फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहने के 8 सूत्र - भाग 2


Oct 13, 2021
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहने के 8 सूत्र - भाग 2
दोस्तों सामान्यतः जहाँ आशानुरूप मिले परिणाम हमारे मनोबल और आत्मविश्वास को मज़बूत बनाकर प्रेरित करते हैं वहीं उम्मीद के विपरीत मिले परिणाम कई बार हताश कर हमारे मन में संशय पैदा कर दुविधा में रहने को मजबूर करते हैं। ऐसी स्थिति में खुद को अपने बड़े लक्ष्य के प्रति मोटिवेट रखने, अपनी ऊर्जा, अपनी गति को बरकरार रखने के लिए हमने कल लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहने के 8 सूत्रों में से प्रथम 4 सूत्र सीखे थे आईए आगे बढ़ने से पहले उन सूत्रों को दोहरा लेते हैं-
पहला सूत्र - कल्पना में अपने सपनों को सच होता हुआ महसूस करें
कल्पना में सपनों को हक़ीक़त में पूर्ण हुआ देखना लक्ष्य के प्रति आपकी प्रतिबद्धता और ऊर्जा को बढ़ा देता है। इस सूत्र का अधिकतम फ़ायदा लेने के लिए सोने के ठीक पहले, सुबह उठते ही अपनी आँखों को बंद करके अपने सपनों को पूर्ण होता हुआ देखें। उसके बाद, कल्पना के हक़ीक़त में बदलने की वजह से आपके अंतर्मन, परिवार, रिश्ते, सोच आदि में आए सकारात्मक बदलाव को महसूस करें। ऐसा करना नकारात्मक भावों, लो या डाउन फ़ीलिंग को खत्म कर, लक्ष्य के प्रति आपकी प्रतिबद्धता को बढ़ा देगा और आपको खोई प्रेरणा को पाने में मदद करेगा।
दूसरा सूत्र - आत्मविश्वास बनाएँ रखें
तमाम विपरीत परिस्थितियों के बाद भी खुद की क्षमता और योग्यता पर विश्वास बनाए रखना आपको मुश्किल से भी मुश्किल परिस्थिति में आशावान बनाए रखता है। आत्मविश्वासी होना एक ऐसी योग्यता है जो तमाम नकारात्मकता के बीच भी आपकी कल्पना को हक़ीक़त में बदल सकती है।वैसे भी अगर अपनी क्षमता और योग्यता पर आप स्वयं विश्वास नहीं करेंगे तो दूसरे उस पर कैसे विश्वास करेंगे? याद रखें आत्मविश्वास ही सफलता की कुंजी है।
तीसरा सूत्र - रिलैक्स रहें
लक्ष्य पाने के लिए फ़ोकस्ड रहते हुए अथक प्रयास करना एक अनिवार्य योग्यता है। लेकिन फ़ोकस्ड रहने का अर्थ यह नहीं है कि आप सिर्फ़ एक ही विचार में डुबे रहें या एक ही कार्य चौबीसों घंटे करते रहें। अपनी ऊर्जा और उत्पादकता बनाए रखने के लिए समय-समय पर ब्रेक लेकर रिलैक्स करना फ़ायदेमंद रहता है।
ब्रेक से मिले अतिरिक्त समय का उपयोग अच्छी नींद लेने, आराम करने, दोस्तों या परिवार के साथ समय बिताने, हंसी मज़ाक़ करने, योग या ध्यान करने में करें। ऐसा करना आपको रिचार्ज कर स्वस्थ, मस्त और खुश रहने में मदद करेगा साथ ही आपको नई ऊर्जा या प्रेरणा के साथ अच्छे से कार्य करने के लिए प्रेरित करेगा।
चौथा सूत्र - सीखें, अपनी असफलता से भी
सफलता हो या असफलता दोनों ही हमारे जीवन को बेहतर बना सकती हैं। बस आपको दोनों को देखने का नज़रिया बदलना होगा। जहाँ सफलता हमें ख़ुशी, उत्साह, सकारात्मकता और आत्मविश्वास देती है वहीं असफलता हमें कुछ नया सीखने का मौक़ा देती है। असफलताओं को अपने जीवन में सफलता का माइल स्टोन बनाने के लिए अपनी ग़लतियों को पहचानकर उसका अच्छे से विश्लेषण करें, विश्लेषण के आधार पर अपने कार्य करने के तरीक़े में सुधार करें। जब असफलताएँ सीख बनकर आपको आगे बढ़ने का रास्ता दिखाती हैं तब वे आपको हताशा नहीं बल्कि प्रेरणा देती हैं।
