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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

अवसर या क़िस्मत नहीं, सिद्धांत बनाते हैं आपको महान…

Mar 7, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, सर्वप्रथम तो आप सभी को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ!!!


जीवन में कई बार कुछ ऐसा घट जाता है जो आपके दिल पर ना सिर्फ़ हमेशा के लिए अमिट छाप छोड़ जाता है, बल्कि आपको जीवन जीने की कला भी सिखा जाता है। ऐसा ही एक वाक़या कई साल पहले मेरे साथ घटा था। बात वर्ष 1994 की है जब मैं कम्प्यूटर का व्यवसाय किया करता था। एक दिन एम॰पी॰ पब्लिशर्स के संचालक स्व. श्री प्रेम बाहेती जी मेरे ऑफ़िस आए और मेरे ताऊजी के सामने मुझे बुरी तरह डाँटते हुए बोले, ‘ऐसे व्यवसाय करोगे तो जीवन में तरक़्क़ी कैसे करोगे?’


उनके बात कहने के तल्ख़ लहजे ने मुझे उस वक्त थोड़ा विचलित ज़रूर करा लेकिन जब मुझे उनके डाँटने की वजह पता चली तो मैं आश्चर्यचकित रह गया। असल में उन्होंने मुझसे अपने कम्प्यूटर ट्रेनिंग सेंटर के लिए कुछ कम्प्यूटर, प्रिंटर, यू॰पी॰एस॰ आदि लिए थे और उनके हिसाब से मुझे उनसे उस वक्त लगभग 35-40 हज़ार रुपए लेना थे, जिसे मैं अपनी गलती की वजह से लगभग भूल ही गया था। उन्होंने मुझे बकाया रक़म का बैंकर्स चेक दिया और उसे हाथों-हाथ बैंक में जमा करने के लिए कहा क्योंकि उसकी छः माह की वैधता समाप्त होने वाली थी।


चेक देकर जाते समय उन्होंने मुझे जीवन की एक बड़ी नसीहत देते हुए कहा, ‘निर्मल, बड़े व्यवसाय, बड़े कार्यों या बड़ी-बड़ी बातों से नहीं, बल्कि सिद्धांतों का पालन करते हुए चलने से बनते हैं।’ दोस्तों, बात थी तो बड़ी छोटी सी लेकिन अपने अंदर जीवन को दिशा देने का एक बहुत महत्वपूर्ण संदेश लिए हुए थी। वाक़ई में सिद्धांतों पर चलकर हारना, झूठ के दम पर जीतने से कई गुना बेहतर है क्योंकि झूठ आधारित जीत आपको तात्कालिक ख़ुशी देगी, लेकिन जीवन भर के लिए आप दिल पर बोझ लिए घूमते रहेंगे। इसके विपरीत सत्य और सिद्धांत के मार्ग पर मिली हार भी आपके लिए सुकून दायक सिद्ध होगी।


इसीलिए मेरा मानना है कि जीवन में हार-जीत से भी ज़्यादा कोई महत्वपूर्ण चीज़ है तो वह है, ‘सिद्धांत।’ सिद्धांत, याने सत्य या सच्चाई का पथ, श्रेष्ठता का पथ, इंसानियत, मानवता या धर्म का पथ। दोस्तों, सिद्धांत के रास्ते पर चलते समय कई बार आपको लग सकता है कि आप नुक़सान में हैं, लेकिन यक़ीन मानिएगा, हक़ीक़त में आप ज़्यादा बड़ी जीत की तरफ़ अपने कदम बढ़ा रहे होते हैं। वैसे भी सिद्धांतवादी लोग हार कर भी जीतते हैं और बाज़ार में भी जीतने वाले से ज़्यादा उनकी हार के चर्चे होते हैं। मेरी बात से सहमत ना हों साथियों, तो इतिहास उठाकर देख लीजिए आप पाएँगे कि जितने भी महापुरुष हुए हैं उन सभी ने जीतने के बजाय हारना स्वीकार किया; मगर अपने सिद्धांतों से कभी भी समझौता नहीं किया। यही उनकी महानता का कारण भी बना और लोग उन्हें इसीलिए याद भी करते हैं।


यह बात भी सही है दोस्तों कि 2 मिनिट नूडल्स के दौर में सत्य और सिद्धांत के रास्ते पर चलना आसान नहीं होगा, लेकिन एक बात तो तय है कि सत्य और सिद्धांत का मार्ग श्रेष्ठ ज़रूर होता है। यहाँ आपकी पग-पग पर परीक्षा होगी, कदम-कदम पर आपको चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा, कई बार मुश्किलों से गुजरना पड़ेगा, कई बार छोटी-मोटी असफलताएँ भी आपको भटकाने का प्रयास करेंगी। लेकिन इसके बाद एक समय ऐसा भी आएगा जब लोग आपके बारे में चर्चा किया करेंगे। जैसे, आज मैं इस दुनिया से जाने के लगभग 10-15 साल बाद आदरणीय प्रेम बाहेती अंकल को याद कर रहा हूँ।


जी हाँ दोस्तों, याद रखिएगा इस दुनिया में इंसान तीन बार मरता है। पहला तब, जब वह अपने सिद्धांतों से समझौता करता है, अपनी आत्मा को मार जीतने का प्रयास करता है। दूसरा तब, जब वह अपने शरीर को छोड़कर जाता है और तीसरा तब, जब उसे जानने वाला अंतिम व्यक्ति भी इस दुनिया से चला जाता है। लेकिन अगर आप सिद्धांतवादी महान व्यक्ति हैं तो आपके जाने के बाद भी आपके किस्से रहेंगे और आपको जानने वाले नए लोग इस दुनिया में आते रहेंगे। दूसरे शब्दों में कहूँ साथियों, तो सिद्धांतों के मार्ग पर चलना आपको अमर बना देता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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