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अच्छा करोगे अच्छा मिलेगा…

Writer's picture: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

July 29, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अगर आप इस दुनिया को बेहतर बनाना चाहते हैं, तो ख़ुद बेहतर बन जाइए और अगर आप इस दुनिया को भावनात्मक और दयावान बनाना चाहते हैं, तो ख़ुद भावनात्मक और दयावान बन जाइए। इसी तरह अगर आप खुशहाल और एक दूसरे के दुख दर्द को समझने वाला; एक दूसरे की मदद करने वाला समाज चाहते हैं, तो ख़ुद ख़ुश रहना, ख़ुशियाँ बाँटना और मदद करना शुरू कर दीजिए। जी हाँ दोस्तों, हमारी प्रकृति के नियम वाक़ई इतने सरल हैं। अपनी बात को मैं आपको एक क़िस्से से समझाने का प्रयास करता हूँ।


एक दिन सुनसान रास्ते पर शाम के समय एक महिला की मर्सिडीज कार पंचर हो गई। वे कार से उतरी और आसपास मदद के लिए नज़रें घुमाने लगी। तभी वहाँ से एक युवा का गुजरना हुआ। उसने चिंतित महिला को देखा और मुस्कुराते हुए, अपना नाम बताते हुए बोला, ‘मैम मेरा नाम एंडी है और मैं पंक्चर टायर बदलने में आपकी मदद करना चाहता हूँ। आप आराम से कार में बैठ कर इंतज़ार कीजिए।’ युवा की आवाज़ इतनी मधुर थी कि वह महिला बिना कुछ सोचे, सीधे कार में जाकर बैठ गई। एंडी फटाफट कार का टायर बदलने लगा। तभी उक्त महिला खिड़की से मुँह थोड़ा बाहर निकाल कर उससे बात करते हुए बोली, ‘मेरा नाम नोरा है। मैं सेंट लुईस में रहती हूँ। आज किसी काम से मैं इस रास्ते से गुजर रही थी कि मेरी कार ख़राब हो गई। लेकिन सही समय पर मिली मदद ने मुझे परेशान होने से बचा लिया। मैं आपकी क़र्ज़दार और आभारी हूँ। आपने जो मेरे लिये किया उसके लिये मैं जितना भी धन्यवाद दूँ कम है।


एंडी उनकी बात सुन के सिर्फ़ मुस्कुराया और अपने काम में व्यस्त रहा। कार्य पूर्ण होने पर महिला एंडी को कुछ पैसे देते हुए बोली, ‘सुनसान रास्ते पर कार ख़राब होने पर मैंने हर नकारात्मक स्थिति की कल्पना कर ली थी। इसीलिए इतना चिंतित थी, लेकिन आपने मदद करके मुझे तमाम परेशानियों से बचा लिया। सोच कर देखिए अगर आप मदद के लिए नहीं रुकते तो मेरा क्या होता?’ नोरा द्वारा दिये जा रहे पैसे को ठुकराते हुए एंडी बोला, ‘मैंने कुछ पाने के लिए आपकी मदद नहीं की थी। भगवान जानता है कि अतीत में बहुत सारे लोगों ने मेरी मदद के लिए हाथ बढ़ाया था। इसीलिए मैं भी एक ज़रूरतमंद की मदद कर रहा था। मैंने अपना पूरा जीवन ईमानदारी से जिया है। लेकिन, फिर भी आप मुझे वास्तव में कुछ देना चाहती हैं, तो अगली बार जब आप किसी ज़रूरतमंद को देखें, तो बस उसकी मदद करें और ज़रूरत पड़ने पर आप जो भी सहायता दे सकती हैं, आप उसे दें और मेरे बारे में सोचें।’


एंडी की बात सुन वह महिला मुस्कुराई और एक बार फिर धन्यवाद कह अपनी गाड़ी में बैठ कर आगे बढ़ गई। कुछ मील चलने के बाद नोरा एक छोटे से लेकिन बहुत ही सुंदर और प्यारे से कैफ़े पर कुछ खाने के लिए रुक गई और एक अच्छा सा स्थान देख बैठ गई। उसी पल एक वेट्रेस, चेहरे पर एक बड़ी प्यारी सी मुस्कान लिए वहाँ आई और नोरा को विश करके, एक नैपकिन देते हुए बोली, ‘आप अपने गीले बाल इससे पोंछ सकती है।’ नोरा ने उस आठ माह की गर्भवती को देखा और महसूस किया कि तनाव और दर्द में होने के बाद भी उसने अपने रवैये को नहीं बदला और एक अजनबी के लिए मदद का हाथ बढ़ाया। ऑर्डर देने के पश्चात वह इस विषय में सोच ही रही थी कि इतने दर्द और तनाव में वह वेट्रेस ऐसा कैसे कर सकती है कि तभी उसे एंडी की मदद वाली बात याद आ गई।


नोरा ने तुरंत अपना खाना समाप्त करा और बिल का भुगतान करने के लिए सौ डॉलर दिये। वेट्रेस जब तक काउंटर से बिल चुका कर और बचे हुए पैसे वापस लेकर आती इतनी देर में नोरा वहाँ से जा चुकी थी। वेट्रेस ने टेबल साफ़ करना शुरू ही किया था कि उसका ध्यान टेबल पर रखे पेपर नैपकिन पर लिखे मेसेज पर गया। जिसे पढ़ते ही उसकी आँखों से आँसू छलकने लगे। असल में नैपकिन पर लिखा हुआ था, ‘तुम्हारा मुझ पर कुछ भी एहसान नहीं है। जिस तरह से मैं तुम्हारी मदद कर रही हूँ ठीक वैसे ही किसी ने मेरी मदद की थी। अगर तुम सच में मुझे कुछ देना चाहती हो तो किसी जरूरतमंद की मदद कर देना और प्यार की इस कड़ी को कभी समाप्त न होने देना।’ इसके साथ ही नोरा ने नैपकिन के नीचे सौ डॉलर और रख दिये।


उस रात वेट्रेस बहुत खुश-खुश घर लौट कर आई और भोजन के पश्चात बिस्तर पर लेट कर नोरा के विषय में सोचने लगी कि उस महिला को कैसे पता चला कि उसे पैसों की कितनी अधिक आवश्यकता है? उसके लिए यह समय कितना मुश्किल है क्योंकि अगले महीने उसके घर एक नया मेहमान आने वाला है? उसने ऐसा पत्र क्यों लिखा? आदि लेकिन अगले ही पल पत्र में लिखी बात याद आते ही वह हल्का सा मुस्कुराई और अपने चिंतित, सोते हुए पति के कान में धीमे से फुसफुसाई, ‘चिंता मत करो एंडी, सब कुछ ठीक हो जाएगा और हाँ मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ।’


दोस्तों, अब तो आप समझ ही गए होंगे कि मैंने क्यों कहा था कि आप इस दुनिया को जैसा बनाना चाहते हैं, वैसा बन जाइए। असल में इस प्रकृति; इस सृष्टि का एक ही नियम है, हमारे द्वारा किया गया हर कर्म, लौट कर हम तक ही आता है। इसीलिए कहा जाता है, नेक काम से मिलने वाली ख़ुशी अपने आस-पास मौजूद लोगों में बाँटे, तभी इस समाज में चेतना अबाध रूप से आगे बढ़ेगी।’


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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