आइए दोस्तों अब हम लक्ष्य के प्रति प्रेरित रहने के अंतिम 4 सूत्र सीखेंगे।
पाँचवाँ सूत्र - तारिफ़ हो या आलोचना दोनों को सामान रूप से स्वीकारें
तारिफ़ करने वाले लोग जहाँ हमें अपनी अच्छाई, अपनी ताक़त याने स्ट्रेंथ पहचानने में मदद करते हैं वहीं आलोचना करने वाले हमें अपनी कमियों को पहचानने में मदद करते हैं। स्वयं को बेहतर बनाने के लिए दोनों ही आवश्यक है। बस हमें चीनी की तरह मीठे या चापलूस लोगों से और साथ ही अनावश्यक आलोचना करके, हमेशा नीचा दिखाने वाले लोगों से बचना होगा।
कई बार हमारे लक्ष्य के बारे में आपका अच्छा दोस्त, शिक्षक या हितैषी जानता है और वह आपकी गलती बता रहा है या आपकी किसी विशेषता की तारिफ़ कर रहा है तब इसका अर्थ यह नहीं है कि वह आपकी परवाह करता है, आपका करीबी है इसलिए आप उसे सही मान लें। ज़रूरी नहीं है कि उसकी सलाह आपको आपके लक्ष्य तक ले जाएगी इसके स्थान पर दोनों ही परिस्थितियों में खुले मन के साथ उनकी बात सुनें और समझदारी के साथ विचारकर के निर्णय लें। सिर्फ़ उसी सलाह को मानें जो आपकी ऊर्जा और प्रेरणा को बढ़ाकर लक्ष्य की ओर ले जा रही है।
छठा सूत्र - त्याग करें और रास्ते में आने वाली चुनौतियों को स्वीकारें
बड़े लक्ष्य का पीछा करते वक्त कई बार हम ऐसी दुविधाजनक स्थिति में होते हैं जब समझ ही नहीं आता कि किसे चुनें या प्राथमिकता दें और किसे छोड़ें क्यूँकि एक ओर हमारे सपने होते हैं तो दूसरी ओर वे लोग या चीज़ें जिनकी हम परवाह करते हैं। लेकिन दोस्तों जीवन में अगर कुछ बड़ा पाना है, तो अपनी आदतों, पसंद और प्यार आदि को त्यागकर, अपने लक्ष्यों को प्राथमिकता देना ही होगी। उदाहरण के लिए दोस्तों के साथ पार्टी में या घूमने जाना, परिवार को अत्यधिक समय देना, हमेशा कुछ नया ही सीखते रहना, पूरे समय सिर्फ़ उसी कार्य में लगे रहना जो आपको बेहद पसंद हो आदि को त्यागकर लक्ष्य के लिए कार्य करना होगा।
सातवाँ सूत्र - बहाने छोड़ें
रचनात्मकता (क्रीएटिविटी) और प्रतिबद्धता (कमिटमेंट) किसी भी इंसान को विजेता बना सकती है। इसके विपरीत बहाने बनाना आपकी रचनात्मकता (क्रीएटिविटी) को खत्म कर देती है। याद रखें, बहाने सिर्फ़ आलसी लोगों के लिए हैं। बहाने बनाना आपको अपने लक्ष्य से दूर कर देता है। स्वयं के प्रति सच्चे रहें और अपने लक्ष्य की दिशा में काम करते रहें।
आठवाँ सूत्र - अपने कार्यों का मूल्यांकन करें
अगर आप उपरोक्त सात सूत्रों को अपने जीवन में उतार चुके हैं, रोज़मर्रा में उन्हें काम में ला रहें हैं, लेकिन उसके बाद भी आपको मनचाहा परिणाम नहीं मिल रहा है तो निराश या हताश होने के स्थान पर एक बार अपनी योजना, कार्य करने के तरीक़ों आदि का मूल्यांकन करें, क्या कमी रह गई है उसे पहचानकर सुधारें और फिर से प्रयास करें। लेकिन अगर मूल्यांकन के दौरान आपको लगता है कि आपका लक्ष्य वास्तविक नहीं है तो उसमें बदलाव करें और फिर बदलाव के अनुसार नई योजना बनाकर उस पर कार्य करें। सेल्फ़ ऑडिट या खुद का मूल्यांकन करना आपको अपनी ऊर्जा और ताक़त को, सही दिशा में लगाने में मदद करता है। याद रखिएगा दोस्तों, अगर अंत अच्छा होगा तो आप अपने आप को पूर्ण महसूस करेंगे और खुद पर गर्व भी महसूस करेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर