Nirmal Bhatnagar
अंतरात्मा को बनाएँ अपना साथी…
Updated: Jun 2
June 1, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

बात कई साल पुरानी है, एक सीधा-साधा इंसान राजू नौकरी या व्यवसाय ना होने के कारण काफ़ी परेशान चल रहा था। स्थितियाँ इतनी बिगड़ चुकी थी कि कई बार तो उसे कई-कई दिन तक एक बार तो कभी बिना भोजन के भी काम चलाना पड़ता था। राजू का एक मित्र चोर था। जब उसे राजू की स्थिति का पता चला तो वह बहुत दुखी हुआ। वह राजू के पास गया और उससे बोला, ‘राजू, मुझसे तुम्हारी ऐसी हालत देखी नहीं जाती। तुम अपनी ओर से नौकरी पाने या व्यवसाय करने का पूरा प्रयास करके देख चुके हो। मेरा सुझाव है कि तुम मेरे साथ मिल कर चोरी करने लगो। यक़ीन मानो इस कार्य में बहुत सारा धन मिलेगा।’
हालाँकि राजू ईश्वर पर अटूट विश्वास रखता था और मूल्य आधारित जीवन जिया करता था। लेकिन इस बार परिस्थितियों से विवश हो उसने अपने मित्र के सुझाव को मानने का निर्णय लिया और उससे बोला, ‘मित्र मैं तैयार हूँ, पर मुझे चोरी करना तो आता ही नहीं है।’ चोर मुस्कुराया और बोला, ‘तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हें सब सिखा दूँगा।’
अगले दिन चोर ने राजू को समझाते हुए कहा, ‘आज हम गाँव के बाहरी इलाक़े में, जंगल के पास, पकी हुई फसल की चोरी करेंगे। तुम्हारा काम खेत की मुँडेर पर खड़े रहकर रखवाली करना है। अगर तुम्हें ऐसा लगे कि कोई हमें देख रहा है तो तुम मुझे सचेत कर देना। हम दोनों यहाँ से भाग चलेंगे।’ राजू ने हाँ में सर हिलाया और दोनों मित्र आधी रात होते ही चोरी करने के लिए निकल पड़े। वहाँ पहुँचने पर चोर ने खेत की मुँडेर पर राजू को रखवाली करने के लिए खड़ा करा और खुद पकी हुई फसल काटने के लिए जाने लगा। जाते-जाते चोर ने राजू को सचेत करते हुए कहा, ‘ध्यान रखना, अगर तुम्हें लगे कि कोई हमें देख रहा है तो तुरंत मुझे सचेत कर देना।’
चोर ने अभी फसल काटना शुरू ही किया था कि राजू ने चोर को सचेत करते हुए कहा, ‘मित्र जल्दी उठो और भागो, खेत का मालिक हमें चोरी करते हुए देख रहा है।’ राजू की बात सुनते ही चोर ने चोरी छोड़, भागना शुरू कर दिया। कई मील भागने के बाद चोर रुका और कुछ पल साँस लेने के बाद बोला, ‘मुझे तो ऐसा महसूस नहीं हुआ कि कोई हमें देख रहा था और ना ही पूरे रास्ते किसी ने हमारा पीछा किया। मालिक कहाँ खड़े होकर हमें देख रहा था?’
नया चोर एकदम सहजता से बोला, ‘मित्र, मालिक तो इस समय भी हमें देख रहा है।’ चोर एकदम घबरा गया और बोला, ‘कहाँ है मालिक और वो हमें कैसे देख रहा है?’ राजू पूर्ण गम्भीरता और ठहराव के साथ बोला, ‘मित्र, इस जहां का मालिक ईश्वर है। इस संसार में जो कुछ भी है वह सब कुछ उसी का तो है। वह हर पल, हर जगह मौजूद रहता है और सब कुछ होता हुआ देखता है। चोरी करते समय मेरी अंतरात्मा ने कहा, ‘मालिक याने ईश्वर हमें देख रहा है।’, इसलिए मैंने तुरंत तुम्हें सचेत करना और वहाँ से भागना उचित समझा।’ बेरोजगार राजू की बातों का चोर पर इतना प्रभाव पड़ा कि उसने चोरी करना ही छोड़ दिया।
दोस्तों, अगर आप उपरोक्त कहानी पर गौर करेंगे तो पाएँगे कि अच्छी संगत ने चोर की रंगत बदल दी थी। इसीलिए दोस्तों, मेरा मानना है कि अगर आपकी संगत अच्छी है तो आपके विचार, आपकी सोच, आपके कर्म सब अच्छे होंगे। लेकिन अगर आप उपरोक्त कहानी को राजू के नज़रिए से देखेंगे तो पाएँगे कि विपरीत परिस्थितियों में भी राजू का ईश्वर पर विश्वास इसलिए नहीं डिगा क्योंकि उसने अच्छी संगत के लिए साथी के रूप में अपनी अंतरात्मा को चुन रखा था। याने जिस तरह राजू की बातों को सुन चोर ग़लत कर्मों से बच गया ठीक उसी तरह अगर आप अपनी अंतरात्मा को सुनना शुरू कर दें, तो आप भी जीवन में ग़लत कर्म करने से बच जाएँगे और एक अच्छा जीवन जी पाएँगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर