फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
विचार, जो बनाएँ आपको ख़ास


Oct 16, 2021
विचार, जो बनाएँ आपको ख़ास!!!
दोस्तों दुनिया में दो तरह के लोग होते हैं, पहले वे जो ‘मास’ अर्थात् भीड़ का हिस्सा होते हैं और दूसरे ‘क्लास’ अर्थात् एक विशेष वर्ग का हिस्सा होते हैं। पहले वर्ग में वे लोग आते हैं जो हमेशा अपनी क़िस्मत को कोसते रहते हैं। उनके हर अधूरे कार्य के लिए कोई और ज़िम्मेदार रहता है अर्थात् वे दोष देते हुए जीवन जीते हैं।
दूसरे वर्ग में वे लोग होते हैं जिन्हें इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि उनका जन्म किस परिवार में, किस हाल में हुआ? उन्हें कहाँ और कैसी शिक्षा मिली? वे तो हर पल ईश्वर के प्रति, उनके द्वारा प्रदत्त हर चीज़ के प्रति आभारी रहते हुए, अपना सर्वश्रेष्ठ देते हैं और अपनी क़िस्मत खुद लिखने के लिए जी तोड़ मेहनत करते हैं।
ऐसे ही एक शख़्स का जन्मदिन दोस्तों हमने कल मनाया है। उनका जन्म एक बेहद ही गरीब और बड़े परिवार परिवार में 15 अक्टूबर 1931 को हुआ था। उनके पिता एक मछुआरे थे। पैसों की कमी और बड़े परिवार की ज़िम्मेदारी की वजह से वे अपने बेटे को किसी बड़े विद्यालय तो नहीं भेज पाए लेकिन उन्होंने उसे संस्कार और जीवन मूल्यों को बहुत अच्छे से सिखाया। कम उम्र में दी गई पिता की सीख और कक्षा में विज्ञान के शिक्षक द्वारा पढ़ाए गए एक पाठ ने उनका जीवन बदल दिया।
वैसे तो वे पायलट बनना चाहते थे लेकिन वे अपने इस सपने को पूरा नहीं कर पाए और आगे चलकर उन्होंने एक वैज्ञानिक के रूप में देश की सेवा करी। रक्षा के क्षेत्र में उनके अभूतपूर्व योगदान की वजह से उन्हें मिसाइल मैन कहा जाने लगा। वर्ष 2002 में वे हमारे देश भारत के 11वें राष्ट्रपति चुने गए। जी हाँ दोस्तों, आप बिलकुल सही पहचान रहे हैं मैं परम आदरणीय डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के बारे में बात कर रहा हूँ।
दोस्तों उन्होंने सिद्ध कर दिया था कि शिक्षा, मेहनत और उसूलों के सहारे एक मछुआरे का बेटा भी राष्ट्रपति बन सकता है। उनके जीवन जीने के तरीक़े ने आम लोगों की जीवन के प्रति ढेरों ग़लत भ्रांतियाँ को तोड़ा और प्रेरणा देते हुए जीवन जीने का सही तरीक़ा सिखाया। लेकिन दोस्तों यह आसान नहीं था, वे अपने सपनों पर भरोसा करते थे और शायद इसीलिए विपरीत परिस्थितियों के बावजूद भी शिखर तक पहुँच पाए। आइए आज उनके जन्मदिवस पर उन्हीं के कहे 9 प्रेरणादायक विचारों को दोहरा कर समझने का, सीखने का प्रयास करते हैं जिससे हम भी अपने जीवन में शिखर तक पहुँच सकें-
पहला विचार - जिस तरह मेरी नियति ने आकार ग्रहण किया, उससे किसी ऐसे गरीब बच्चे को सांत्वना अवश्य मिलेगी जो किसी छोटी सी जगह पर सुविधाहीन सामाजिक दशाओं में रह रहा हो
दोस्तों उनका मानना था कि उन्होंने कोई बड़ा काम नहीं किया, बस ईश्वर उनके माध्यम से यह बताना चाहते थे कि आप किसी भी सामाजिक परिस्थिति में क्यों ना हो, आप जीवन में आगे बढ़ सकते हो। वे मानते थे कि इसी वजह से ईश्वर उनके ऊपर मेहरबान था, उन्हें प्रेरणा देता था। वे बस उसके दिखाए रास्ते पर चलते रहे।
दूसरा विचार - यदि आप विकास चाहते हैं तो देश में शांति की स्थिति होना आवश्यक है।
जी हाँ दोस्तों उन्होंने सिद्ध कर दिया था कि कोई भी व्यक्ति जाती, धर्म, परिस्थिति से ऊपर उठकर देश की सेवा कर सकता है। उनका मानना था कि किसी भी तरह के भेदभाव या अशांति के साथ देश का विकास सम्भव नहीं है।
