फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
नौकरी अथवा अपने व्यावसायिक कार्य में सफलता के पाँच नियम
April 24, 2021
नौकरी अथवा अपने व्यावसायिक कार्य में सफलता के पाँच नियम!!!
चलिए आज के शो की शुरुआत एक घटना से करते हैं। दिनांक 17 अप्रेल 2021 शाम 6 बजकर 25 मिनिट पर सेंट्रल रेलवे के मुंबई मंडल के वांगनी स्टेशन पर ऐसा लग रहा था मानो किसी फ़िल्म की शूटिंग चल रही है और सेट पूरी तरह तैयार है। रेलवे प्लेटफ़ार्म पर एक अंधी महिला अपने 6 वर्षीय बच्चे का हाथ पकड़कर जा रही थी और उसी समय उस प्लेटफ़ार्म से लगे ट्रैक पर सामने से ट्रेन संख्या 01302 अप (उद्यान एक्सप्रेस) द्रुत गति से आ रही थी।
यहाँ तक तो सब सामान्य लग रहा था लेकिन कुछ ही पल में मानो डायरेक्टर के ऐक्शन बोलते ही जैसे सभी लोग की ऐक्टिंग शूटिंग करने के लिए शुरू हो जाती है। महिला के साथ हाथ पकड़कर चल रहे बच्चे का संतुलन अचानक से बिगड़ जाता है और वह बच्चा यकायक रेलवे पटरी पर गिर जाता है। अंधी महिला अंदाज़े से हाथ आगे बढ़ाकर उस बच्चे को बचाने के लिए प्रयत्न करती है लेकिन दूरी का सही अंदाज़ा ना होने के कारण असफल रहती है। बच्चा भी बार-बार अपनी तरफ़ से प्लेटफ़ार्म पर चढ़ने का असफल प्रयास करता है। कुछ और भी लोग प्लेटफ़ार्म पर कुछ दूरी पर खड़े थे लेकिन उनमें से कोई भी उस बच्चे को बचाने के लिए आगे नहीं बढ़ा। वे लोग इस पूरी घटना को सिर्फ़ मूक दर्शक बनकर देख रहे थे मानो वे सिर्फ़ पिक्चर की शूटिंग देखने आए हैं।
ख़ैर इतनी देर में सामने से तेज़ गति से आ रही ट्रेन भी काफ़ी पास आ गई थी, जो अहसास दिला रही थी कि जैसे इस ऐक्सिडेंट को टालना असम्भव है। तभी मयूर सखाराम शेलके की नज़र सामने से आती ट्रेन और नीचे गिरे हुए बच्चे पर पड़ती है और वे बिना एक पल भी गँवाए तेज़ी के साथ उस बच्चे की ओर दौड़ लगाते हैं और हिंदी फ़िल्मों के हीरो के भाँति ट्रेन के वहाँ पहुँचने से ठीक पहले एक हाथ से बच्चे को उठाकर उसे प्लेटफ़ार्म पर धकेल देते हैं और खुद भी फुर्ती के साथ प्लेटफ़ार्म पर चढ़ जाते हैं।
दोस्तों इस प्रकार मयूर ने सूझबूझ व असाधारण साहस से असम्भव से लगने वाले इस कार्य को करते हुए उस बच्चे की जिंदगी बचा ली। मयूर सखाराम शेलके सेंट्रल रेलवे में मुंबई मंडल के वांगनी स्टेशन पर पाइन्ट्समैन के तौर पर कार्यरत हैं और उस वक्त वे अपनी ड्यूटी पर थे। उनके इस असाधारण कार्य को देखते हुए रेल मंत्री पीयूष गोयल ने मयूर से फ़ोन पर चर्चा करी और उनके इस कार्य की सराहना की।
इसके बाद श्री पीयूष गोयल ने ट्वीट करते हुए कहा कि उनके पराक्रम की तुलना किसी पुरस्कार या पैसे से नहीं की जा सकती, बल्कि उन्हें उनके काम से मानवता को प्रेरित करने के लिए पुरस्कृत किया जाएगा। इस ट्वीट के कुछ ही समय पश्चात मुख्य कार्यकारी निदेशक, भारतीय रेल श्री दीपक पीटर द्वारा मयूर को पचास हज़ार रुपए से पुरस्कृत किए जाने का पत्र द्वारा ऐलान किया। साथ ही डीआरएम, सेंट्रल रेलवे, मुंबई व उनके कार्यालय के स्टाफ़ द्वारा भी मुंबई में मयूर का सम्मान किया गया।
लेकिन कहते हैं ना कुछ लोग कुछ अलग ही मिट्टी के बने होते हैं, मयूर ने पुरस्कार में मिलने वाली राशि का पचास प्रतिशत अर्थात् पच्चीस हज़ार रुपए प्लेटफ़ार्म से गिरे बच्चे की शिक्षा के लिए तुरंत दान दे दिए। दोस्तों कुछ लोग पैसे से अमीर या बड़े होते हैं लेकिन कुछ लोग दिल से।
वैसे तो मयूर सखाराम शेलके के असाधारण कार्य को कई हस्तियों द्वारा सराहा गया लेकिन महिंद्रा एंड महिंद्रा समूह की सहायक कम्पनी क्लासिक लीजेंड्स, जिसने भारत में जावा मोटर साइकिल को फिर से बनाना शुरू किया है के हेड श्री अनुपम थरेजा ने एक नई जावा मोटर साइकिल देने का ऐलान किया है।
दोस्तों मयूर सखाराम शेलके के इस कार्य को देख हम सौ प्रतिशत जीवन जीने के 5 महत्वपूर्ण नियम सीख सकते हैं-
पहली सीख - इस संसार में इंसान की सेवा और उसमें भी किसी की जान बचाने से बड़ा कोई और कार्य हो ही नहीं सकता है।
दूसरी सीख - सफलता में प्रतिभा से ज़्यादा आपके दृष्टिकोण का योगदान रहता है।
तीसरी सीख - अपने कार्य को पेशन और ईमानदारी के साथ, इंसानियत को सर्वोपरि रखते हुए, अपेक्षा से एक प्रतिशत ज़्यादा करना आपको सफल बनाता है।
चौथी सीख - कोई भी एक क्षण आपकी क़िस्मत को बदल सकता है।
पाँचवी सीख - जब आप अपने बनाए नियमों पर चलते हुए मानवता के लिए कार्य करते हैं तब मानसिक शांति और सुख तो मिलता ही है लेकिन अपने साथ पद, पैसा, प्रतिष्ठा और सम्मान अपने आप ले आता है। इसे दूसरे शब्दों में कहा जा सकता है कि अगर आप पद, पैसा, प्रतिष्ठा और सम्मान के लिए कार्य करेंगे तो आपको मानसिक शांति और सुख मिलेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है लेकिन इसका उल्टा अर्थात् मानवता, मानसिक शांति और सुख के लिए कार्य करेंगे तो वह आपको पद, पैसा, प्रतिष्ठा और सम्मान अपने आप दिलाता है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर