दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
उत्पाद और लोगों, दोनों के लिए जरूरी हैं मूल्य
March 9, 2021
उत्पाद और लोगों, दोनों के लिए जरूरी हैं मूल्य
ड्राइवर केबी श्रीनिवास ने 25 मई 2013 की आधी रात को टाटा सूमो सर्विस रोड पर रोकी क्योंकि उसे लघुशंका के लिए जाना था। वह लौटा तो उसकी एसयूवी गायब थी। उसने पुलिस में शिकायत की। पुलिस ने जांच की और एसयूवी को लापता घोषित कर सर्टिफिकेट जारी कर दिया। इससे एसयूवी के मालिक नागेंद्र, बीमा कंपनी में 5.5 लाख रुपए के बीमा दावा का आवेदन कर पाए। इंश्योरेंस सर्वेयर ने जांच में पाया कि ड्राइवर श्रीनिवास ने एसयूवी में चाबी छोड़ दी थी और उसकी लापरवाही से गाड़ी चोरी हुई, इसीलिए मामला बीमा दावे के योग्य नहीं है। रिपोर्ट से नागेंद्र भड़क गए और 23 मई 2015 को बेंगलुरु के उपभोक्ता शिकायत निवारण आयोग में बीमा कंपनी के खिलाफ शिकायत की।
बीमा कंपनी के वकील ने जोर दिया कि गाड़ी में चाबी छोड़ना बीमित वाहन के उपयोगकर्ता की बड़ी चूक थी। उसने यह भी कहा कि ग्राहक को गलती का एहसास हुआ और उन्होंने पुलिस के साथ यह साबित करने की कोशिश की कि जब एसयूवी खोई तो चाबियां ड्राइवर के पास थीं। पांच साल और आठ महीने की मुकदमेबाजी के बाद, 6 फरवरी 2021 को बेंगलुरु उपभोक्ता फोरम के जजों ने माना कि गाड़ी में चाबियां छोड़ना ड्राइवर की लापरवाही थी, जिसके कारण गाड़ी चोरी हुई, इसलिए बीमा का दावा नहीं हो सकता।
इससे पहले कि मैं इस घटना के सबक पर चर्चा करूं, मैं कोलकाता के एक कार्यक्रम की बात करता हूं, जहां अमूल के एमडी रुपिंदर सिंह सोढी ने समूह की सफलता के मूल सिद्धांत बताए थे। उन्होंने कहा, ‘उत्पादक (किसान) को ज्यादा से ज्यादा दें, उपभोक्ता को ज्यादा से ज्यादा दें। वे संतुष्ट होंगे तो व्यापार फलेगा-फूलेगा।’ वे गर्व से कहते हैं, ‘1974 में अमूल की स्थापना से अब तक हम आधारभूत मूल्य व्यवस्था से जुड़े हुए हैं। हमने सिर्फ ज्यादा लाभ के लिए खुद को नहीं बदला। समय के साथ हमें बदलना होता है, लेकिन अपने मुख्य मूल्य बरकरार रखना बहुत जरूरी है। मैं अपने पूरे कॉर्पोरेट कॅरिअर में मैनेजमेंट से मेरे कर्मचारियों के अच्छे वेतन के लिए लड़ते हुए आगे बढ़ा हूं क्योंकि मुझे हमेशा लगता है कि इससे मुझे उस कर्मचारी से अपने तरीके से, तय गुणवत्ता के लिए स्टैंडर्ट ऑपरेटिंग प्रोसीजर से काम करवाने का ज्यादा अधिकार मिलता है। मुझे शॉर्टकट पसंद नहीं।’
अब वापस बीमा मामले पर आता हूं। चूंकि मुझे श्रीनिवास का वेतन और नागेंद्र की मूल्य व्यवस्था नहीं पता, मैं उनपर टिप्पणी नहीं कर सकता। लेकिन मैंने अक्सर देखा है कि महंगी गाड़ियां खरीदने वाले कम वेतन वाले ड्राइवर चाहते हैं। जब से मैंने ड्राइवर रखना शुरू किया है, पिछले 35 सालों में मेरे केवल तीन ड्राइवर रहे हैं, जिसमें अभी वाला भी शामिल है, जो मेरे साथ तीन साल से है। मेरे सभी ड्राइवरों की मेरे दोस्तों में काफी मांग रही, जो हमेशा मुझसे लंबी ट्रिप के लिए मेरा ड्राइवर भेजने कहते हैं। मेरे पिछले दोनों ड्राइवर आज मेरे आंत्रप्रेन्योर दोस्तों की कंपनी में नियुक्त हैं और वहां उनकी परिवार के विश्वसनीय सदस्य की हैसियत है। ऐसा इसलिए क्योंकि मैं उन्हें हर दिन जीवन के मूल्यों के बारे में बताता रहता था।
फंडा यह है कि हर उत्पाद में ‘वैल्यू फॉर मनी’ यानी कीमत का पूरा लाभ देने की खूबी होनी चाहिए। लेकिन लोगों के मामले में उन्हें उचित पैसा दें और उन्हें इस तरह विकसित करें कि वे ‘वैल्यू फॉर मैनी’ यानी कईयों को लाभ देने वाले बन जाएं।