तीसरा विचार - सपने वो नहीं होते जो आप सोने के बाद देखते हैं, सपने वो होते हैं जो आपको सोने नहीं देते।
कलाम साहब के जीवन को देखेंगे तो आप पाएँगे की उन्होंने बेहद गरीब और साधारण परिवार में जन्म लेकर भारत के राष्ट्रपति पद तक की यात्रा करी। यह आसान नहीं था लेकिन उन्हें अपने सपने पर विश्वास था। दोस्तों, अगर सपना वाक़ई आपका अपना है तो वह आपको प्रेरित करेगा। जब कोई चीज़ प्रेरणा देती है तो वह हमारी ऊर्जा बढ़ाती है। बढ़ी ऊर्जा हमें ना तो हमें थकने देती है ना ही हारने।
चौथा विचार - सबके जीवन में दुख आते हैं, बस इन दुखों में सबके धैर्य की परीक्षा ली जाती है।
सुख और दुःख दोनों ही जीवन का अभिन्न हिस्सा है। इस दुनिया में कोई भी ऐसा नहीं है जो इनसे बचा हो। बस आपको धैर्य के साथ इनसे ऊपर उठकर जीना सीखना है।
पाँचवाँ विचार - जीवन में सुख का अनुभव तभी प्राप्त होता है जब इन सुखों को कठिनाइयों से प्राप्त किया जाता है।
कहते हैं ना जिसने सहना सीख लिया, उसने रहना सीख लिया। जब आप सुख-दुःख, अपने-पराए सब से ऊपर उठकर जीवन में घटी हर घटना, फिर चाहे वह सफलता हो या असफलता को स्वीकार कर जीना सीख लेते हैं तब आप कठिन से कतीं परिस्थिति में भी सुखी रहना शुरू कर देते हैं। वैसे भी विपरीत परिस्थितियाँ ही हमें चीजों के सही मूल्य का एहसास कराती है।
छठा विचार - शिखर तक पहुंचने के लिए ताकत चाहिए, फिर चाहे वह माउंट एवरेस्ट हो या कोई अन्य शिखर या लक्ष्य।
कोई भी लक्ष्य आसान नहीं होता। जब भी आप कोई काम करते हैं तब ईश्वर आपको सफल बनाने से पहले टेस्ट करके देखता है की आप सफल होने या शिखर तक पहुँचने के लिए पूर्ण रूप से तैयार है या नहीं। ऐसा करके वह आपको विपरीत परिस्थितियों या नकारात्मक परिणामों से लड़ने के लिए तैयार करता है।
सातवाँ विचार - 'अगर हमें अपने सफलता के रास्ते पर निराशा हाथ लगती है इसका मतलब यह नहीं है कि हम कोशिश करना छोड़ दें क्योंकि हर निराशा और असफलता के पीछे ही सफलता छिपी होती है।’
जीवन में कई बार अपना सर्वश्रेष्ठ देनें के बाद भी हमें निराशा हाथ लगती है इसका मतलब यह नहीं है कि हम प्रयास ना करें। मान लीजिए कोई पेड़ कुल्हाड़ी के सौ वार से टूटना है तो उस पर पहले 99 वार करना होंगे। 99 बार से वह पेड़ नहीं टूटा इसका अर्थ यह नहीं है की 99 वार ख़ाली गए। असल में उन 99 वारों ने ही पेड़ को सौवें बार में टूटने लायक़ बनाया होगा। वैसे भी हर सफलता हमें अनुभव और सीख देकर सफल बनाती है।
आठवाँ विचार - इंतजार करने वालों को केवल उतना ही मिलता है, जितना कोशिश करने वाले छोड़ देते हैं।
इंतज़ार करने वालों से ज़्यादा प्रयास करने वाले सफल होते हैं क्यूँकि प्रयास करने वाले का लक्ष्य तय होता है और वह अपने लक्ष्य के हिसाब से मेहनत कर मनचाहा परिणाम प्राप्त कर सकता है।
नवाँ विचार - देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लासरूम के आखिरी बेंचों पर मिल सकता है।
दोस्तों बुद्धिमत्ता का स्तर परीक्षा में आये अंकों से नहीं आंका जा सकता। वह तो आपकी निर्णय लेने, ज्ञान को जीवन में उतारने और फिर से काम में लेने की क्षमता पर निर्भर करता है और कक्षा में आख़री बेंच पर बैठे बच्चे इसका इसी तरह प्रयोग करते हैं इसीलिए तो कहते हैं, 'देश का सबसे अच्छा दिमाग क्लासरूम के आखिरी बेंचों पर मिल सकता है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर