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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

अच्छी टीम बनाने का सूत्र !!!

Mar 20, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, आज एक विद्यालय में शिक्षकों से टीम मैनेजमेंट विषय पर चर्चा करते समय, एक वरिष्ठ शिक्षक ने अपने साथी शिक्षकों के विषय में शिकायत करते हुए कहा, ‘सर, इस विद्यालय में टीम भावना की अपेक्षा रखना भी ग़लत है क्योंकि यहाँ 2 लोगों के कार्य करने के तरीक़ों को तो छोड़िए उनके विचार तक नहीं मिलते हैं। अगर मेरी बात पर विश्वास नहीं है तो चार दिन हमारे साथ काम करके देख लीजिए। यहाँ जितने लोग हैं ना, उससे ज़्यादा तो लोगों के मत हैं। हर कोई अपना हित साधने के लिए काम करता है।’ उनकी बात सुन मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘सर, अनेकता में एकता ही तो हमारे देश की पहचान है और वैसे भी अलग-अलग सोच के बाद भी कुछ बातों पर एकमत होना ही तो आपको विविधता में एकजुटता लाने में मदद करता है। चलिए, अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।’


बात कई साल पुरानी है, एक साल जंगल में बहुत कड़ाके की ठंड पड़ी, जिसके कारण जंगल में जानवर मरने लगे। ठंड से परेशान हो मारने वालों में साही याने पॉर्क्युपाइन भी थे। कड़ाके की सर्दी के कारण उपजी परेशानी और स्थिति की गम्भीरता को देखते हुए, अपनी जान बचाने के उद्देश्य से बुजुर्ग साहीयों के समूह ने मंत्रणा कर निर्णय लिया कि वे शरीर में गर्मी बनाए रखने के लिए एक समूह बनाकर, साथ-साथ रहेंगे।


बुजुर्ग साही की बात अन्य सभी साही ने मानी और उस रात वे सभी एक-दूसरे को कवर कर साथ-साथ रहे। उस रात ठंड की वजह से एक भी साही की मृत्यु नहीं हुई लेकिन वे एक-दूसरे के नुकीले कांटों की वजह से घायल ज़रूर हो गए। चोट की वजह से घायल सभी साही ने अगली रात अलग-अलग रहने का निर्णय लिया। अगले दिन अत्यधिक ठंड और शारीरिक रूप से दूर-दूर होने के कारण कुछ साही की मृत्यु हो गई। अब सभी साही के बीच में डर चरम पर था और स्थिति गम्भीर थी, ऐसे में उन्हें साथियों से मिले घाव या जीवन में से किसी एक का चुनाव करना था। दूसरे शब्दों में कहूँ तो उन्हें पृथ्वी पर खुद के होने या हमेशा के लिए मिट जाने में से किसी एक चुनाव करना था। सभी साही ने मिलकर बुद्धिमानी से निर्णय लेकर, एक साथ रहने का चुनाव किया। याने उन्होंने ठंड से मरने के स्थान पर अपने साथी साही के काँटों से घायल होकर अपने जीवन को बचाने का निर्णय लिया अर्थात् उन्होंने घायल होने की सम्भावना को नज़रंदाज़ करते हुए साथ-साथ रहकर अपनी गरमाहट बरकरार रखने का निर्णय लिया। बीतते समय के साथ सभी साही अपने घनिष्ठों से मिले छोटे-छोटे घावों के साथ जीना सीख गए और उन्होंने भीषण ठंड में खुद को जीवित रखना सीख लिया।


उक्त कहानी पूरी होने के बाद मैंने उन शिक्षक से कहा, ‘सर!, वैसे तो आप इस कहानी में छिपे संदेश को पहचान ही गए होंगे। टीम भावना के लिहाज़ से सबसे अच्छा समूह वह नहीं होता है जिसमें सभी लोगों की सोच और समझ एक जैसी होती है। वैसे भी समझ और सोच का एक जैसा होना लगभग नामुमकिन ही है। मेरी नज़र में तो सबसे अच्छा समूह वह होता है जिसमें विपरीत या अलग समझ और सोच के बाद भी सभी लोग एक साथ रहना जानते हैं। जी हाँ दोस्तों, ऐसे समूह में प्रत्येक व्यक्ति दूसरों की तमाम ख़ामियों के साथ ना सिर्फ़ जीना सीखता है बल्कि उसके अच्छे गुणों की प्रशंसा भी करता है। जो जैसा है, उसे तमाम मतभेद के बाद भी वैसे ही स्वीकारना आपको सामने वाले के दिल में जगह बनाने में मदद करता है। ऐसे में एक दूसरे की अच्छाईयों को पहचानना, उसकी तारीफ़ करना और उसकी कमज़ोरियों या विपरीत सोच को नज़रंदाज़ करते हुए आगे बढ़ना आपको एक अच्छा समूह या टीम बनाने में मदद करता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com


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