दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु
बाकी लोगों से अलग कैसे बनें


March 1, 2021
बाकी लोगों से अलग कैसे बनें?
मंगल और पृथ्वी हर दो साल में एक विशेष स्थिति में आते हैं। इसलिए अगर लॉन्चिंग का ये मौका चूक गए तो दो साल इंतजार करना पड़ता। इसलिए भारतीय-अमेरिकी नासा वैज्ञानिक डॉ स्वाति मोहन पर बहुत दबाव था, जो पिछले हफ्ते मंगल ग्रह पर हुई परसेवरेंस रोवर की लैंडिंग की लीड गाइडेंस नैविगेशन और कंट्रोल सबसिस्टम इंजीनियर थीं।
जब बेंगलुरु में जन्मी स्वाति का नासा द्वारा जारी वीडियो जारी किया गया तो उनके माथे की छोटी-सी बिंदी सोशल मीडिया पर चर्चा में आ गई। ज्यादातर उनके अमेरिकियों के बीच बिंदी लगाने के साहस से प्रभावित थे, खासतौर पर उनके पद को देखते हुए। भौंहों के बीच एक छोटी बिंदी बताती है कि उनके माता-पिता ने उन्हें भारतीय होने के मूल्य कितने अच्छे से सिखाए हैं।
जब मैं भोपाल के लिए अपनी एयर इंडिया फ्लाइट में मोबाइल पर स्वाति का इंटरव्यू पढ़ रहा था, मुझे एहसास हुआ कि विमान की कैप्टन भी महिला थीं। फ्लाइट में उद्घोषणा के दौरान उनकी शानदार आवाज और अंग्रेजी पर अच्छी पकड़ ने मेरे जैसे व्यक्ति का भी ध्यान खींच लिया क्योंकि मैं कुछ भी पूरी तरह डूबकर पढ़ता हूं और टीवी का शोर भी मुझे परेशान नहीं कर सकता। लेकिन कैप्टन नीलम इंग्ले लोबो की मधुर आवाज और उनके शब्दों के चयन ने मेरा ध्यान भंग किया। उन्होंने अंग्रेजी में कहा, ‘हम अभी समुद्रतल से 31 हजार फीट की ऊंचाई पर उड़ रहे हैं, जो 9.5 किमी होता है। मुंबई से भोपाल के बीच की दूरी 801 किमी है, जो करीब 433 नॉटिकल मील के बराबर है, जिसे हम 70 मिनट में तय करेंगे। और बेशक फ्लाइट के दौरान हमारा खूबसूरत क्रू आपके आराम का पूरा ख्याल रखेगा।’ फिर उन्होंने यात्रियों के तीन वर्गों को संबोधित किया, जो उन्होंने खुद ही तय किए थे। वे बोलीं, ‘जो अपने घर भोपाल लौट रहे हैं, उनका घर में स्वागत है और जो भोपाल किसी बिजनेस के सिलसिले में जा रहे हैं, मैं उनकी सफलता की कामना करती हूं और जो भोपाल से अन्य जगह की यात्रा करेंगे, उनकी सुरक्षित यात्रा की कामना करती हूं।’ और जब नीलम ने एयरबस 320 को राजा भोज एयरपोर्ट पर उतारा तो ज्यादातर यात्रियों को लगा कि जैसे मक्खन पर चाकू चला हो। वह बिना झटके की, बिल्कुल सहज लैंडिंग थी। नीलम गणित में, शब्दों में और हवाईजहाज संभालने में पर्फेक्ट थीं।
आमतौर पर मैंने देखा है कि कैप्टन सपाट संवाद करते हैं और यात्रियों को जरूरी जानकारी देते हैं। लेकिन कैप्टन नीलम के संवाद में अतिरिक्त गर्माहट थी, जिसने उन्हें अलग बनाया। जैसे उन्होंने ‘क्रू’ के साथ ‘हमारे खूबसूरत’ जोड़ा, जिससे सैकड़ों सकारात्मक अर्थ जुड़ गए, जैसे क्रू जोशीला, परवाह करने वाला हैं और आपकी सेवा में हाजिर हैं। नकारात्मक सोचने वालों के लिए यह बाहरी खूबसूरती हो सकती है और लोग उनके विशेषण पर व्यंग्यात्मक मुस्कान दे सकते हैं।
लेकिन मैं जानता हूं कि कैप्टन नीलम नकारात्मक प्रतिक्रिया से परेशान नहीं होंगी। उनके मूल्य यह हैं कि यात्रियों को आराम और खुशी मिले। लैंडिंग के बाद मैंने मुंबई में क्रू की प्रमुख, मेरी कज़िन गीता सुरेश से कैप्टन नीलम के रवैये के बारे में पूछा, जो मुझे बहुत अलग लगा। और उसने एक वाक्य में जवाब दिया, ‘भैया, नीलम हर तरह से खूबसूरत हैं।’
फंडा यह है कि अपना मूल्य तंत्र तय करें और उसे जीवन में अपनाएं। वह आपके ड्रेस कोड से लेकर नंबरों में निपुण होना या शब्दों का चयन तक हो सकता है। और फिर देखें कि दुनिया हमें कैसे अलग नजरिए से देखती है।

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