Feb 28, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, समय बदलता है, समाज बदलता है, रीति-रिवाज बदलते हैं, लेकिन एक चीज़ है जो कभी नहीं बदलती, सत्य! जी हाँ, सत्य से शक्तिशाली कोई और नहीं है क्योंकि सिर्फ़ सत्य ही है, जिसकी कोई सीमा नहीं होती। यह अनंत है क्योंकि यह हर युग में एक जैसा होता है। चाहे समय कोई भी हो, स्थान कोई भी हो, और समाज कितना भी अलग क्यों न हो, सत्य की चमक कभी फीकी नहीं पड़ती। शायद इसीलिए हमारा राष्ट्रीय आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ है, जिसका अर्थ है, हमेशा सत्य की विजय होती है। लेकिन क्या आपने कभी सोच कर देखा है कि यह साधारण सा लगने वाला वाक्य कितना गहरा है?
दोस्तों, सत्य कोई आज की खोज नहीं है, यह तो जबसे सृष्टि बनी है तब से है और तब तक रहेगा जब तक सृष्टि रहेगी। सत्य न कल बदला था, न आज बदलेगा, और न ही भविष्य में बदलेगा। जी हाँ, लोगों की सोच बदल सकती है, समाज के नियम बदल सकते हैं, लेकिन सत्य का अस्तित्व अनंत है। आइए इसे एक सरल उदाहरण से समझते हैं। सूरज पूर्व से उगता है, यह एक सत्य है। चाहे आप भारत में हों, अमेरिका में हों, या फिर अफ़्रीका में – सूरज का उगना पूर्व से ही होगा। यह सत्य समय और स्थान से परे है। इसी तरह, ईमानदारी, दया, और प्रेम – ये सब ऐसे सत्य हैं, जो हर समाज में सम्मानित होते हैं। चाहे कोई भी संस्कृति हो, अच्छाई की सराहना हर जगह होती है। लेकिन यह भी सही है कि सत्य का रास्ता हमेशा आसान नहीं होता। जीवन में कई बार झूठ बोलना आसान लगता है या यूँ कहूँ होता है क्योंकि यह तात्कालिक लाभ दे सकता है। लेकिन याद रखियेगा झूठ की उम्र छोटी होती है। यह बिल्कुल उस बेल के समान होता है जो तेज़ी से बढ़ती है लेकिन उसका आधार बहुत कमजोर होता है। इसके ठीक विपरीत पेड़ धीरे-धीरे बढ़ता है, पर उसकी जड़ें गहरी होती हैं और वह आंधी-तूफान में भी डटा रहता है। बस, सत्य भी ऐसा ही है। जब आप इसे अपनायेंगे तब यह शुरू में कठिन लगेगा, लेकिन अंत में वही स्थायी और शक्तिशाली बन जाएगा।
दोस्तों, आप इतिहास उठा कर देख लीजिए, आपको कई ऐसे महापुरुष मिलेंगे जिन्होंने सत्य के महत्व या महिमा को पहचाना था और उसी के आधार पर इतिहास में अपना स्थान बनाया था। उदाहरण के लिए राजा हरिश्चंद्र, राजा विक्रमादित्य, महात्मा गांधी आदि। यदि आप थोड़ा गहराई से देखेंगे तो आप जान जाएँगे कि इन सभी के जीवन का आधार सत्य ही था। उदाहरण के लिए महात्मा गांधी ने अपने जीवन का मूल मंत्र बनाया – "सत्य और अहिंसा”। इसलिए समाज के लिए उनका संदेश था "सत्य ही भगवान है।” इसी एक रास्ते ने उन्हें न केवल महान बनाया बल्कि हमारे राष्ट्र को आज़ादी दिलवाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभायी।
उपरोक्त आधार पर सोचा जाए दोस्तों तो हम सब भी अपने जीवन में सत्य को अपना कर समाज को सुंदर बना सकते है। बस आपको सत्य को साहस के साथ, सही तरीक़े से सही समय पर कहना होगा क्योंकि सत्य बिना संवेदना के कठोर बन सकता है, और संवेदना बिना सत्य के खोखली। दोस्तों अगर आप मेरी बात से सहमत हों तो आज एक बार ख़ुद से यह ज़रूर पूछियेगा-
१) क्या मैं सच के रास्ते पर चल रहा हूँ?
२) क्या मैं दूसरों से वही व्यवहार कर रहा हूँ, जिसकी उम्मीद मैं खुद से करता हूँ?
अगर उत्तर “हाँ” है, तो मैं आपको बधाई देना चाहूँगा और अगर आपका उत्तर “नहीं” है तो मैं याद दिलाना चाहूँगा कि अच्छे कार्य के लिए कभी देर नहीं होती। इसलिए दोस्तों आज और अभी से सत्य को अपनाइए, क्योंकि सत्य ही जीवन की असली रोशनी है। अंत में चलते-चलते आपको याद दिला दूँ कि "सत्यमेव जयते" सिर्फ शब्द नहीं, एक जीवन मंत्र है। यह कुछ समय के लिए परेशान तो हो सकता है, लेकिन पराजित नहीं। यह धीमे तो चल सकता है, पर देर-सबेर जीत उसी की होती है। तो दोस्तों जीवन में कभी भी दुविधा आए , तो दिल की सुनें और सत्य का रास्ता चुनें क्योंकि अंततः सत्य ही विजयी होता है। इसलिए दोस्तों हमेशा सत्य बोलो, सत्य जियो, क्योंकि सत्य ही अनंत है!
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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