Feb 26, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, कहते हैं ना जो बोएँगे, वही काटेंगे अर्थात् खेत में आप जिसके बीज डालेंगे, आपको फसल उसी की मिलेगी। यही बात हमारी इस दुनिया, इस ब्रह्मांड के लिए भी सटीक बैठती है। अर्थात् अगर आप अच्छा करेंगे तो आपके पास अच्छा ही लौट कर आएगा और अगर आप बुरा करेंगे तो बुराई ही आपके पास लौट कर आएगी। इस ब्रह्मांड को आप जो देते हैं, यह उसे कई गुना बढ़ाकर आपको ही लौटा देता है।
हाल ही में जब मैंने यह बात किसी संदर्भ में अपने परिचितों के बीच में कही तो उनमें से एक ने हंसते हुए कहा, ‘यार, जिसकी पहले से ही बारह बजी हुई हो, वह इस ब्रह्मांड को देगा क्या और उससे पाएगा क्या?’ कटाक्ष के रूप में कही गई इस बात में उन सज्जन के अंदर का दर्द साफ़ झलक रहा था। मैंने उसी पल, ‘देने के अर्थ’ के बारे में उनकी भ्रांति दूर करने का निर्णय लिया और उन्हें समझाते हुए कहा, ‘मित्र, अच्छा करना या देने का मतलब केवल पैसे दान करना या ज़रूरतमंद लोगों की संसाधनों अथवा समय से मदद करना नहीं है। इस लक्ष्य को तो अच्छा इंसान बनकर या अपने कार्य को सही तरीके से करकर भी पाया जा सकता है।’
जी हाँ साथियों, अपने कहे शब्दों का सम्मान करना, अपने कहे वादे पूरे करना, अपने आस-पास मौजूद लोगों से वैसा ही व्यवहार करना, जैसा आप स्वयं के लिए चाहते हैं, दयालु रहना, सामने वाले की सीमाओं का सम्मान करना, शेयरिंग और केयरिंग के सिद्धांतों का पालन करना, स्वस्थ विकल्प के रूप में मौजूद रहना, मुस्कुराना और खुश रहना जैसे सिद्धांतों का पालन कर भी पाया जा सकता है।
जब आप समाज में अपना रोल सही और ज़िम्मेदार तरीके से निभाते हैं, तो आपको समाज से भी वही वापस मिलता है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ। एक किसान, जो पिछले कई सालों से अपने क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ किसान होने का गौरव प्राप्त कर रहा था, से जब एक पत्रकार ने इसका राज पूछा तो किसान ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, ‘अपने आस-पास के सभी किसानों को सर्वश्रेष्ठ बीज उपलब्ध करवाना।’ पत्रकार के लिए यह जवाब चौकानें वाला था। वह सोच रहा था कोई अपने प्रतिद्वंदी को सर्वश्रेष्ठ बीज उपलब्ध करवाकर कैसे उस क्षेत्र का सर्वश्रेष्ठ किसान बन सकता है।
उसने अपनी दुविधा किसान के समक्ष रखते हुए सवाल किया, ‘यह कैसे सम्भव है? इस तरह तो आप अपने लिए ही प्रतिस्पर्धा बड़ा रहे है। जिसके कारण आने वाले समय में आपके लिए सबसे बेहतर गुणवत्ता बनाए रखना और पुरस्कार विजेता बने रहना मुश्किल हो जाएगा।’ किसान ने मुस्कुराते हुए जवाब देते हुए कहा, ‘शायद आपको नहीं पता है कि हवा पकी हुई फसल से पराग उठाती है और उसे आस-पास के खेतों में डाल देती है। यदि आपके पड़ोसी घटिया और खराब गुणवत्ता वाली फसल उगाते हैं तो क्रॉस-परागण आपकी फसल की गुणवत्ता को लगातार कम करते हैं। इसलिए अगर में लगातार सर्वश्रेष्ठ फसल उगाना चाहता हूँ तो मुझे अपने पड़ोसियों को भी अच्छी फसल उगाने में मदद करना पड़ेगी। इसीलिए मैं आस-पास के सभी किसानों को सर्वश्रेष्ठ बीज उपलब्ध करवाता हूँ, उन्हें अच्छी फसल उगाना सिखाता हूँ।’
दोस्तों, साधारण सी लगने वाली इस कहानी पर अगर आप गम्भीरता पूर्वक विचार करेंगे तो पाएँगे की इसमें अच्छा जीवन जीने की एक शानदार अंतर्दृष्टि छिपी है। जैसा की उस किसान ने अपने जवाब में कहा था कि उसकी फसल सर्वश्रेष्ठ तब तक नहीं हो सकती है जब तक उसके पड़ोसियों की फसल भी अच्छी ना हो। ठीक यही बाद हमारे जीवन और इस ब्रह्मांड के लिए भी लागू होती है। जैसे अगर आप शांति और सद्भाव के माहौल में रहना चाहते हैं तो आपको भी अपने पड़ोसियों और आस-पास मौजूद सहयोगियों को शांति और सद्भाव से रहने में मदद करना होगी। अर्थात् अगर आपने अच्छा जीवन जीने का निर्णय लिया है तो आपको दूसरों को अच्छा जीवन जीने में मदद करना होगी।
असल में दोस्तों जब हम इस दुनिया; इस प्रकृति; इस ब्रह्मांड को जब कुछ अच्छा वापस देते हैं, तो यह आप दूसरों के लिए नहीं बल्कि अपने खुद के लिए कर रहे होते हैं। जब आप अच्छा करते हैं, तो अच्छा आपके पास आता है और जब आप बुरा करते हैं तो बुरा आपके पास आता है। यह ब्रह्मांड का नियम है। वैसे भी अच्छा करना आपको तृप्त महसूस कराता है; शांति का अहसास देता है। इसलिए दोस्तों, अच्छा करो, अच्छा बनो और इस ब्रह्मांड पर विश्वास रखो कि यह आपको वह देगा, जिसके आप हक़दार हो।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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