दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
आपका प्लेट मैनेजमेंट क्या है


Aug. 8, 2021
आपका प्लेट मैनेजमेंट क्या है?
आइए इस रविवारीय क्विज से शुरुआत करते हैं। इसका मिलान करें : एक तरफ दो शब्द हैं रोटी और फरा वहीं दूसरी ओर हैं चावल और स्नैक। हममें से अधिकांश लोग दोनों सही नहीं बता पाएंगे।
जब कोई आपको न सिर्फ नाश्ते के लिए आमंत्रित करे बल्कि सुबह 9 बजे अपने घर से आपको लेने के लिए होटल भी पहुंच जाए और उनके घर की डायनिंग टेबल पर बैठे हुए वह आपसे पूछे कि ‘कितनी रोटी खाएंगे’, तब आपके दिमाग में क्या ख्याल आएँगे? मैंने अपनी कलाई घड़ी देखी, उसमें अभी सिर्फ 9.10 ही हो रहा था। और मैं कुछ सेकंड पहले सुने शब्द ‘रोटी’ के सदमे से अभी तक बाहर नहीं आ पाया था।
मेरे चेहरे की हवाइयां उड़ी देखकर मेरे पत्रकार मित्र की पत्नी बोलीं, ‘ये रोटी आटा नहीं, चावल से बनी हैं।’ सुनकर मैं और चौंक गया। और तब मेरे अंदर से कुछ आवाज आई, ‘तमिल होने के नाते आप भले ही चावल को लंच और डिनर में मुख्य भोजन के रूप में खाते हैं, लेकिन इस वक्त ऐसे प्रदेश में हैं, जो देश के धान का कटोरा कहलाता है।’ यही कारण है कि इस राज्य छत्तीसगढ़ में चावल से करीब 22 तरह के व्यंजन बनते हैं, जिन्हें अवश्य ही आजमाना चाहिए।
और तब आया छत्तीसगढ़ का जरूरी नाश्ता-फरा। चावल से बना ये व्यंजन देसी स्टाइल का परफेक्ट मोमो था। पतली लोई के आकार में, लेकिन पतला और कम से कम मसाले और धनिया के साथ। इन चावल की लोई को 15 मिनट तक भाप में पकाया जाता है फिर गर्मागर्म ही टमाटर की मसालेदार तीखी चटनी या मिर्ची-धनिया की चटनी के साथ परोसा जाता है।
और तब मुझे ये समझ आया कि कुछ लोग ऐसा सोचते हैं कि अपनी प्लेट में अगर हम बुनियादी खाद्य समूहों पर ही ध्यान दें, तो सेहतमंद खाना बिल्कुल आसान है और इसके लिए फैशनेबल डाइट और सप्लीमेंट्स लेने की जरूरत नहीं है। एक बार में आपके सारे व्यंजन सिर्फ एक ही अनाज से आ सकते हैं और उन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जा सकता है- जैसे आप एक डिश को रोटी कह सकते हैं, लेकिन वह चावल से बनी भी हो सकती है!
सेहतमंद भोजन सिर्फ सप्ताहांत तक सीमित गतिविधि नहीं है, बल्कि रोज का काम है, जो जीवनभर चलने वाली प्रक्रिया है। कई क्लीनिकल पोषण विशेषज्ञों को मैंने कहते हुए सुना है कि ‘हम जो खाते हैं वह हमारे जीन के अनुकूल होना चाहिए। जो हमारे पूर्वज खाते थे, उसे विदेशी डाइट्स आदि से बदलना या गड़बड़ नहीं करना चाहिए।’ और मैंने उन्हें ये भी कहते हुए सुना है कि ‘हम अपने वजन को लेकर सनकी होते हैं, जबकि हमारा ध्यान सेहतमंद और चुस्त होने पर होना चाहिए।’
मैं सेहतमंद भोजन के संदर्भ में हमेशा अपने दादाजी की बार-बार कही बात याद करता हूं- ‘अपना मुंह बंद करो और खाओ।’ और जब मैं उनकी बात को हंसी में उड़ा देता था कि कोई अपना मुँह बंद करके कैसे खा सकता है, तब वह मुझे समझाते कि जब कोई ‘बिना किसी व्यवधान के ध्यान से खाता है, तब न सिर्फ खाने को बेहतर चबाता है और अंतत: इससे पाचन और पोषक तत्वों का अवशोषण भी बेहतर हो पाता है।’
बहुत सारे लोग अपने भोजन की मात्रा का अंदाजा नहीं लगा पाते क्योंकि ये एक के बाद एक परोसा जाता है। पर मेरे सहकर्मी विजय शंकर मेहता के पास इसके लिए एक उपाय है। वह जो कुछ भी खाना चाहते हैं, अपनी मीडियम आकार की प्लेट में सब एक बार में ही ले लेते हैं। इसका मतलब है कि उन्हें पता होता है कि वह क्या और कितना खाने जा रहे हैं। मैंने उन्हें कभी भी दूसरी बार कोई पकवान लेते हुए नहीं देखा, भले ही वह कितना ही लजीज़ क्यों न हो।
फंडा यह है कि जीवनशैली से संबंधित बीमारियों से बचना चाहते हैं, तो प्लेट और खानपान संबंधी मैनेजमेंट के लिए अपना सिलेबस खुद बनाएं।

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