दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
अलग बनें और अपनी अलग पहचान बनाएं


March 13, 2021
अलग बनें और अपनी अलग पहचान बनाएं
क्या आपने ध्यान दिया कि महिलाओं के हैंडबैग धीरे-धीरे वापसी कर रहे हैं? आपको महामारी के पहले के और अब के हैंडबैग्स में कुछ अंतर दिखता है? कोरोना से बाद ज्यादातर महिलाओं को बैंक कार्ड, चाबियां, फोन के साथ मास्क और सैनिटाइजर की जरूरत होती है। इसलिए हैंडबैग की जरूरत न होने से वे गायब होने लगे। लेकिन वे अब चमक दिखाते हुए वापसी कर रहे हैं। मैं बात कर रहा हूं रंगीन हैंडबैग्स की। वे दिन गए जब गार्डन ब्लैक और ब्राउन लेदर बैग आम थे, जो हर ड्रेस के साथ जंचते थे। आज लेमन, ऑरेंज, बेरी पिंक, रेड, पर्पल और लाइम जैसे चमकदार रंगों के हैंड्सफ्री शोल्डर बैग फैशन में हैं। कुछ रंगों के तो शायद आपने नाम ही न सुने हों, जैसे शुगर माउस पिंक, पर्मा वॉयलेट, एसिड येलो, एगेव ग्रीन और बार्बी पिंक। आखिरी के अलावा, मैं किसी और रंग की कल्पना भी नहीं कर पाता।
मैंने पिछले रविवार एक हाई-प्रोफाइल पार्टी में एक महिला से पूछा, तो वे बोलीं चूंकि मास्क से चेहरा ढंका रहता है, इसलिए महिलाएं चमकदार रंगों से अलग दिखना चाहती हैं, भले ही ये उनके कपड़ों से मेल न खाएं। कुछ महिलाएं, जो अलग स्टाइल नहीं अपनाना चाहतीं, अब भी मस्टर्ड, कोरल, लाल और हरे के गहरे शेड्स जैसे क्लासिक रंग चुन रही हैं। मैं उनके एक मनोवैज्ञानिक कारण से भी सहमत था। उन्होंने कहा, ‘जब महिला उदास होती है, तब सही और चमकदार हैंडबैग उसे थोड़ा साहसी, जोशीला और आशावादी महसूस कराता है। चमकदार रंगों का मतलब यह नहीं है कि महिला अक्खड़ है या उससे डरने की जरूरत है।’
उन्होंने कितना सही कहा। यहां तक कि प्रकृति ने भी कुछ उत्पाद ऐसे बनाए हैं, चमकदार लेकिन प्यारे। चमकदार रंगों के हैंडबैग्स ने मुझे तेलंगाना के वारंगल की यात्रा याद दिला दी, जो लाल मिर्च के लिए जानी जाती है और इन महीनों में सड़क किनारे खूब बिकती है। इस मिर्च का छिलका गूदेदार होता है और सूखने पर लेदर की तरह थोड़ी सख्त हो जाती है। इसे तेलुगू में ‘पांडू मिरापाकाया’ कहते हैं। ये पकी लाल मिर्च खुशबूदार होती हैं और मुंह में मिठास छोड़ देती हैं। फिर भी इन्हें कच्चा नहीं खाते और व्यंजनों को रंग देने के लिए बहुत अच्छा मानते हैं। इन्हें अचार में ज्यादा इस्तेमाल करते हैं, जिन्हें पारदर्शी मर्तबान में रखा जाता है। ये देश के उस हिस्से में अन्य मिर्चियों से अपनी अलग पहचान रखती हैं, जहां बहुत मसालेदार खाना खाया जाता है और यहां तक कि मैक्डोनाल्ड जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनियां भी अपने वैश्विक मापदंडों से हटकर मसालेदार बर्गर बनाती हैं।
इसी तरह तमिलनाडु के मदुरै में एक छोटा गांव है, जिसे तमिल में ‘ओत्तैवीडू’ (एक घर) कहते हैं। इसमें करीब 250 घर और 650 वोटर हैं। यहां परंपरा है कि लोगों को पोस्टर चिपकाना और बैनर लगाने की मनाही है। झंडे, लाउडस्पीकर लगाना और प्रचार के लिए नेताओं या उम्मीदवार का प्रवेश तथा मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए पैसे बांटना मना है। वे इसका पालन तीन पीढ़ियों से कर रहे हैं। सभी राजनीतिक पार्टियां गांव के नियम मानती हैं। ग्रामीण, उम्मीदवारों को गांव के प्रवेश-स्थान पर बुलाते हैं, उनके चुनावी वादे सुनकर वापस भेज देते हैं। विरुधुनगर जिले के मरुधनगुलम गांव में उम्मीदवारों को लाउडस्पीकर या बैनर आदि के बिना प्रचार करने देते हैं।
फंडा यह है कि प्रकृति को भी अलग दिखना पसंद है, लेकिन वह अंतर उसे और मीठा व प्यारा बनाया, तीखा (पढ़ें घमंडी) नहीं। इसलिए अलग बनें और ज्यादा उदार बनें।

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-