Apr 21, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कई साल पुरानी है, एक व्यापारी, व्यापार करने के उद्देश्य से एक गाँव से दूसरे गाँव जा रहा था। रास्ते में एक जंगल से गुजरते समय उस व्यापारी को चार महिलाएँ जाती हुई दिखी। भयानक जंगल में इस तरह महिलाओं को अकेले जाते देख उस व्यापारी ने उनसे बात करने का निर्णय लिया और एक महिला से पूछा, ‘बहन, तुम्हारा नाम क्या है?’ महिला ने मुस्कुराते हुए कहा, ‘मैं बहुत समझदार हूँ। हर स्थिति-परिस्थिति में विवेक पूर्ण निर्णय लेकर कार्य करती हूँ। इसलिए मेरा नाम बुद्धि रखा गया है।’ व्यापारी ने अगला प्रश्न करते हुए पूछा, ‘तुम कहाँ रहती हो?’ वह महिला मुस्कुराते हुए बोली, ‘मनुष्य के दिमाग़ में मेरा निवास स्थान है।’
महिला के उत्तर से संतुष्ट हो उस व्यापारी ने अगली महिला की ओर रुख़ करते हुए पूछा, ‘बहन, तुम्हारा नाम क्या है?’ महिला ने थोड़ा शर्माते हुए कहा, ‘मैं अपना जीवन लाज और शर्म के आधार पर जीती हूँ इसलिए मेरा नाम लज्जा रखा गया है।’ ‘बहन, आप कहाँ रहती हैं?’, व्यापारी ने अगला प्रश्न किया, ‘वह महिला शर्माते हुए धीमी आवाज़ में बोली, ‘मनुष्य की आँखों में।’ अब व्यापारी ने तीसरी महिला की ओर रुख़ करते हुए अपने प्रश्न को दोहराते हुए कहा, ‘बहन आपका नाम क्या है और आप कहाँ रहती हैं?’ व महिला पूर्ण आत्मविश्वास के साथ बोली, ‘मेरा नाम साहस है और मेरी वजह से ही यह तीनों जंगल में विचरण कर रही है और मैं मनुष्य के ह्रदय में रहती हूँ।’ अंत में व्यापारी अंतिम महिला की ओर देखते हुए बोला, ‘बहन, क्या आप भी अपना परिचय देंगी।’ चौथी महिला पूरी ऊर्जा और जोश के साथ मुस्कुराते हुए बोली, ‘मेरा नाम स्वास्थ्य है और मैं मनुष्य के पेट में रहती हूँ।’
चारों महिलाओं की बातों से संतुष्ट हो वो व्यापारी अपनी राह पर जंगल में आगे बढ़ गया। कुछ ही देर पश्चात जब व्यापारी एकदम घने और अंधेरे जंगल में था, तभी उसे वहाँ चार पुरुष घूमते हुए नज़र आए। व्यापारी ने उनसे भी परिचय करने ; कुछ बात करने का निर्णय लिया और बोला, ‘भाई, आपका नाम क्या है?’ वह पुरुष उस अनजान व्यापारी से प्रश्न सुन थोड़ा नाराज़ होते हुए बोला, ‘क्रोध!’ उसका सपाट और चिढ़ता हुआ सा उत्तर सुन व्यापारी थोड़ा सकपकाता हुआ बोला, ‘अगर आप बुरा ना मानें तो मैं जानना चाहूँगा कि आप रहते कहाँ हैं?’’ क्रोध बोला, ‘मैं मनुष्य के दिमाग़ में रहता हूँ।’ क्रोध का जवाब सुन व्यापारी भ्रमित होता हुआ बोला, ‘जहाँ तक मुझे पता है दिमाग़ में तो बुद्धि रहती है। फिर तुम वहाँ कैसे रहते हो? क्रोध मुस्कुराते हुए बोला, ‘जब मैं वहाँ रहने जाता हूँ तब बुद्धि वह स्थान ख़ाली कर चली जाती है।’ व्यापारी क्रोध का जवाब सुन थोड़ा पशोपेश में था। लेकिन फिर भी उसने अपनी दुविधा को नज़रंदाज़ करते हुए अगले पुरुष से पूछा, ‘तुम्हारा नाम क्या हैं और तुम कहाँ रहते हो?’ प्रश्न सुन वह इंसान कुटिल हंसी हंसते हुए बोला, ‘मैं लोभ हूँ और मैं मनुष्य की आँखों में रहता हूँ।’ लोभ की बात सुन व्यापारी एक बार फिर उलझन में था। उसने लोभ से अगला प्रश्न पूछते हुए कहा, ‘पर वहाँ पर तो लज्जा रहती है?’ लम्बी हंसी के साथ लोभ बोला, ‘जब मैं वहाँ रहता हूँ, तब लज्जा वहाँ से चली जाती है।’ जवाब सुन व्यापारी पूरी तरह कन्फ़्यूज़ हो गया और प्रश्नवाचक निगाहों के साथ तीसरे पुरुष की ओर देखते हुए बोला, ‘क्या मैं आपका परिचय जान सकता हूँ।’ व्यापारी को परेशानी और दुविधा में देख तीसरा पुरुष डरावनी हंसी, हँसता हुआ बोला, ‘मैं भय हूँ और में हृदय में रहता हूँ। जब मैं हृदय में आता हूँ, तब वहाँ से साहस नौ-दो-ग्यारह हो जाता है।’ व्यापारी ने अंतिम याने चौथे पुरुष की ओर देखा और कहा, ‘भाई अपना परिचय दें।’ चौथा पुरुष बोला, ‘मैं रोग हूँ और मैं मनुष्य के पेट में रहता हूँ।’ जवाब सुन व्यापारी दुविधा में था, उसने उलझन भरे स्वर में कहा, ‘पर वहाँ तो स्वास्थ्य रहता है?’ रोग जोर से हंसा और बोला, ‘जब मैं आता हूँ ना, तो स्वास्थ्य चला जाता है।’
दोस्तों, कहा तो मैंने आपको कहानी के रूप में है लेकिन अगर आप गहराई से इसपर सोचेंगे तो पाएँगे कि इसमें बताई गई सौ प्रतिशत बातें एकदम सच हैं। जीवन में चुनौतियों का होना या परिस्थितियों का विपरीत होना सामान्य सी बात है। लेकिन अगर चुनौती भरे दौर या विपरीत परिस्थितियों के बीच अगर आप उपरोक्त वर्णित बातों को याद रखेंगे तो आप जीवन में आने वाली कई परेशानियों से बच जाएँगे। इसलिए दोस्तों, आज से ही ऐसी जीवनशैली अपनाने का प्रयास करें जिसमें आप क्रोध, लोभ, अहंकार और भय से बच सकें और सरलता पूर्वक खुश रहते हुए अपना जीवन जी सकें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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