फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
सही सोचें, और पाएँ श्रेष्ठ परिणाम


Dec 25, 2021
सही सोचें, और पाएँ श्रेष्ठ परिणाम !!!
दोस्तों जैसा कि स्वामी विवेकानंद जी ने कहा है, ‘आप अपने बारे में जैसा सोचेंगे, आप वैसे ही बन जाएँगे। यदि आप स्वयं को कमजोर मानते हैं, तो आप कमजोर ही बनेंगे और यदि आप स्वयं को सक्षम मानते हैं, तो आप सक्षम ही बनेंगे।’ यही बात सफलता के लिए भी सौ प्रतिशत लागू होती है अर्थात् आप जीवन में उन्हीं ऊँचाइयों को छू पाते हैं, जिसकी कल्पना आपने की होती है। जी हाँ दोस्तों, मैं ऐसा सिर्फ़ इसलिए कह रहा हूँ क्यूँकि मैं जानता हूँ, इस दुनिया की सबसे ताकतवर चीज़ मानव मस्तिष्क है और इस मानव मस्तिष्क का काम सिर्फ़ सोचना है, यही सोच हमारे कर्म की दिशा तय करती है और कर्म हमारा भाग्य बनाता है, हमें प्रकृति से कुछ भी प्राप्त करने लायक़ बनाता है। इसीलिए तो फ़िल्म ओम् शान्ति ओम् में कहा था, ‘अगर पूरी शिद्दत से किसी चीज़ को चाहो तो सारी कायनात आपको उससे मिलाने में जुट जाती है।’ और यही बात आकर्षण के नियम का मूल सिद्धांत है।
आकर्षण का सिद्धांत कहता है, ‘आप अपने जीवन में उसी चीज़ को आकर्षित करते हैं, जिसके बारे में आप सोचते हैं।’ इसका अर्थ यह हुआ दोस्तों कि आपकी प्रबल सोच हक़ीक़त बनने का कोई ना कोई रास्ता निकाल ही लेती है। इसे मैं आपको बचपन में सुनी एक मज़ेदार कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ।
जूते-चप्पल बनाने वाली एक कम्पनी ने अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए अपने उत्पाद उन देशों को निर्यात करने का निर्णय लिया जहाँ वे पहले कार्य नहीं करते थे। अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए कम्पनी ने अपने सबसे अनुभवी और सीनियर सेल्समैन को ऐसे ही एक देश में भेज दिया। उस देश के सभी लोगों को नंगे पैर देखकर सेल्समैन को बड़ा आश्चर्य हुआ। शुरू में उसे लगा इस देश में तो बहुत माल बिकेगा। उसने तुरंत बीच बाज़ार में एक अच्छी जगह ली और उसमें जूते-चप्पल की दुकान खोल ली। खूब सारा माल बेचने का उसका सपना जल्द ही चकनाचूर हो गया क्यूँकि वह उस देश में किसी को भी जूते-चप्पल ख़रीदने के लिए प्रेरित नहीं कर पा रहा था। परेशान होकर उसने अपनी कम्पनी को पत्र लिखते हुए कहा, ‘महोदय, इस देश में कोई भी चप्पल-जूते नहीं पहनता है इसलिए यहाँ कारोबार करना असम्भव है। मेरा सुझाव है कि कम्पनी को नुक़सान से बचाने के लिए हमें तत्काल प्रभाव से इस देश में अपना व्यवसाय बंद कर देना चाहिए।’
वरिष्ठ अधिकारी उस अनुभवी सेल्समैन के सुझाव पर उस देश में अपना व्यवसाय बंद करने का निर्णय लेते उसके पहले ही एक युवा सेल्समैन ने कम्पनी के वरिष्ठ अधिकारियों से कहा, ‘महोदय, मुझे उस देश में कार्य करने का एक मौक़ा दें। अगर मैं व्यवसाय जमाने में सफल हो गया तो ठीक अन्यथा अपने पद से इस्तीफ़ा दे दूँगा।’ युवा सेल्समैन की बात सुन अधिकारी ने सोचा कि नुक़सान होना तो तय ही है तो क्यूँ ना एक बार यह प्रयास भी कर के देख लिया जाए?
अधिकारी से अनुमति पा वह युवा सेल्समैन बिना समय गँवाए उस देश पहुँच गया। वहाँ जाकर उसने अपने स्तर पर प्रयास करने शुरू किए और जल्द ही उसका सुखद परिणाम मिलना शुरू हो गया। उसने तुरंत अपने वरिष्ठ अधिकारी को पत्र लिखा और कहा, ‘महोदय, इस देश में कोई भी चप्पल-जूते नहीं पहनता है इसलिए यहाँ व्यापार करने की सम्भावना बहुत अधिक है। पूर्व में लाया हमारा सारा माल बिक गया है कृपया तत्काल और सामान भेजें। बल्कि मेरा तो सुझाव है कि हम यहाँ जूते चप्पल बनाने की फ़ैक्टरी ही खोल लें।’
अधिकारी सारा माल बिकने की खबर सुन आश्चर्यचकित थे। एक ओर जहाँ उनका सबसे अनुभवी और वरिष्ठ सेल्समैन असफल रहा था, वहीं कम्पनी के सबसे युवा सेल्समैन ने सारा माल बेच दिया था। अधिकारियों ने युवा सेल्समैन से उसकी सफलता का राज पूछा तो वह बोला, ‘महोदय, चूँकि यहाँ के लोग जूते-चप्पल पहनते ही नहीं थे, इसलिए उन्हें उसके लाभ का अंदाज़ा नहीं था। मैंने इस देश में आने के बाद कुछ लोगों को ज़बरदस्ती अपनी तरफ़ से जूते-चप्पल पहनने को दिए। कुछ ही दिनों में वे जूते-चप्पल पहनने का फ़ायदा समझ गए और उसके बाद से तो हमारी दुकान के बाहर चप्पल-जूते खरीदने वालों की लाइन लगी रहती है।’
दोस्तों, कम्पनी के दोनों सेल्समैन के सामने एक जैसी परिस्थितियाँ थी। एक ने उन परिस्थितियों में समस्या देखी और वह असफल हो गया और दूसरे ने उसमें सम्भावनाओं को देखा और वह सफल हो गया। सीधे शब्दों में कहा जाए दोस्तों तो सोचने के तरीक़े ने ही एक को सफल और एक को असफल बनाया था। इसीलिए तो कहते हैं, ‘आप अपने जीवन में सफलता के उसी स्तर या शिखर तक पहुँच पाते हैं, जहाँ तक पहुँचनें का सपना आपने देखा था।’ वैसे यही बात गौतम बुद्ध ने भी कही है, ‘हम जो कुछ भी हैं, वो हमने आज तक क्या सोचा, इस बात का परिणाम है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर