फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
मनचाहा फल पाने का तरीक़ा
May 28, 2021
मनचाहा फल पाने का तरीक़ा
दोस्तों जीवन में कई बार हमें ऐसा लगता है कि हमें प्रयास करने के बाद भी मनचाहा परिणाम नहीं मिल पा रहा है और बार-बार असफलता हमारे हाथ लग रही है। ऐसे में आमतौर पर लोग अपनी ऊर्जा खो देते है और नकारात्मकता के शिकार होने लगते हैं। लेकिन इस असफलता की स्थिति से हम बहुत ही आसानी से बाहर आ सकते हैं बस हमें अपनी मनःस्थिति को बदलना होगा। आइए डॉल्फ़िन को ट्रेंड किए जाने वाले तरीक़े से इस समस्या का समाधान खोजने का प्रयास करते हैं।
डॉल्फ़िन को न केवल सबसे मिलनसार या देखभाल करने वाला बल्कि सबसे बुद्धिमान प्राणी माना जाता हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर मस्तिष्क के अनुपात में शरीर की तुलना की जाए तो डॉल्फ़िन मनुष्यों के बाद दूसरा स्थान लेती है और दूसरी मज़ेदार बात जो वैज्ञानिक साबित कर चुके वह यह हैं कि डॉल्फ़िन खुद का नाम रखती है। वे जिस स्थान पर रहती हैं वहाँ अपने समूह के सदस्यों के साथ खेलना पसंद करती हैं और इन्हें अक्सर पानी के भीतर रहने वाले दूसरे जानवरों के साथ खेलते और उन्हें चिढ़ाते हुए देखा जाता है। वे इंसानों से भी आसानी से दोस्ती कर लेती हैं और इन्हीं खूबियों की वजह से इंसान उन्हें ट्रेंड कर पाते हैं और पूरी दुनिया के लोग डॉल्फ़िन के करतबों के अद्भुत शो देखना पसंद करते हैं। दोस्तों निश्चित तौर पर आपने भी डॉल्फ़िन के करतबों को शो या विडियो के माध्यम से कभी ना कभी देखा ही होगा।
लेकिन मन मोहनेवाले इस शो के लिए डॉल्फ़िन को ट्रेंड करना आसान नहीं होता है। ट्रेनर डॉल्फ़िन को उछलना सिखाते समय उसकी हर छलांग पर उसे भोजन के रूप में उसकी पसंदीदा मछली इनाम के तौर पर देता है और उसे प्यार करता है। अपनी बुद्धिमत्ता से डॉल्फ़िन जल्द ही समझ जाती है कि ट्रेनर के इशारे पर उछलने पर मुझे भोजन और प्यार मिलेगा। लेकिन उसकी यही बुद्धिमानी गुजरते समय के साथ उसकी उछाल कम कर देती है। ट्रेनर यह समझ जाता है कि वह अपनी क्षमता के अनुसार नहीं उछल रही है। वह उसे प्यार और इनाम अर्थात् भोजन देना बंद कर देता हैं। डॉल्फ़िन को आश्चर्य होता है कि इस बार मुझे प्यार और इनाम क्यूँ नहीं मिला? वह फिर उछलती है, लेकिन ट्रेनर उसे तब तक भोजन और प्यार नहीं देता है जब तक वह पूरी क्षमता से ना उछले। जल्द ही डॉल्फ़िन को यह समझ आ जाता है कि ट्रेनर से प्यार और इनाम पाना है तो उसे हर बार, पहले से अच्छा उछलना होगा।
ठीक ऐसा ही तो दोस्तों हमारे साथ भी होता है, हम किसी भी नए काम की शुरुआत अपनी पूरी क्षमता के साथ करते हैं और हमारा ट्रेनर अर्थात् ईश्वर हमारी मेहनत देख कर हमें इनाम स्वरूप, हमारा मनचाहा परिणाम देने लगता है। लेकिन कुछ ही समय में हम उस परिणाम को अपना अधिकार मान लापरवाही भरा व्यवहार करते हुए, अपनी पूरी क्षमता का प्रयोग करना बंद कर देते हैं। जैसे ही दोस्तों हमारे ट्रेनर को इस बात का एहसास होता है वह हमें फल देना कम कर देता है।
लेकिन कई बार हम ईश्वर के इशारे को समझ नहीं पाते हैं और परिस्थिति, क़िस्मत, लोगों पर अपनी असफलता का दोष मढ़ते हुए उछलना अर्थात् प्रयास करना और कम कर देते हैं। ऐसा करना हमें एक ऐसे दुश्चक्र में फँसाता चला जाता है जिससे बाहर निकलना कठिन ही नहीं असम्भव सा लगने लगता है।
लेकिन यक़ीन मानिएगा दोस्तों ऐसी हर परिस्थिति को बदला जा सकता है। आज हम किसी भी हाल में क्यूँ ना हों हम निश्चित तौर पर वह सब पा सकते हैं जो हम पाना चाहते हैं। बस एक चीज़ याद रखिएगा परिस्थिति बदलना हो तो पहले अपनी मनःस्थिति को बदलें क्यूँकि अगर आप मनःस्थिति को नहीं बदलेंगे तो आप वही करते रहेंगे जो आप रोज़ करते हैं, और जो काम आप रोज़ करते हैं वह वही फल देगा जो आपको रोज़ देता आ रहा है।
तो आइए दोस्तों, आज एक निर्णय लेते हैं अपनी रोज़ की उछाल अर्थात् रोज़ ली जाने वाली ऐक्शन को बीते हुए कल से बेहतर बनाएँगे। सेहत सुधारना है तो बीते हुए कल से ज़्यादा अपने शरीर का ख़्याल आज रखें। रिश्ते को बेहतर बनाना है तो कल से ज़्यादा आज रिश्ते को समय दें। कोई लक्ष्य पाना है तो उसके लिए कल से ज़्यादा आज प्रयास करें।
याद रखिएगा दोस्तों जीवन को सौ प्रतिशत जीने का एक ही तरीक़ा है जो भी पाना चाहते हैं उस क्षेत्र में अपने आज को हर हाल में बीते हुए कल से बेहतर बनाएँ।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
dreamsachieverspune@gmail.com