June 11, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, इस दुनिया में हर इंसान अपने जीवनकाल में कुछ बड़ा करना चाहता है; अपनी एक अलग पहचान बनाना चाहता है। कुल मिलाकर कहा जाए तो वह सफल होना चाहता है। सफलता की यही चाह उस व्यक्ति को अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए प्रेरित करती है और जल्द ही इसके परिणाम छोटी-मोटी उपलब्धियों के रूप में दिखने लगते हैं। उपलब्धियाँ नई इच्छाओं को जन्म देकर उस व्यक्ति को और बड़े सपने देखने के लिए प्रोत्साहित करती हैं और वह इंसान पूरी लगन और ऊर्जा के साथ, योजनाबद्ध तरीके से किए गए कार्य की बदौलत एक बार फिर अपने सपनों को पूरा करता है और उसके जीवन में यही चक्र बार-बार चलने लगता है।
दोस्तों, देखे हुए सपनों के पूरे होने की वजह से लक्ष्यों में आया यह परिवर्तन उसे उसके जीवन की मूल प्राथमिकताओं से दूर कर देता है। जैसे, अगर आप उससे पूछेंगे कि ‘तुम यह सब किसके लिए कर रहे हो?’ तो वह कहेगा, ‘अपने परिवार के लिए!’ लेकिन अगर आप बारीकी से देखेंगे तो यह पाएँगे कि वह व्यक्ति यह सब जिसके लिए कर रहा है, उनसे ही अर्थात् अपने परिवार से दूर होता जा रहा है। अब उसके पास पैसा और संसाधन तो हैं लेकिन अपने परिवार, दोस्तों, रिश्तेदारों या हितैषियों के लिए समय नहीं है। इसका दूरगामी परिणाम सब कुछ होने के बाद भी सुख और शांति ना होने के रूप में देखने को मिलता है।
याद रखिएगा साथियों, हमारे जीवन का मुख्य उद्देश्य हर हाल में सुख शांति के साथ रहना है, ना कि पैसों या संसाधनों के साथ। हाँ यह ज़रूर है कि जब दोनों एक साथ होंगे तो सोने पे सुहागा होगा। लेकिन इसके लिए आपको भौतिक या व्यवसायिक लक्ष्यों के साथ-साथ व्यक्तिगत लक्ष्यों को भी साधना होगा, जो एक अच्छे रिश्तों की बुनियाद पर खड़े होते हैं। दूसरे शब्दों में कहूँ तो आपको अपने रिश्तों को बेहतर बनाने के लिए थोड़े से वक्त का निवेश परवाह और अपनेपन के भाव के साथ करना होगा। अपनापन सम्बन्धों अर्थात रिश्तों के लिए प्राणवायु के समान होता है जो लोगों को अपना बनाने के लिए आवश्यक होता है।
लोगों को अपना बनाने के बाद दूसरी चीज़ जो सबसे महत्वपूर्ण होती है, वह है, ‘परवाह!’, क्योंकि कोई कितना भी आपका अपना क्यों ना हो अगर आप उसकी परवाह नहीं करेंगे तो वह ज़्यादा दिनों तक आपके साथ नहीं चल पाएगा। इसका अर्थ हुआ परवाह के बिना कोई भी सम्बंध ज़्यादा दिन चल नहीं सकता है। इसीलिए कहा जाता है सम्बंध बनाने से ज़्यादा निभाना कठिन है। इसलिए हमेशा याद रखिएगा साथियों, अपनेपन के भाव के साथ बनाए गए सम्बंध सिर्फ़ और सिर्फ़ तभी टिकाऊ और मधुर बने रह सकते हैं, जब आप उसे प्रभाव, पैसे, दबाव आदि से नहीं अपितु परवाह से सींचते हैं।
अपनेपन के साथ बनाए गए सम्बन्धों को परवाह के साथ सींचने के बाद अगर थोड़ा सा वक्त देकर संवारा जाए तो यह आजीवन चलते हैं। इसलिए दोस्तों, जीवन को पूर्ण रूप से सफल बनाने के लिए रिश्तों पर निवेश करें। फिर भले ही वे आज मृतप्राय क्यों ना हों। ऐसे सम्बन्धों को भी आप थोड़ा वक्त देकर बेहतर बना सकते हैं। इस आधार पर कहा जाए तो अपनेपन से संबंध बनते हैं, परवाह करने से निभते हैं और थोड़ा वक्त निकालने से संबंध आजीवन टिकते हैं। आईए आज से हम इस सूत्र को अपनाकर अपने जीवन को बेहतर बनाते हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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