top of page

फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...

भाग्य बड़ा या कर्म

भाग्य बड़ा या कर्म
global_herald_logo_1.png

Aug 21, 2021

भाग्य बड़ा या कर्म…


आज महा आलसी रामू बड़ा परेशान था क्यूँकि घर पर अनाज व पैसे खत्म होने के कारण उसे मज़दूरी करने जाना पड़ रहा था। अनमने मन से काम की तलाश में मंडी जाते समय पड़ने वाले मंदिर में रामू भगवान के दर्शन करने के लिए रुक गया। दर्शन के बाद मंदिर से निकलते ही रामू बरगद के पेड़ की छाँव में सुस्ताने के लिए बैठ गया। 


जिस वक्त रामू पेड़ के नीचे सुस्ता रहा था तभी सेठ धनिराम मंदिर से दर्शन करके बाहर निकले और उन्हें लगा कि पेड़ के नीचे कोई जरूरतमंद परेशान गरीब बैठा हुआ है। वे तुरंत उसके पास गए और उसे दान में अनाज और पैसे दिए। रामू को तो ऐसा लगा मानो ईश्वर ने उसकी सुन ली है। दान में अनाज और पैसे मिलते ही उसने मज़दूरी के लिए जाने का विचार त्यागा और वापस घर चला गया। इस सामान से उसके कुछ दिन तो आराम से गुजर गए। 


पैसे और अन्न खत्म होते ही रामू घर से मज़दूरी करने के लिए निकला ही था की उसके मन में विचार आया, ‘मज़दूरी करने के स्थान पर क्यूँ ना मैं मंदिर के पास उसी पेड़ के नीचे बैठ जाऊँ। हो सकता है आज कोई दूसरा सेठ आकर दान दे जाए और अगर हर दिन ऐसा ही दान मिलता रहा, तो मुझे फिर कभी मेहनत करने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी।’


उस दिन वह काम पर जाने के स्थान पर मंदिर के पास उसी पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया और इंतज़ार करने लगा कि कोई ना कोई सेठ आएगा और उसे दान देगा। मंदिर में कुछ बड़े लोग आए भी लेकिन किसी ने भी उसे कुछ भी नहीं दिया। उस दिन वह बिना कमाई करे, भूखा ही घर लौट आया। किसान रात को सोते-सोते सोच रहा था, ‘इसमें इतनी चिंता की क्या बात है? आज नहीं तो कल कोई आएगा और दान दे जाएगा। एक दिन का उपवास ही सही।’ 


अगले दिन वह फिर उसी पेड़ के नीचे जाकर बैठ गया पर उसे उस दिन भी दान नहीं मिला और दूसरे दिन भी उसे भूखे ही सोना पड़ा। तीसरे दिन उसने आधे दिन पेड़ के नीचे इंतज़ार करने और अगर कुछ ना मिला तो काम पर जाने का सोचा। पर उस दिन उसे दान में कुछ भोजन मिल गया तो वह ना सिर्फ़ उस दिन बल्कि चौथे दिन भी उसी पेड़ के नीचे बैठा रहा। अब रामू को बहुत ज़्यादा फ़र्क़ नहीं पड़ता था की उसे कुछ मिला है या नहीं। हर पल उसे यही लगता था, ‘आज नहीं मिला तो क्या हुआ कल कोई आएगा और मुझे ज़रूरत का सामान दे जाएगा।’


दरअसल दोस्तों रामू समझ ही नहीं पा रहा था कि उस पेड़ के नीचे बैठकर वह अपने जीवन को गँवा रहा है। सेठ का आना और बहुत सारा दान देना एक दुर्लभ घटना थी। रोज़ वैसा ही होगा, कोई ज़रूरी नहीं है। बिना कर्म किए फल के इंतज़ार में रामू अपना  जीवन बर्बाद कर रहा था। उसे एहसास ही नहीं था कि जो ऊर्जा, ताक़त और काम करने का जज़्बा उसमें आज है शायद वह कल नहीं रहेगा।


जी हाँ दोस्तों, हम कई युवाओं को रामू की ही तरह अपने सुनहरे भविष्य के इंतज़ार में बैठा हुआ देख सकते हैं जैसे उनके भविष्य का निर्माण करना किसी अन्य की ज़िम्मेदारी हो। कई बच्चे अपने माँ-बाप या परिवार से मिली कुछ अतिरिक्त सुविधाओं को अपना अधिकार मान उसके बल पर सारी योजना बनाकर उनसे समर्थन मिलने की आस में इंतज़ार करते रहते हैं। तो कुछ युवा किसी परीक्षा को उत्तीर्ण कर मनमाफ़िक परिणाम पाने के इंतज़ार में सालों बर्बाद कर देते हैं। ऐसा ही कई बार वे किसी व्यापारिक योजना पर काम करते हुए भी करते हैं। 


किसी परीक्षा, योजना अथवा कार्य से एक बार मनमाफ़िक परिणाम मिलना इस बात की गारंटी नहीं है कि हर बार वैसा ही होगा। जिस रास्ते पर चलकर आपको या किसी अन्य को एक बार सफलता मिल गई है, उसी रास्ते पर चलने से, वही कर्म करने से, हर बार वैसा ही परिणाम मिलेगा क़तई ज़रूरी नहीं है। 


याद रखिएगा बिना कुछ किए, सिर्फ़ भाग्य या चमत्कार के भरोसे सपने सच नहीं होते। कई लोग कहते हैं, ‘ख़ुदा जब देता है, छप्पर फाड़ कर देता है।’ सही है दोस्तों यक़ीनन वह छप्पर फाड़ कर देता है बस आपको वह छप्पर पहले बनाना होगा। अर्थात् ईश्वर से मनमाफ़िक परिणाम भी कर्म करने के बाद ही मिल सकता है। इसलिए तो कहा गया है, ‘यदि आपका कर्म अच्छा है तो निश्चित तौर पर आपका भाग्य भी आपके पक्ष में होगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर 

dreamsachieverspune@gmail.com

1_edited_edited.jpg

Be the Best Student

Build rock solid attitude with other life skills.

05/09/21 - 11/09/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)

Duration - 14hrs (120m per day)

Investment -  Rs. 2500/-

DSC_5320_edited.jpg

MBA

( Maximize Business Achievement )

in 5 Days

30/08/21 - 03/09/21

Free Introductory briefing session

Batch 1 - For all adults

Duration - 7.5hrs (90m per day)

Investment - Rs. 7500/-

041_edited.jpg

Goal Setting

A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.

01/10/21 - 04/10/21

Two Batches

Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)

Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)

Duration - 10hrs (60m per day)

Investment - Rs. 1300/-

bottom of page