Nirmal Bhatnagar
अचीवर नहीं, लीडर बनें…
Nov 3, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन में यह पता होना बहुत आवश्यक है कि आप अचीवर बनना चाहते हैं या विजेता याने विनर। देखने-सुनने में पहली बार में दोनों ही बातें एक समान लगती हैं, लेकिन यक़ीन मानियेगा जीवन और सफलता के परिपेक्ष्य में इन दोनों में बहुत बड़ा अंतर हैं। अचीवर बनना जहाँ आपकी व्यक्तिगत उपलब्धियों को बढ़ाता है, वहीं विजेता या विनर बनना अपनी पूरी टीम या अपने साथ खड़े सभी लोगों को जिताना है।
उक्त बात मुझे हाल ही में एक संस्था के लिए कार्य करते वक़्त उस समय याद आई जब दो विभागों के प्रमुख, एक क्लाइंट के लिए आपस में ही आरोप-प्रत्यारोप लगाते हुए, अपनी सीमाएँ लांघ झगड़ने लगे। उन दोनों तथाकथित लीडर्स की व्यक्तिगत आकांक्षाएँ इतनी अधिक थी कि उन्हें इस बात का भी भान नहीं था कि उनकी हरकत तीसरे व्यक्ति याने मेरे सामने कंपनी की इमेज को गिरा रही है। इससे मिलता-जुलता ही एक और अनुभव मुझे एक विद्यालय के लिये काम करते वक़्त भी हुआ। शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने हेतु विद्यालय प्रबंधन द्वारा एक वरिष्ठ शिक्षिका को कॉर्डिनेटर पद की ज़िम्मेदारी दी गई। जिसका कार्य समस्त कक्षाओं में शिक्षा के स्तर को उच्चतम बनाए रखना था। लेकिन उक्त शिक्षिका इस पद की गरिमा और गंभीरता को समझने में नाकाम रही और वे साथी शिक्षिकाओं के साथ ‘बॉस’ बन व्यवहार करने लगी।
वैसे दोस्तों, यह समस्या केवल इन दो संस्थाओं की है, ऐसा बिलकुल भी नहीं है। अगर आप ध्यान से अपने आस-पास देखेंगे तो पाएँगे कि दस में से आठ संस्थाएँ इस समस्या का सामना कर रही हैं। अर्थात् दस में से आठ संस्थाओं में लीडर, लीडर के रूप में कार्य ना करते हुए मैनेजर के रूप में काम कर रहे हैं और इसी वजह से ऐसे लोगों और संस्थाओं की ग्रोथ एक स्तर तक आकर रुक सी जाती है। दोस्तों, अगर आप भी ऐसी किसी स्थिति का शिकार हैं तो सबसे पहले मैनेजर और लीडर के बीच के पाँच प्रमुख अंतरों को समझें और उसके अनुसार अपने अंदर बदलाव लेकर आएँ।
पहला - एक मैनेजर सभी चीजों जैसे संसाधन, सिस्टम, टीम आदि को मेंटेन करता है। वहीं एक लीडर कंपनी हित या बड़े लक्ष्यों को दृष्टिगत रखते हुए उन्हें बदलने से नहीं हिचकता है।
दूसरा - एक मैनेजर के लिए पॉलिसी, नियम, क़ायदे-क़ानून ज्यादा महत्वपूर्ण होते हैं। वह हमेशा इनका पालन करवाने में व्यस्त रहता है। इसके विपरीत एक लीडर संस्था के फ़ायदे के लिए पॉलिसी, नियम, क़ायदे-क़ानून में मूल्यों और नियमों के आधार पर बदलाव लाता है। अर्थात् संस्था के हित के लिए वह पॉलिसी, नियम, क़ायदे-क़ानून किसी में भी मूल्य आधारित बदलाव लाता है।
तीसरा - मैनेजर परंपराओं का पक्षधर होता है, जबकि एक लीडर बड़े लक्ष्यों को पाने के लिए उन्हें तोड़ने में जरा भी नहीं हिचकता। जैसा कि ऍपल को ब्रांड बनाने के लिए पहले उसके संस्थापक स्टीव जॉब्स ने और फिर टिम कुक ने किया था।
चौथा - मैनेजर हमेशा अंतिम परिणाम को ध्यान में रखकर कार्य करता है जबकि एक लीडर हमेशा हर क्षेत्र में आसमान को छूने के लिए प्रयासरत रहता है।
पाँचवाँ - एक मैनेजर हमेशा चीजों को सही तरीके से करने पर ध्यान लगाता है। जबकि एक लीडर हमेशा यह जानने के लिए प्रयासरत रहता है कि जो काम हम कर रहे हैं वह सही है या नहीं।
दोस्तों, एक बात और याद रखियेगा अगर आपका नेतृत्व एक प्रबंधक याने मैनेजर द्वारा किया जा रहा है तो यक़ीन मानियेगा आप अपने कैरियर में कभी भी आगे नहीं बढ़ पाएंगे। ऐसी स्थिति में आपको उस संस्था में अपना एक मेंटर तलाशना होगा। साथ ही दोस्तों, हो सकता है मैनेजर और लीडर का यह अंतर सुनने में आपको बड़ा साधारण सा लग रहा हो, लेकिन यक़ीन मानियेगा यह छोटी सी लगने वाली बातें आपके जीवन में बड़ा बदलाव ला सकती हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com