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अधजल गागर छलकत जाये !!!

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Aug 11, 2023
  • 2 min read

August 11, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

आइये साथियों आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। कई साल पहले एक नवयुवक शहर के सर्वश्रेष्ठ संगीतज्ञ के पास पहुँचा और उन्हें प्रणाम करते हुए बोला, ‘गुरुजी, मेरी संगीत में अथाह रुचि है। वास्तव मे संगीत ही मेरे लिए जीवन है और आप संगीत के महान ज्ञाता और आचार्य है। क्या आप मुझे शिष्य के रूप में स्वीकार कर, संगीत में निपुणता पाने में मदद करेंगे?’


युवक की बात सुन संगीताचार्य हल्की मुस्कुराहट के साथ बोले, ‘संगीत सीखने की तुम्हारी इच्छा इतनी प्रबल है तो मैं तुम्हें ज़रूर संगीत सिखाऊँगा।’ संगीतज्ञ की बात सुन युवक एकदम प्रसन्न हो गया और बात आगे बढ़ाते हुए बोला, ‘गुरुजी, इसके एवज़ में मुझे क्या करना होगा।’ संगीतज्ञ उसी मुस्कुराहट के साथ बोले, ‘कुछ ख़ास नहीं, बस तुम्हें मुझे सौ स्वर्ण मुद्रायें देनी होगी।’ इतना सुनते ही वह युवक एकदम चौंक गया और फिर ख़ुद को सँभालते हुए बोला, ‘यह तो बहुत ज्यादा है, पर चलिये मैं आपको सौ स्वर्ण मुद्रायें देने के लिये राज़ी हूँ। वैसे मुझे संगीत की थोड़ी-बहुत जानकारी भी है।’


इतना सुनते ही संगीतज्ञ ने उस युवक की बात को बीच में ही काटते हुए कहा, ‘अगर तुम्हें संगीत का थोड़ा-बहुत भी ज्ञान है तो तुम्हें संगीत सीखने के लिये दो सौ स्वर्ण मुद्रायें देना होगी।’ संगीताचार्य की बात सुनते ही युवक आश्चर्य से भर गया और चौंकते हुए बोला, ‘गुरुजी, यह तो बड़ी अजीब बात है। मैं संगीत का थोड़ा जानकार हूँ इसलिये आपने क़ीमत बढा दी। काम कम होने के बाद भी दाम बढ़ाना, यह तो मेरी समझ से परे है।’


युवक की बात सुनते ही संगीताचार्य ठहाका लगाकर हंसे और बोले, ‘वत्स, काम कम कहाँ है? मुझे तो बल्कि अब दोगुना काम करना होगा। पहले तुमने जो सीखा है, उसे मिटाना याने भुलाना होगा और फिर नये सिरे से सिखाना होगा। याद रखना, कुछ नया उपयोगी और महत्वपूर्ण सीखने के लिए सबसे पहले दिमाग को खाली करना, उसे निर्मल करना बहुत जरूरी है, नहीं तो नया ज्ञान उसमें समा नहीं पाएगा।"


बात तो बिलकुल सही है दोस्तों, इसीलिये मेरी नज़र में जानकार और ज्ञानी होना, दो बिलकुल अलग बातें हैं। अगर आप मुझसे इन दोनों के बीच का अंतर पूछेंगे, तो मैं कहूँगा जानकार होने का अर्थ मेरी नज़र में अधूरा ज्ञान होना है, जो व्यवहारिक स्तर पर हमेशा ख़तरनाक ही होता है क्योंकि यह आपके सीखने की क्षमता और गति को प्रभावित करता है। उदाहरण के लिये कोई आपको, आपकी जानकारी वाले विषय पर कोई नई बात सिखाने का प्रयास करता है या फिर इस विषय में कोई गंभीर चर्चा करता है तो आपको लगता है, ‘यह तो मुझे पहले से ही पता है!’ या ‘मैं तो ख़ुद इस विषय का विशेषज्ञ हूँ… कोई इस बारे में मुझे क्या सिखायेगा?’ और इसी सोच के कारण आप एक ज़रूरी बात सीखने से वंचित रह जाते हैं।


दोस्तों, अगर आपका लक्ष्य स्वयं का पूर्ण रूपान्तरण करना है याने आप अपने आप में ३६० डिग्री परिवर्तन लाना चाहते हैं तो याद रखियेगा सृजनात्मकता के विकास और आत्मज्ञान के लिए ख़ुद को सीखने के लिये तैयार करना नितांत आवश्यक है। इसके लिये आपको अधूरे ज्ञान के भ्रम को तोड़ना होगा क्योंकि पहले से भरे हुए पात्र में कुछ भी और डालना असंभव है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com


 
 
 

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