May 3, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अनुशासित और मर्यादित जीवन ही आपको अपने सपनों का जीवन जीने का मौक़ा देता है। जी हाँ साथियों, प्रकृति के क्रमिक विकास को किसी भी पायदान पर परख कर देख लीजिए, आप पाएँगे कि अनुशासन की वजह से ही हमारी प्रकृति, इस दुनिया, मानव सभ्यता का विकास हुआ है। प्रकृति के किसी भी कार्य को अगर आप गहराई से देखेंगे तो पाएँगे कि उसके सभी कार्य किसी ना किसी नियम से बंधे हुए हैं। जब भी प्रकृति नियम के परे जाती है वह विकास की जगह; विनाश की ओर ले जाती है।
अपनी बात को मैं आपको कल के लेख में लिए गए उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ। जैसा कि कल हमने जाना था कि अनुशासन में बहकर ही एक नदी, सागर तक पहुँचकर, सागर बन जाती है। अनुशासन में बँधकर ही एक पौधा जमीन से उठकर, वृक्ष जैसी ऊँचाई को प्राप्त कर लेता है और अनुशासन में रहकर ही वायु फूलों की ख़ुशबू को अपने में समेटकर स्वयं भी सुगंधित हो जाती है व चारों दिशाओं को सुगंध से भर देती है। अब अगर इसी उदाहरण को आप अनुशासन विहीन अवस्था या अनुशासन रहित परिस्थिति के आधार पर देखेंगे तो पाएँगे कि अनुशासन में बहकर जो नदी, सागर में मिलकर सागर हो रही थी, वही नदी अगर अनुशासन रहित बहने लगे तो बाढ़ का रूप धारण कर लेती है। ठीक इसी तरह हवा अनुशासन हीन होती है तो आँधी बन जाती है और अगर अग्नि अनुशासन हीन हो जाती है तो महाविनाश का कारण बन जाती है।
ठीक इसी तरह अनुशासनहीनता के साथ जीवन जीना खुद के जीवन को विनाश की ओर ले जाना होता है। जैसे, अगर आप खान-पान में अनुशासनहीनता रखेंगे तो अपने स्वास्थ्य का विनाश करेंगे। इसी तरह अगर आप अनुशासन रहित व्यवहार करेंगे तो अपनी इज्जत से हाथ धो बैठेंगे। इस आधार पर देखा जाए तो अनुशासन का अर्थ हुआ, ‘नियम के अधीन रहना।’ या ‘नियमों के अनुसार जीवन यापन करना।’ इसीलिए दोस्तों, मैंने पूर्व में कहा था, ‘अनुशासित जीवन जीना ही आपको जीवन में आगे बढ़ने; प्रगति करने का मौक़ा देता है। यह मानव की प्रगति का मूल मंत्र है।’
दोस्तों, अगर आप अपने जीवन को शांति और सुख के साथ जीना चाहते हैं तो आपको जीवन के हर क्षेत्र याने व्यक्तिगत, पारिवारिक, सामाजिक, व्यवसायिक आदि में अनुशासित रहना सीखना होगा। लेकिन तेजी से बदलते इस दौर में याने आपाधापी भरे इस युग में सब कुछ पाने की आस, शॉर्टकट में सफलता की चाह में लोग अनुशासन छोड़ येन-केन-प्रकारेण लक्ष्य पाने का प्रयास करते हैं और इसी वजह से अपने जीवन को उच्छृंखल या उलझा हुआ बना लेते हैं। मेरी बात से सहमत ना हों दोस्तों, तो इतिहास उठा कर देख लीजिएगा आपको दोनों ही तरह के ऐसे ढेरों उदाहरण मिल जाएँगे जिसमें अनुशासित रहते हुए लोगों ने सब कुछ पाया होगा और अनुशासनहीनता की वजह से सब कुछ खोया होगा।
इसलिए दोस्तों हमेशा याद रखिएगा, जिस तरह अनुशासन में गाड़ी चलाने से सफर का आनंद और बढ़ जाता है। ठीक इसी तरह अगर जीवन की गाड़ी अनुशासन से चले तो जीवन यात्रा का आनंद भी कई गुना बढ़ जाता है। दोस्तों, आपका लक्ष्य अगर अपने जीवन को उत्कृष्टता के चरम पड़ाव तक पहुँचकर जीना है अर्थात् अपने जीवन को सुख-चैन और शांति से परिपूर्ण बनाते हुए सुखी रहना है तो आपको अपने जीवन में से निरंकुशता और उच्छृंखलता को हटाना होगा अर्थात् अनुशासित रहना सीखना होगा। दूसरे शब्दों में कहा जाए दोस्तों, तो जीवन रूपी गाड़ी से सुख, चैन, शांति और सुख जैसे लक्ष्यों को पाने एवं निरंतर प्रगति के पथ पर चलने के लिए हमें निरंकुशता और उच्छृंखलता के घोड़ों को अनुशासन रूपी लगान से साधना होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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