दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
दिल इत्र की तरह है, इसे संभलकर खोलें और बंद करें


June 12, 2021
दिल इत्र की तरह है, इसे संभलकर खोलें और बंद करें
किसी ने क्या खूब कहा है: दिल इत्र (परफ्यूम) की शीशी जैसा है। अगर इसे नहीं खोलेंगे तो अंदर की खुशबू किसी को पता नहीं चलेगी और खुला रखेंगे तो सारी खुशबू उड़ जाएगी। इसलिए इसे सिर्फ उनके लिए खोलें जो दिल को छुएं और विश्वास करें।
मुझे इसका महत्व तब महसूस हुआ, जब यूके में रहने वाले मेरे चचेरे भाई ने गुरुवार को व्यस्ततम ‘लंदन रॉयल पार्क’ से वीडियो कॉल किया। मैंने वहां एक साइनबोर्ड देखा जिसपर दूरी बनाए रखने और किसी भी वन्यजीव को खाना न देने तथा उन्हें प्राकृतिक बसेरे में देखने का निवेदन लिखा था। मैंने भाई से कहा, ‘यह नया बोर्ड लग रहा है। मैंने पिछली यात्रा में इसे नहीं देखा था।’ वह तुरंत बोला, ‘सलाम है तुम्हारे ऑब्जर्वेशन को। हां, पर्यटकों से जानवरों को कुछ खाने न देने का निवेदन करने वाले ऐसे 250 बोर्ड पार्क में लगाए गए हैं।‘
सिर्फ भारत में ही नहीं, दुनियाभर में सहृदय लोग जल स्रोतों पर बत्तखों को ब्रेड खिलाते हैं। लेकिन क्या आपने ध्यान दिया कि जब खिलाना शुरू करते हैं, अचानक कहीं से ढेरों बत्तख नजदीक आ जाती हैं और कुछ बत्तख दूसरों पर धौंस जमाती हैं, सबसे ज्यादा खाती हैं और जब आपके पास देने को कुछ नहीं बचता तो चली जाती हैं। फिर वहां बची बत्तखों को आप खिलाना चाहते हैं, पर वे भूखी रह जाती हैं। एक बत्तख को ज्यादा खिलाकर आपने बत्तख परिवार में एक गैंग लीडर बना दिया। आपकी ऐसी मंशा नहीं थी, लेकिन नुकसानदेह नतीजे हो गए। पहले वन्यजीवों को खिलाने की अनुमति थी क्योंकि अधिकारियों को लगता था कि इससे लोग उनसे जुड़ते हैं। लेकिन ज्यादा ब्रेड या रोटी से उनका पेट तो भर जाता है, पर जरूरी विटामिन, मिनरल और पोषण नहीं मिलता।
आज के संदर्भ में ये पार्क और चिड़ियाघर सिर्फ देखकर आनंद लेने के लिए हैं। भारतीय संदर्भ में वे ‘पुण्य’ कमाने की जगह नहीं रह गए। पानी के पक्षियों या इंसानों से दोस्ताना व्यवहार करने वाले जानवरों की थोड़ी संख्या से ही पार्क और चिड़ियाघर चल सकते हैं। भरपूर खाना, यानी ज्यादा आबादी, लेकिन बिना अतिरिक्त जगह के पक्षी तनावग्रस्त हो जाते हैं और बीमारी फैलने का जोखिम बढ़ता है। अगर संख्या बढ़ेगी तो कुछ दबंग नर पूरे समूह पर धौंस जमाएंगे। अगर आप चिड़ियाघर में मरने वाले पक्षियों की संख्या देखेंगे तो इसमें मादाएं ज्यादा होंगी। क्योंकि वे उनकी शरीर की क्षमता से ज्यादा बार गर्भवती हो जाती हैं। हम ध्यान नहीं देते और उनकी दीर्घायु तथा किसी प्रजाति की औसत उम्र से ज्यादा, उनकी संख्या देखकर संतुष्ट होते हैं।
वन्यजीवों को खिलाने से उनका प्राकृतिक व्यवहार भी रुक जाता है, जहां हेरोन्स जैसे कुछ पक्षी तालाब के किनारों पर कीड़ों का शिकार करने की बजाय इंसानों से खाने की भीख मांगने लगते हैं। याद रखें कि हमेशा पर्याप्त प्राकृतिक खाना होता है, जैसे पौधे, घास और कीड़े। अगर आपको लगता है कि उन्हें खाना देने की जरूरत है तो स्वीट कॉर्न और हरे मटर जैसी सब्जियां चुनें।
इसमें हैरानी नहीं कि लंदन पार्क ‘नेचर थ्राइव कैंपेन’ के तहत सभी आगंतुकों को जानकारी देना चाहते हैं, जो वन्यजीवों को खाना खिलाने में वक्त खर्चने की बजाय बर्ड स्पॉटिंग, वाइल्ड लाइफ ट्रेल और फोटोग्राफी प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले सकते हैं।
फंडा यह है कि बेशक इंसान का दिल इत्र की तरह है। लेकिन बहुत खुशबू से दूसरों का सिरदर्द होने लगता है, जिसका अंदाजा शायद अच्छे इंसानों को नहीं होता।

Be the Best Student
Build rock solid attitude with other life skills.
05/09/21 - 11/09/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - For all minors (below 18 Yrs)
Duration - 14hrs (120m per day)
Investment - Rs. 2500/-

MBA
( Maximize Business Achievement )
in 5 Days
30/08/21 - 03/09/21
Free Introductory briefing session
Batch 1 - For all adults
Duration - 7.5hrs (90m per day)
Investment - Rs. 7500/-

Goal Setting
A proven, step-by-step workshop for setting and achieving goals.
01/10/21 - 04/10/21
Two Batches
Batch 1 - For all adults (18+ Yrs)
Batch 2 - Age group (13 to 18 Yrs)
Duration - 10hrs (60m per day)
Investment - Rs. 1300/-