top of page
Writer's pictureNirmal Bhatnagar

अंतरात्मा की सुनें और शांत रहें !!!

Oct 07, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आज सुबह एक सज्जन मेरे पास आए और शुरुआती औपचारिक बातचीत के बाद बोले, ‘निर्मल जी, ईश्वर की कृपा से मुझे व्यापार में तो बहुत सफलता मिल गई, पैसा भी बहुत कमाया लेकिन शांति अभी भी नई मिल पाई है।’ मैं उनकी आदतों से बहुत अच्छे से वाक़िफ़ था। इसलिए मैंने उन्हें निम्न कहानी सुनाने का निर्णय लिया-


बात कई साल पुरानी है, एक व्यापारी लाभ कमाने के उद्देश्य से दूर देश जाकर व्यापार स्थापित करता है। कुछ समय बाद व्यापार को बढ़ाने के उद्देश्य से उसे एक ऊँट ख़रीदने की आवश्यकता महसूस होती है। वह साप्ताहिक बाज़ार जाकर एक बहुत ही उमदा नस्ल का ऊँट ढूँढता है और सौदेबाज़ी कर, उसे ख़रीद लाता है। घर पहुँचकर वह अपने नौकर को उस ऊँट की काठी उतारने का कहता है। नौकर को ऊँट की काठी उतारते वक्त पुरानी काठी के नीचे एक छोटी सी मख़मल की थैली नज़र आती है। थैली खोलकर देखने पर नौकर को उसमें क़ीमती हीरे-जवाहरात नज़र आते हैं। वह दौड़ते हुए अपने मालिक के पास जाता है और बोलता है, ‘मालिक, देखिए आपको ऊँट के साथ क्या मुफ़्त मिला है।’ नौकर के हाथों में चमचमाते हीरे देख व्यापारी हैरान था। नौकर, व्यापारी को पूरा क़िस्सा कह सुनाता है। पूरी बात ध्यान से सुनने के बाद व्यापारी अपने नौकर को बोलता है, ‘तुम सारे हीरे-जवाहरात को वापस उसी थैली में डाल कर मुझे दे दो। मैं अभी इसे लौटाकर आता हूँ।’ हालाँकि नौकर को लग रहा था मालिक कितने बेवक़ूफ़ है, जो हाथ आई दौलत को ऐसे ही वापस जाने दे रहे हैं, लेकिन वह उस वक्त कुछ बोल नहीं पाया।’


नौकर से हीरे-जवाहरात की थैली ले व्यापारी उसी वक्त ऊँट के पुराने मालिक के पास पहुँचता है और उसे लौटाते हुए पूरा क़िस्सा कह सुनाता है। ऊँट का पूर्व मालिक पूरी बात सुन आश्चर्यचकित रह जाता है, लेकिन साथ ही क़ीमती हीरे मिलने पर बहुत खुश भी हो जाता है। ऊँट का मालिक व्यापारी को धन्यवाद कहते हुए ईनाम के तौर पर कोई भी एक हीरा चुनने के लिए कहता है। व्यापारी पूरे सम्मान के साथ ऊँट के पूर्व मालिक को हीरा लेने से माना करते हुए बोला, ‘मैंने सिर्फ़ ऊँट की सही क़ीमत चुकाई थी और मुझे मेरा ऊँट मिल गया है। अब मैं और कुछ कैसे ले सकता हूँ?’ व्यापारी जितना मना करता जा रहा था, ऊँट का पूर्व मालिक ईनाम देने के लिए जोर दे रहा था। काफ़ी देर तक मना करने के बाद व्यापारी ने मुस्कुराते हुए ऊँट के व्यापारी से कहा, ‘देखो, असलियत में मैंने तुम्हें हीरे लौटाने के पहले दो सबसे क़ीमती हीरे निकालकर अपने लिए रख लिए थे।’ व्यापारी का क़बूलनामा सुनते ही ऊँट का पूर्व मालिक भड़क गया और थोड़ा ग़ुस्से में चिढ़ते हुए बोला, ‘कौन से हैं वो हीरे? जल्दी बताओ मुझे…’ इतना कहते-कहते ही ऊँट के मालिक ने थैली में से सारे हीरे निकाल लिए और उन्हें गिनने लगा।


कुछ देर बाद ऊँट के मालिक को एहसास हुआ कि व्यापारी द्वारा लौटाई गई थैली में उसके पूरे हीरे सही-सलामत थे। अब वह फिर पशोपेश में था, किसी तरह खुद को कंट्रोल करते हुए बोला, ‘मेरे सारे हीरे तो इसमें सही-सलामत है, फिर आपने कौनसे दो हीरे अपने पास रख लिए?’ व्यापारी मुस्कुराते हुए बोला, ‘मेरा पहला हीरा ईमानदारी है और दूसरा हीरा मेरी ख़ुद्दारी!’ आज लालच से बचकर मैंने अपने दोनों हीरों को बचा लिया।


कहानी पूर्ण होने के बाद मैंने उन सज्जन से कहा, ‘अगर आप अपना कार्य पूर्ण करने के दौरान अपने मूल्यों को गँवा देते हैं तो आप सुख और शांति से वंचित रह जाते हैं और इसके विपरीत अगर आपका दैनिक जीवन आपके जीवन मूल्यों अर्थात् आपकी अपनी अंतरात्मा या अंतर्मन के साथ चल रहा है तो आप निश्चित तौर पर सफलता के साथ सुख और शांति पा पाएँगे। आपको क्या लगता है साथियों, मेरे द्वारा दिया गया सुझाव उचित था? अगर हाँ, तो आइए दोस्तों, आज से हम अपने जीवन को अपनी अंतरात्मा के साथ जीना शुरू करते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर



11 views0 comments

댓글


bottom of page