप्त करने का साहस रखें जो आपको वह बनने के लिए मजबूर करती है, जो आप हैं नहीं। फिर भले ही ऐसा करना आपको तात्कालिक नुक़सान दे रहा हो। यक़ीन मानिएगा, ऐसा करना आपके अंदर विश्वास पैदा करता है, आपको एहसास कराता है कि आप कुछ ख़ास हैं। भले ही, आज आपको नहीं दिख रहा है लेकिन आपके जीवन में कुछ बड़ा सकारात्मक घटित होने वाला है।
मैं मानता हूँ, जिन दोस्तों अथवा लोगों या फिर चीजों के साथ आप इतने सालों से जुड़े हैं, उन्हें छोड़ना आसान नहीं होता है। लेकिन याद रखिएगा ख़राब हो चुकी मिठाई को सिर्फ़ इसलिए नहीं खाया जा सकता क्यूँकि वह आपको बहुत पसंद है। यही बात दोस्तों रिश्तों पर भी लागू होती है, विषाक्त रिश्तों को खींचना अक्सर उन्हें छोड़ देने से ज़्यादा दुखदायी होता है।
दोस्तों कई बार छोड़ने में मुश्किल लगने वाली बातें, आपको जीवन में आगे बढ़ने, खुश और सुखी रहने का रास्ता दे देती है। बस आपको उस दर्द, उस मुश्किल हालात, उस परेशानी के पीछे देखने की कला को अपने अंदर विकसित करना होगा। ऐसा करना आपको नए अवसर पहचानने, कुछ नया सीखने का मौक़ा देगा, जो अंततः आपको एक बेहतर इंसान बनाएगा।
अंत में इतना ही कहना चाहूँगा दोस्तों जो चीज़ आपको खुद से प्यार करने, खुद का आदर करने, गर्व के साथ रहने से रोकती है उसे छोड़ दें और खुद को प्राथमिकता देते हुए उन चीजों को चुने, जो आपको सुखी बनाने और खुद से प्यार करने के लिए प्रेरित करें अर्थात् किसी भी चीज़ या व्यक्ति से पहले खुद को चुनें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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