फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
बेचैन मन, बेहिसाब द्वन्द


Sep 1, 2021
बेचैन मन, बेहिसाब द्वन्द!!!
निश्चिंतता के साथ मज़े से वर्तमान में, आज़ादी के साथ जीना आजकल असम्भव सा लगता है। आप जिधर नज़र घुमाएँगे आपको बेचैनी, हड़बड़ाहट, घबराहट और डर के साथ ज़िंदगी काटते हुए लोग दिख जाएँगे। तो प्रश्न आता है, ‘क्या मज़े में शांति के साथ जीना इतना मुश्किल है?’ शायद नहीं, जी हाँ दोस्तों हमें बस अपने अंदर चल रही उथल-पुथल को शांत करना सीखना होगा। तो फिर सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न आता है, ‘यह उथल-पुथल है किस बात की?’ मुझे ऐसा लगता है दोस्तों, यह उथल-पुथल चीजों के छिन या लुट जाने के डर की वजह से है। इसे मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
बात कई वर्ष पुरानी है। घर में होने वाली चोरी की वजह से शहर के सबसे बड़े व्यापारी, सेठ धनीराम काफ़ी परेशान चल रहे थे। शुरुआती दिनों में सेठ धनीराम ने यह सोचते हुए चोर और चोरी को नज़रंदाज़ किया कि शायद किसी को बहुत ज़्यादा ज़रूरत होगी, इसलिए चोरी करी होगी। लेकिन, स्थिति इसके ठीक विपरीत थी चोर सेठ की नरमी को उनकी कमजोरी के रूप में देख रहा था और बढ़े हुए हौसले के साथ महँगे से महँगा सामान चुरा रहा था और इस बार तो हद हो गई थी, चोर ने सेठ धनीराम की पत्नी का सबसे प्रिय हीरों का हार ही चोरी कर लिया था।
घर में परिवार के सदस्यों, नौकर-चाकर सहित तक़रीबन 30-40 लोग रहते थे। इसलिए चोर कौन है पहचान पाना सेठ के लिए बड़ा मुश्किल था। सबसे पहले सेठ ने अपने सभी कर्मचारियों से इस विषय में बात करी लेकिन कोई फ़ायदा नहीं हुआ। अपने प्रयास को विफल होता देख सेठ ने अपने सबसे बुद्धिमान मित्र से इस बाबत मदद लेने का निर्णय लिया। वे उसके घर गए और उसे विस्तार से पूरी बात बताई। मित्र ने सेठ की मदद करने का आश्वासन देते हुए कहा कि वे कल उनके घर आकर चोर पकड़ने का प्रयास करेंगे।
अगले दिन तय समय पर बुद्धिमान मित्र सेठ के यहाँ पहुँच गए और सभी कर्मचारियों से एक-एक करके चोरी के विषय में बात करी। लेकिन सभी कर्मचारियों ने इस विषय में किसी भी प्रकार की जानकारी होने से पूर्ण इनकार कर दिया। सबके मना करते ही बुद्धिमान मित्र ने सेठ की मदद से सभी कर्मचारियों को घर के बाड़े में बुलाया और उन्हें एक जैसी, समान लम्बाई-चौड़ाई वाली छड़ियाँ देते हुए कहा, ‘आप सभी लोग इस जादुई छड़ी को अपने साथ अपने-अपने घर ले जाइएगा और कल जब आप कार्य पर आए तो इसे साथ ले आईयेगा। उसके बाद हम इन छड़ियों की जाँच करेंगे जिसने भी चोरी करी होगी उसकी छड़ी की लम्बाई 2 इंच बढ़ जाएगी और चोर पकड़ा जाएगा।’
अगले दिन, आदेशानुसार सभी कर्मचारी अपनी छड़ी लेकर आ गए और एक-एक कर उसे बुद्धिमान व्यक्ति को जाँच करने के लिए दिखाने लगे। जाँच के बाद पता चला कि सिवाय एक कर्मचारी के बाक़ी सभी कर्मचारियों की छड़ी की लम्बाई 2 इंच बढ़ गई है। हर कोई यह देख आश्चर्यचकित था, सिवाय उस बुद्धिमान व्यक्ति के। वह तुरंत 2 इंच छोटी छड़ी वाले व्यक्ति के पास गया और उसका हाथ पकड़ कर, सेठ की ओर देखते हुए बोला, ‘सेठ, इसने तुम्हारा सामान चुराया है।’
सेठ धनीराम आश्चर्यचकित थे। उन्होंने मित्र से पूछा, ‘तुमने इसे कैसे पहचाना?’ बुद्धिमान व्यक्ति बोला, ‘बड़ा आसान था। ईमानदार कर्मचारियों को इस बात का बिलकुल भी डर नहीं था कि उनकी छड़ी की लम्बाई बढ़ जाएगी, पर चोर को था इसलिए उसने अपनी छड़ी को रात को 2 इंच काट कर छोटा कर लिया था।’
जी हाँ दोस्तों, लोगों में फैली बेचैनी, हड़बड़ाहट, घबराहट, डर और अशांति का सबसे बड़ा कारण सेठ या चोर की तरह की सोच होना है। सेठ को लुट जाने या एकत्र की गई चीजों के छिन जाने का तो वहीं चोर को पकड़ाए जाने का डर था। इसलिए दोनों बेचैन थे। एक सामान तो दूसरा इज्जत बचाने और सच्चाई छुपाने का प्रयास कर रहा था।
दुनिया में सबसे ज़्यादा शांत, खुश, सुखी और आज़ाद वह इंसान है जिसके पास छिपाने के लिए कुछ भी नहीं है। वो जैसा अंदर है, वैसा ही बाहर क्यूँकि उसे पता चल गया है कि लोगों से छीनकर या किसी भी अन्य तरीक़े से संसाधन इकट्ठा करके इसे पाया नहीं जा सकता है। जी हाँ दोस्तों, सब कुछ हमारे अंदर ही मौजूद है। फिर चाहे वह शांति हो या द्वन्द, ख़ुशी हो या बेचैनी या फिर सुख हो या दुःख। बस यह आपके चुनाव पर निर्भर करता है कि इनमें से आप क्या चुनना चाहते हैं। अगर आप शांति, ख़ुशी और सुख चुनना चाहते हैं तो अंदर के द्वन्द को शांत करने का सबसे आसान तरीक़ा अपनाएँ, आडम्बर के स्थान पर जैसे अंदर हैं वैसे ही बाहर रहना शुरू कर दें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर