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   दैनिक भास्कर - मैनजमेंट फ़ंडा    
एन. रघुरामन, मैनजमेंट गुरु 

‘कूल’ बनने के लिए ‘ग्रीन’ को अपनाएं

‘कूल’ बनने के लिए ‘ग्रीन’ को अपनाएं
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Oct 23, 2021

‘कूल’ बनने के लिए ‘ग्रीन’ को अपनाएं


‘लैंसेट काउंटडाउन ऑन हेल्थ एंड क्लाइमेट चेंज रिपोर्ट 2021’ के मुताबिक 2020 के किसी भी महीने में दुनिया में 19% तक भूमि गर्म तापमानों के साथ अत्यंत सूखे से प्रभावित रही। इससे मुख्य फसलों की उपज पर असर पड़ा और खाद्य सुरक्षा पर जोखिम बढ़ा है। रिपोर्ट का शीर्षक ‘कोड रेड फॉर अ हेल्दी फ्यूचर’ है। यह बढ़ते स्वास्थ्य और जलवायु जोखिमों को उजागर करती है और बताती है कि भारत उन पांच देशों में शामिल है, जिनकी आबादी को हीटवेव्स (गर्मी की लहर) का सबसे ज्यादा खतरा है। बुधवार को जारी रिपोर्ट के मुताबिक इससे एक वर्ष से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा भारत में असुरक्षित हैं। इसके बाद चीन, इंडोनेशिया, मिस्र और नाइजीरिया आते हैं। पहली बार, रिपोर्ट ने लोगों की मानसिक सेहत पर हीटवेव का असर मापा है। इसके लिए दुनियाभर के ट्विटर यूजर्स की पिछले पांच वर्षों में की गईं 6 अरब ट्वीट का विश्लेषण किया गया। इसमें पाया गया कि 2015-19 के औसत की तुलना में 2020 में हीटवेव के दौरान ‘नकारात्मक अभिव्यक्ति’ 155% तक बढ़ गई।


रिपोर्ट की मुख्य लेखक मारिया रोमनेलो ने कहा, ‘यह मानने का समय आ गया है कि जलवायु परिवर्तन के असर से कोई सुरक्षित नहीं है। कोविड से उबरते हुए, हमारे पास अब भी समय है कि हम अलग रास्ता चुनकर एक स्वस्थ भविष्य बनाएं।’ इस चेतावनी से मुझे गोवा के देवभाग गांव के संतोष महेश कोमारपंत की याद आई।


किसान परिवार के संतोष ने कई वर्ष पहले लोक निर्माण विभाग में सफेदपोश नौकरी चुनी। लेकिन 52 की उम्र में उन्होंने नौकरी छोड़कर खेती में वापसी का फैसला लिया। इसके पीछे दो मुख्य कारण थे। वे अब जलवायु परिवर्तन का असर नहीं देख सकते थे और उनसे अपने गांव की भूमि को लगातार बंजर होता नहीं देखा जा रहा था।


संतोष के चार लोगों के परिवार की दिनचर्चा उनके ऑफिस के समय के हिसाब से चलती थी। चूंकि उन्होंने फिर खेती का फैसला लिया, सोलर वाले बाड़े के लगने तक वे 24 घंटे की शिफ्ट कर रहे हैं, जहां उनके बेटे और वे खुद बारी-बारी जंगली सुअरों से फसल की रक्षा करते हैं। उनके पास जमीन का छोटा-सा टुकड़ा था, लेकिन उनके समर्पण ने अन्य ग्रामीणों को अपनी बंजर जमीन संतोष को देने के लिए प्रेरित किया। आज संतोष 4 हेक्टेयर में धान उगाते हैं। स्थानीय खंड कृषि अधिकारी ने सभी भूमि मालिकों से संतोष को खेती के लिए जमीन देने की अपील की है। संतोष युवाओं को कृषि में वापसी के लिए प्रेरित कर रहे हैं। वे युवाओं की तब तक मदद करते हैं, जब तक बंजर भूमि खेती लायक न हो जाए।


अब धान की कटाई शुरू होने वाली है। संतोष आगामी रबी मौसम में बागवानी वाली फसलें, जैसे भिंडी, ग्वारफली, बैंगन, मिर्च और तरबूज आदि बोने वाले हैं। वे स्वीकार करते हैं कि किसान होना आसान नहीं है क्योंकि उनके परिवार को विभिन्न स्तरों पर धान की फसल की सुरक्षा में 90-95 दिन लगातार जागना पड़ा। आज संतोष, उनकी पत्नी सीमा और दो बेटे सुबह जल्दी निकलकर खेतों की सैर करते हैं, जो उन्हें अपनी उस जीवनशैली से कहीं बेहतर लगता है, जब संतोष लोकनिर्माण विभाग में काम करते थे।


फंडा यह है कि अब समय आ गया है कि आप ऐसा पेशा चुनें जिसे ‘ग्रीन’ माना जाता है और जरूरी नहीं कि यह खेती ही हो। ‘ग्रीन’ पेशा आपको दूसरों की नजरों में ज्यादा कूल (पढ़ें अच्छी जीवनशैली वाला) बनाएगा और आपका शरीर तथा मन भी ‘कूल’ (ठंडा) बना रहेगा।

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