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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

सीखने के लिए खेल दिमाग का पसंदीदा तरीका है

सीखने के लिए खेल दिमाग का पसंदीदा तरीका है
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March 4, 2021

सीखने के लिए खेल दिमाग का पसंदीदा तरीका है


यह अमेरिकन कवि, डाएन एकरमैन का मशहूर विचार है। मैं जानता हूं इसे पढ़ने के बाद कुछ माता-पिता के चेहरे पर व्यंग्यात्मक मुस्कान आएगी। मुझे उनसे सहानुभूति है क्योंकि महामारी के हमले के बाद से ज्यादातर बच्चे दिनभर खिलौनों या कम्प्यूटर से ही खेल रहे हैंI मुझे भरोसा है कि यह कहानी ऐसे माता-पिता के तंज को कम करने में मदद करेगी और बच्चों के भविष्य को लेकर उम्मीद देगी।


बचपन में उसे चीजें बनाने का शौक था। वह बस लेगो और मेक्कानो के खिलौने खेलता रहता था, जिनमें ब्लॉक व पुर्जे आदि जोड़-तोड़कर चीजें बनानी होती हैं। उसे इसमें बहुत मजा आता था। ये खिलौने कुछ रचनात्मक करने और मैकेनिकल कौशल का पूरा इस्तेमाल करने का मौका देते हैं क्योंकि इनके साथ आने वाले पुर्जों और हथियारों के साथ शायद ही कुछ ऐसा हो जो आप न कर पाएं। शायद इसीलिए उसकी रुचि बायोमिमिक्री (प्रकृति अभिप्रेरित निर्माण) और रोबोटिक्स में जागी और उसने उस चीजों के बारे में सोचना शुरू किया, जो वह नहीं कर पाता, अगर उसके हाथ न होते।

सत्रह वर्ष की उम्र में उसने रोबोटिक हाथों से खेलना शुरू किया। शरीर से अलग, मानवीय हाथ की हरकतों में कुछ ऐसा था, जिसने उसकी कल्पना में जगह बना ली। उसने सैकड़ों प्रोटोटाइप बनाए, कई असफलताएं झेलीं।


मिलिए जोएल गिब्बार्ड से, जिन्होंने 2014 में समांथा पायने के साथ ‘ओपन बायोनिक्स’ कंपनी शुरू की। इतने वर्षों में उन्हें दुनियाभर में कई पुरस्कार मिले। ओपन बायोनिक्स के सह-संस्थापकों को 2018 में यूरोप में ‘हॉटेस्ट स्टार्टअप फाउंडर्स’ का खिताब मिला। उन्होंने ‘लिंब डिफरेंट (किसी अंग का न होना) कम्युनिटी’ के जरिए मदद करना शुरू किया।


अगर आपको यकीन न हो कि ओपन बायोनिक्स में वे उन बच्चों को बायोनिक हीरो बनाते हैं, जिनमें कोई अंग कम होता है, तो आप 2019 की फिल्म ‘अलीटा: बैटल एंजेल’ देखें, जिसने दुनियाभर में 404 मिलियन डॉलर की कमाई की। इसकी रोचक कहानी कुछ इस तरह है। साल 2563 में पृथ्वी गृह ‘द फॉल’ नाम की जंग में बच जाता है। एक हवा में तैरता शहर ‘ज़ालेम’ है, जो आधुनिक इंजीनियरिंग की मदद से लटका हुआ है। इस शहर के नीचे ‘आयरन सिटी’ है। इसकी फैक्टरी एक ट्यूब के जरिए ज़ालेम से जुड़ी है। इसके कबाड़खाने में डॉ डायसन आइडो को एक फीमेल सायबॉर्ग (मशीनी मानव) मिलती है, जिसका दिमाग और दिल है, लेकिन शरीर के अंग नहीं हैं। एक नर्स की मदद से आईडो एक अतिरिक्त रोबोट के शरीर से सायबॉर्ग को फिर बनाता है। वह बिना याददाश्त के जागती है। आईडो उसे अलीटा नाम देता है क्योंकि वह अपना नाम नहीं जानती। वह देखता है कि नई सायबॉर्ग बॉडी अलीटा के मूल दिमाग के साथ अच्छे से काम कर रही थी क्योंकि वह अपनी उंगलियां नियंत्रित कर सकती थी।


जनवरी 2019 में इस साइंस फिक्शन के रिलीज होने के तुरंत बाद, फिल्म के प्रोड्यूसर जेम्स कैमरून ने ट्वंटीअथ सेंचुरी फॉक्स के साथ ओपन बायोनिक्स से साझेदारी की और 13 वर्षीय दोहरी दिव्यांग टिली लॉकी को अलीटा से प्रेरित बायोनिक हाथ दिए। टिली ने एक बीमारी के कारण सवा साल की उम्र में दोनों हाथ खो दिए थे। आज 15 वर्षीय टिली मेकअप ट्यूटोरियल वीडियो बनाती हैं, जिसमें वे ब्लशर, आईशैडो और मस्कारा लगाना सिखाती हैं, वह भी अपने बायोनिक हाथों से।


फंडा यह है कि अगर आपका बच्चा कुछ गेम्स खेल रहा है, जो उसे खिलौने वाली पहेलियां सुलझाने के लिए प्रेरित करें। हो सकता है यह बड़े होकर उनकी वास्तविक जीवन की समस्याएं सुलझाने में मदद करे।

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