फिर भी ज़िंदगी हसीन हैं...
11 बहाने जो आपके सपनों को पूरा होने से रोकते हैं


July 10, 2021
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
11 बहाने जो आपके सपनों को पूरा होने से रोकते हैं…
बात वर्ष 2010 की है, मैं अपने गुरु श्री राजेश अग्रवाल सर के पास किसी आवश्यक विषय पर चर्चा करने के लिए गया था। शुरुआती बातचीत के बाद हमेशा की तरह सर ने मुझसे मेरे 5 सपनों के बारे में पूछा। मैं पूरी तरह तैयार था क्यूंकि वह यही प्रश्न मुझसे हर मुलाक़ात के दौरान पूछा करते थे। मैंने तुरंत अपने अगले 5 सपने सर को सुना दिए। सर ने मेरे सपनों की लिस्ट सुनते ही कहा, ‘निर्मल, यह सपना तो तुम 31 दिसम्बर तक पूरा करना चाहते थे, अब तो दो माह ऊपर हो गए हैं।’ मैंने तुरंत सर को सपने पूरा ना होने की वजह सुना दी। मेरे इस जवाब पर सर ने मुझे उनके द्वारा लिखी कविता ‘मैं और मेरे सपने’ सुनाई। उस कविता के पूरा होते-होते मुझे बहुत अच्छे से एहसास हो गया था की मेरे द्वारा बताए गए कारण बहाने से अधिक कुछ भी नहीं थे।
दोस्तों हम में से ज़्यादातर लोगों के साथ ऐसा ही होता है। हम जीवन में बहुत बड़े-बड़े सपने देखते हैं, उन्हें सच करना चाहते हैं और उन्हें पूरे करने की क्षमता भी हम में होती है लेकिन हमारी कुछ आदतें और उन आदतों की वजह से बनाए गए बहाने, उनकी हत्या कर देते हैं।
दोस्तों यह आदतें हमारी दिनचर्या में ऐसे शामिल हो जाती हैं की कई बार तो हमें एहसास ही नहीं हो पाता की हमारे सपनों के सच होने में एकमात्र रोड़ा सिर्फ़ और सिर्फ़ हमारे द्वारा बनाए गए बहाने हैं। यह बहाने हमारी प्रेरणा अर्थात् मोटिवेशन को खत्म कर देते हैं और बिना प्रेरणा कुछ बड़ा कर पाना असंभव है। आईए आने वाले तीन दिनों में हम उन मुख्य ग्यारह बहानों को पहचानते हैं जो हमारे सपनों को सच होने से रोक देते हैं-
पहला बहाना - मैं बहुत थक गया हूँ
जी हाँ दोस्तों, इस लिस्ट में सबसे पहला बहाना है ‘मैं बहुत थक गया हूँ!’ सोच कर देखिए जो काम आप खुद करना चाहते उसके लिए आपने कभी खुद से कहा है कि ‘मैं अभी थका हुआ हूँ इसलिए यह काम नहीं कर पाऊँगा?’ कभी नहीं, असल में हम यह सिर्फ़ और सिर्फ़ अपने आलस की वजह और काम टालने की प्रवृति के कारण करते हैं। वैसे कई बार हम ‘असफल होने के डर’ अथवा उस कार्य में रुचि ना होने की वजह से भी ऐसा करते हैं।
इसे मैं आपको एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ, मान लीजिए किसी दिन आपको अत्यधिक कार्य की वजह से 14 से 16 घंटे तक कार्य करना पड़ गया और आप अत्यधिक थक गए और आराम करने के लिए लेट गए। लेटने के बाद आपके परिवार के सदस्य ने आपको कुछ कार्य बताया तो आपका जवाब क्या होगा? निश्चित तौर पर आप कहेंगे, ‘अभी मैं थक गया हूँ, बाद मैं कर दूँगा।’ अब दूसरी परिस्थिति लेकर देखिए, आप इतने ही थके हुए हैं और अचानक आपका दोस्त आपके पास आता है और कहता है, ‘यार तुम्हारा पसंदीदा हीरो हमारे शहर में आया हुआ है और मैं तुम्हें उससे इसी वक्त मिलवा सकता हूँ। अब आपका जवाब क्या होगा? निश्चित तौर पर आप मिलने के लिए राज़ी हो जाएँगे।
सारी परिस्थितियाँ वही थी, आपकी थकान भी उतनी ही थी लेकिन कार्य करने का, ऐक्शन लेने का आपका तरीक़ा बदल गया। अर्थात् जो कार्य हमारी प्राथमिकताओं में होता है उसे हम हर विषम परिस्थिति के बाद भी करना चाहते हैं और जो हम नहीं करना चाहते उसे टाल देते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, जो लोग सफल होना चाहते हैं वे बहाना बनाने के स्थान पर वास्तव में वे कार्य करते हैं, जो वे करना चाहते हैं। अगर आप भी उनमें शामिल होना चाहते हैं तो बहाना छोड़िए और डर के बाद भी काम शुरू कीजिए, पहला कदम उठाइए।
दूसरा बहाना - टाइम ही नहीं मिलता
दोस्तों ईश्वर ने सफल और असफल दोनों लोगों के लिए ही दिन 24 घंटे का बनाया है। समय पर कार्य करना या ना कर पाना दोनों ही पहले बिंदु की तरह हमारी प्राथमिकताओं पर निर्भर करते हैं। वर्ष 2010 में ही मैंने अपने गुरु राजेश सर से एक प्रश्न किया था, ‘सर मैं अपने टाइम मैनेजमेंट को कैसे सुधारूँ।’ सर ने जवाब दिया, ‘अपने माइंड को मैनेज करना सीख कर।
जी हाँ दोस्तों अगर आपको अपने कार्य को समय पर पूर्ण करने के लिए समय कम पद रहा है तो एक बार अपने दिन को बारीकी से देखिए, आप कहाँ कितना समय लगाते हैं उसका ऑडिट करें। अपनी प्राथमिकताएँ तय करें और उसके आधार पर कार्य करें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर