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बच्चों की आक्रामकता को नियंत्रित करने के 5 तरीक़े - भाग 2
April 1, 2021
बच्चों की आक्रामकता को नियंत्रित करने के 5 तरीक़े - भाग 2
दोस्तों कल हमने बच्चों में बढ़ती आक्रामकता की प्रवृति, परिवार पर पढ़ने वाले उसके प्रभाव के साथ-साथ आक्रामकता के प्रकार और लक्षणों के आधार पर उसे पहचानना सीखा था। आज हम बच्चों की आक्रामकता को नियंत्रित करने के 5 तरीक़े सीखेंगे।
1) बच्चे से खुलकर संवाद करें
अनुशासन, संस्कार व अपनी कड़क छवि को बरकरार रखना अकसर बच्चों के साथ खुलकर संवाद नहीं करने देता। ऐसे में कम्यूनिकेशन गैप आना स्वाभाविक है। इस गैप की वजह से हम बच्चों से शांत रहकर, खुलकर बात नहीं कर पाते हैं और इसी वजह से अनुशासनहीनता जैसे आक्रामक होना, ग़ुस्सा करना, चिल्लाना आदि के पीछे के सही कारण को समझकर दूर नहीं कर पाते हैं।
कई बार थकान, अतिरिक्त काम, अप्रत्याशित परिणाम या पीछे छूट जाने की वजह से बच्चे निराश या हताश हो जाते हैं। ऐसे में जब आप उसे टोकते या रोकते हैं और आत्मसंयम, अनुशासन अथवा मूल्य आधारित बातें करते हैं तो वे उसे समझ नहीं पाते हैं और खुद को सबसे अलग करने का प्रयत्न करते हैं, जैसे, ग़ुस्से में कमरा बंद करके बैठ जाना आदि।
संवादहीनता की वजह से बच्चे सबके बीच होने के बाद भी अकेला महसूस करने लगते है। इसके स्थान पर उनसे संवाद करना, उन पर विश्वास व्यक्त करना, रिश्ते को मज़बूत बनाता है। आपसी विश्वास को बढ़ाकर बच्चे को मन की बात साझा करने के लिए प्रेरित करें। अच्छे संवाद से हम बच्चों को नकारात्मक बातों, बुरी आदतों को डील करना आसानी से सिखा पाते हैं।
2) नियम आधारित जीवन जिएँ
बच्चों को अनुशासन, अच्छे संस्कार सिखाने के लिए घर के नियम बनाना और छोटे से बड़ों तक सभी के लिए उनका पालन सुनिश्चित करना, एक अच्छा विचार है। कई बार हम नियम ना होने की वजह से बच्चे के एक जैसे व्यवहार के लिए दोहरा बर्ताव करते हैं अर्थात् कभी तो उसकी अनुशासनहीनता को अनदेखा करते हैं, तो कई बार चिल्लाकर, डाँटकर जवाब देते हैं। ऐसा करना उस बच्चे के मन में हमारे व्यवहार के प्रति संशय पैदा करता है।
इसके विपरीत नियम हर बात की सीमा तय कर देते हैं। बच्चा जब भी ज़िद अथवा अनुचित व्यवहार के द्वारा उस सीमा को पार करे तो उसे समझाएँ कि ऐसा व्यवहार घर में स्वीकार्य नहीं है। घर के नियमों पर दृढ़ रहें, लेकिन बच्चे को बोलने का अवसर दें, बार-बार उसे चुप ना कराएँ। जब बच्चा शांत हो तब उससे उसकी समस्या पर चर्चा करें, सही प्रश्न पूछकर उसे सही हल खोजने में मदद करें। हर बच्चे को अनुशासन सिखाने का तरीक़ा अलग-अलग होता है इसलिए उसे कुछ सिखाएँ तो उसके सीखने, संवाद करने के तरीक़े को पहचानने का प्रयास करें। जैसे कई बार बच्चे को अकेले में समय बिताने देना फ़ायदेमंद होता है। इसी तरह बच्चे ग़लत व्यवहार, गलत प्रेरणास्रोत की वजह से करते हैं ऐसे में समय रहते उसे कार्टून, टीवी सीरियल, सिनेमा, गेमिंग व असली दुनिया के बीच के अंतर को समझाना कारगर रहता है।
