फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
फिर पछताय क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत


Oct 24, 2021
फिर पछताय क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत !!!
बढ़ई रामपाल आज थोड़ा बेचैन था और हो भी क्यों ना, आज उसने अपने सबसे प्रिय काम से सेवानिवृत होने का निर्णय जो ले लिया था। दिन भर का अपना काम अच्छे से पूरा करने के बाद वो अपने नियोक्ता के पास पहुँचा और उन्हें अपने निर्णय से अवगत कराया। मालिक ने रामपाल को समझाने का अथक प्रयास करा कि वह कुछ सालों के लिए अपने इस निर्णय को टाल दे, लेकिन रामपाल नहीं माना। उसने अपने नियोक्ता को बताया कि वह अपना बचा हुआ जीवन अपने परिवार के साथ हंसी-ख़ुशी बिताना चाहता है।
रामपाल उस व्यापारी का सबसे पुराना, कर्तव्यनिष्ठ, मेहनती और विश्वसनीय कारीगर था। लोग उसकी वजह से ही इस दुकानदार को काम दिया कते थे। लेकिन नियोक्ता ने रामपाल के निर्णय का सम्मान करते हुए, दुखी मन से उसका इस्तीफ़ा स्वीकार करते हुए उससे कहा, ‘हमारा इतने वर्षों का सुखद साथ रहा है। क्या तुम जाने के पहले सिर्फ़ एक घर और बना सकते हो? वैसे तो रामपाल किसी भी नए काम के लिए बिलकुल भी राज़ी नहीं था, लेकिन नियोक्ता के प्रति अपने आदर के भाव की की वजह से वो मना नहीं कर पाया।
बढ़ई ने अगले दिन से उस घर को बनाना शुरू कर दिया, लेकिन उसके काम को देखकर इस बात का आसानी से अंदाज़ा लगाया जा सकता था कि वह अपना सर्वश्रेष्ठ नहीं दे पा रहा था। उसकी कारीगरी और उपयोग में लाए गए सामान सामान की क्वालिटी बिलकुल भी अच्छी नहीं थी। ख़ैर लगभग 6 माह में घर का कार्य पूर्ण कर बढ़ई रामपाल फिर से अपने नियोक्ता के पास पहुँचा और मकान की चाबी उन्हें सौंपते हुए बोला, ‘मालिक अपने वादे के अनुसार मैंने इस घर का निर्माण पूर्ण कर दिया है अब आप भी अपने वादे के अनुसार मुझे अपने कार्य से मुक्त करें।
नियोक्ता ने रामपाल से ली चाबी वापस से उसे सौंपते हुए कहा, ‘रामपाल मैंने तो तुम्हें उसी दिन अपने कार्य से मुक्त कर दिया था।’ रामपाल कुछ समझ नहीं पाया, ‘मालिक लेकिन यह घर…’ नियोक्ता ने रामपाल की बात को बीच में ही काटते हुए कहा यह तो इतने वर्षों तक तुम्हारे द्वारा किए गए अच्छे कार्य का ईनाम है। आज से यह घर तुम्हारा हुआ।’ कहते हुए नियोक्ता वहाँ से चला गया।
नियोक्ता की बात सुन बढ़ई रामपाल चौंक गया और सोचने लगा, ‘काश मालिक ने यह बात उसे पहले बता दी होती तो कितना अच्छा रहता। मैं इस घर को कई गुना सुंदर बनाता, इसमें बेहतरीन सामग्री का प्रयोग करता।’ वह सोच रहा था काश मुझे एक बार फिर से यह मौक़ा मिल जाए। ख़ैर, फिर पछताय क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत।
दोस्तों बढ़ई रामपाल की ही तरह तो हम भी काम करते हैं। ईश्वर ने हमें इस जीवन के रूप में एक इमारत के निर्माण की जवाबदारी हमें सौंपी है। एक बार में वह हमें एक दिन देता है और हम उस दिन कार्य करके अपने जीवन को बनाते हैं। लेकिन हमें अगला दिन भी मिलेगा, की आस में अकसर हम इसे बेहतर बनाने का मौक़ा अपने आलस्य या अन्य ग़लत प्राथमिकताओं की वजह से गँवा देते हैं। फिर एक दिन अचानक से हमें एहसास होता है कि यह जीवन तो ईश्वर का दिया एक अमूल्य तोहफ़ा था। यह एक मौक़ा था सब कुछ पाने का, जैसा हम चाहते हैं वैसा जीने का। लेकिन अब हमें वैसे ही, उसी घर में रहना होगा, जिसे हमने बनाया है। फिर हमें लगता है, काश हमने ईश्वर के दिए समय का सही उपयोग किया होता या वह अगर हमें एक मौक़ा और दे दे तो हम इसे बेहतर तरीक़े से जिएँगे। सब कुछ बहुत अलग तरीके से करेंगे।
लेकिन दोस्तों, जीवन एक ऐसा इकतरफ़ा रास्ता अर्थात् वनवे है जिसपर लौट कर वापस जाना सम्भव नहीं है। किसी ने सही कहा है, ‘जीवन एक ‘डू ईट योर सेल्फ़’ अर्थात् ‘जैसा चाहो, खुद बनाओ वाला’, एक प्रोजेक्ट है।’ इसलिए हमारा रवैया, हमारे चुनाव और हमारे द्वारा आज किया गया कार्य, उस ‘घर’ को बनाने में मदद करता है, जिसमें हमें कल रहना होगा। इसलिए दोस्तों अपने घर अर्थात् ‘अपने कल’ का निर्माण बुद्धिमानी से करें!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-