Aug 24, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
आईए दोस्तों आज के लेख की शुरुआत एक कहानी से करते हैं। बात कुछ सौ साल पुरानी है। यूनान के एक महान और प्रसिद्ध ज्योतिष आकाश में तारों की ओर देखते हुए कुछ खगोलीय गणनाएँ करते हुए कहीं जा रहे थे। वे अपनी सोच या यूँ कहूँ अपने ख़यालों में इस कदर डूबे हुए थे कि उन्हें रास्ते में पड़ने वाले एक गहरे गड्डे का भान ही नहीं हुआ और वे उसमें गिर पड़े।
गहरे गड्डे में गिरते ही ज्योतिष महोदय स्वयं को बचाने और बाहर निकालने में मदद करने की गुहार लगाते हुए, जोर-जोर से चिल्लाने लगे। ज्योतिष की गुहार उस गहरे गड्डे के समीप एक टूटी-फूटी झोंपड़ी में रहने वाली बुजुर्ग महिला के कान में पड़ी। वे बिना ज़्यादा कुछ सोचे-समझे तुरंत उस ज्योतिष की मदद करने के लिए पहुँच गई और काफ़ी कठिनाइयों के बाद किसी तरह उन्हें सफलतापूर्वक बाहर निकाल पाई।
बाहर निकलते ही ज्योतिष ने बुजुर्ग महिला को धन्यवाद कहते हुए कहा, ‘आप बहुत क़िस्मत वाली हैं जो आपको मुझे बचाने का सौभाग्य मिला शायद आप जानती नहीं हैं कि मैं यूनान का कितना महान और प्रसिद्ध ज्योतिषी हूँ। मेरे पास भविष्य को बेहतर बनाने की सलाह लेने के लिए कई राजा-महाराजा आते हैं। सामान्य लोग तो मुझसे मिलने के लिए कई-कई माह तक इंतज़ार करते रहते हैं और कुछ तो तमाम प्रयासों के बाद भी मुझ तक पहुँच नहीं पाते हैं।’
ज्योतिष अपने मुँह अपनी तारीफ़ करता जा रहा था और वह बुजुर्ग महिला मंद-मंद मुस्कुराती जा रही थी। लेकिन वह ज्योतिष तो अपने दम्भ के गुणगान में इतना मग्न हो गया था कि उसका ध्यान उस बुजुर्ग महिला की प्रतिक्रिया पर गया ही नहीं। वह तो बस अपनी धुन में बोलता ही चला जा रहा था। अपनी बात को इसी प्रकार आगे बढ़ाते हुए वह ज्योतिष बोला, ‘मैं तारों और नक्षत्रों के संदर्भ में सब कुछ जानता हूँ, इसलिए मनुष्य के भाग्य के बारे में मुझसे कुछ भी छुपा हुआ नहीं है। मनुष्य के भाग्य के विषय में मुझसे बड़ा जानकार इस पृथ्वी पर कोई नहीं है। तुमने मुझे बचाया है, इसलिए मैं तुम्हारा भाग्य बिना किसी फ़ीस के देख लूँगा। एक काम करना कल मेरे कार्यालय आ जाना।’
बुजुर्ग महिला उसकी बात सुनकर जोर-जोर से हंसने लगी और बोली, ‘बेटा, जिसे अपने सामने का गड्डा नज़र नहीं आया, वह तारों और नक्षत्रों की गणनाओं के आधार पर किसी का भाग्य कैसे बता सकता है? तुझसे तेरे पैर तो संभल नहीं रहे हैं, तू अपना भविष्य तो देख नहीं पा रहा है और मेरे भविष्य की बात करता है, होश में आ।’ कहते हैं, इस घटना ने उस ज्योतिष का जीवन पूरी तरह बदल दिया क्यूँकि उस बुजुर्ग महिला ने ज्योतिष को आईना जो दिखा दिया था।
दोस्तों, उस ज्योतिष की तरह शायद हम सब भी अपने दम्भ या ‘मैं’ के भाव में इतने खोए रहते हैं की जीवन की सच्चाई सामने होते हुए भी उसे पहचान नहीं पाते हैं। हम लोग शायद भूल गए हैं कि दम्भ, घमंड, अहंकार, अभिमान कभी भी हमें सच्चाई के समीप नहीं ले जाते हैं। बल्कि मैं तो यहाँ तक कहूँगा की उपरोक्त भाव क्रोध, ईर्ष्या, नकारात्मक तुलना, लोभ जैसे इंसानियत से दूर करने वाली बातों को पैदा कर, हमें जीवन का सच्चा मज़ा लूटने से वंचित कर देते हैं। याद रखिएगा दोस्तों, आपके द्वारा किए गए कार्यों की वजह से लोगों के मन में उपजे भाव अर्थात् आपके कार्यों द्वारा बनी आपकी छवि के अलावा इस दुनिया में सब कुछ तात्कालिक है, समय के साथ धूमिल हो जाने वाला है। अगर आप वाक़ई अपनी अमिट छाप छोड़ना चाहते हैं तो मेरा सुझाव है, अपने व्यवहार, अपने आचरण से लोगों को ऐसे अनुभव दीजिए कि उसकी गहरी छाप उनके दिलों पर हमेशा के लिए अंकित हो जाए। शायद सही मायने में आप तभी अमर हो पाएँगे और यह सब नकारात्मक भावों जैसे अहंकार, लोभ, क्रोध आदि को छोड़कर अपने वर्तमान अर्थात् इस पल को पूरी तरह जिए बिना नहीं होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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