3) बच्चों की ऊर्जा सही जगह लगवाएँ
बच्चे ऊर्जावान होते हैं, ऐसे में उनकी आक्रामकता और असंयमित व्यवहार को कम करने के लिए आउटडोर गेम खेलने के लिए प्रेरित करना फ़ायदेमंद होता है। अगर आपके लिए रोज़ खेलने ले जाना और लाना सम्भव नहीं है, तो आप ड़े बोर्डिंग स्कूल, क्लब, स्पोर्ट्स अकादमी चुन सकते हैं जहां बच्चों को एक साथ सभी खेलों को खेलने की सुविधाएँ मिल जाती है।
सुरक्षित, संयमित, नियंत्रित और सकारात्मक माहौल में बच्चों को हमउम्र बच्चों के साथ रहने या खेलने देना, उन्हें जीवन के लिए तैयार करता है। ऐसे में बच्चा बेहतर संवाद करना, सीमित संसाधनों के साथ अनुशासित रहना, अनपेक्षित परिणाम स्वीकारना, शेयर व केयर करना सीख जाता है। बस अच्छा, संस्कारी साथ सुनिश्चित करें। यह उसे परिवार में छोटे भाई-बहनों के साथ रहना भी सिखाता है।
4) बच्चों को परीक्षा में अव्वल आने के लिए नहीं जीवन के लिए तैयार करें
बच्चे को पढ़ाई में अव्वल बनाने के चक्कर में समाज से काटना उसे जीवन को पूर्णता के साथ जीने, खुश रहने के लिए आवश्यक बातें सीखनें से वंचित कर देता है। ऐसे में बच्चा विपरीत परिस्थिति या संघर्ष की स्थिति में सही निर्णय लेना नहीं सीख पाता है।
बच्चों को परीक्षा से ज़्यादा संघर्षों से निपटना सिखाएँ। जिस तरह उसके अच्छे नम्बरों की तारीफ़ आप दूसरों से करते हैं ठीक उसी तरह उसके अच्छे कार्यों और व्यवहार के बारे में भी लोगों को बताएँ। बच्चे को समय-समय पर जीवन को बेहतर बनाने के लिए अच्छे व्यवहार के फ़ायदे और लोगों के बीच उसकी स्वीकार्यता के बारे बताएँ। यह उसे अपनी भावनाओं, क्रोध और आक्रामकता को नियंत्रित करना सिखाएगा।
5) अपने व्यवहार और आचरण पर ध्यान दें
बच्चा कही हुई बातों की तुलना में देखकर कई गुना ज़्यादा सीखता है। वह आपको जो करता हुआ देखता है उसे ना सिर्फ़ सही मानता है बल्कि उसकी नक़ल भी करता है। इसलिए उसके सामने वैसा ही व्यवहार करें, जैसा आप उससे चाहते हैं। सबसे पहले अपने शब्दों, आदतों, कार्य करने और लोगों को डील करने के तरीक़े पर ध्यान दें। नकारात्मक और विपरीत परिस्थितियों में आपका संयमित और शांतिपूर्ण समाधान खोजने का तरीक़ा उसे जीवन के लिए तैयार करता है। आप बच्चे के लिए आदर्श हैं इसलिए अपने व्यवहार और आचरण पर ध्यान दें।
बहुत सारी बातों को बोल-बोल कर सिखाने से कई गुना ज़्यादा बेहतर है कि जिस तरह का जीवन जीने का तरीक़ा आप बच्चे को सिखाना चाहते हैं, वैसा जीवन जीकर दिखा दें, मेरे माता-पिता और ताऊजी ने मेरे साथ ऐसा ही किया था। बच्चे की आक्रामकता को कम करने के लिए उपरोक्त तरीक़े काम में लें और याद रखिएगा अच्छा और पौष्टिक खाना, सही मात्रा में पानी या तरल पदार्थ पीना, अच्छी नींद लेना बच्चों के लिए उतना ही आवश्यक है जितना शिक्षा, संस्कार या कोई अन्य चीज़, इनका भी ध्यान रखें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com