May 11, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, मेरा मानना है इस दुनिया का सबसे आसान कार्य है दूसरों की गलती निकालना और सबसे मुश्किल कार्य है, अपनी ग़लतियों को पहचानना और उन्हें स्वीकारना। जी हाँ दोस्तों, जीवन में बेहतर बनने और सफल होने का इससे बेहतर कोई और रास्ता ही नहीं है। जब आप अपनी ग़लतियों को पहचान कर स्वीकारते हैं, तब आप उसमें सुधार करने की आवश्यकता को पहचान पाते हैं और जब आप सुधार की आवश्यकता को महसूस कर लेते हैं, तब आप बेहतर बनने के लिए आवश्यक कदम उठाना शुरू कर देते हैं। यह स्थिति बिलकुल वैसी है जैसे तेज भूख लगने पर हम यह नहीं देखते हैं कि खाने में क्या बना है अपितु जो भी खाने का सामान सामने आ जाता है, उसे खाने लगते हैं, उससे अपनी भूख मिटाने लगते हैं। अन्यथा हमें खाने की उन्हीं चीजों में तमाम कमियाँ नज़र आ जाती हैं।
इसीलिए दोस्तों मैंने पूर्व में कहा, ‘जो दूसरों की समीक्षा कर उनकी ग़लतियाँ निकालने के स्थान पर, खुद की समीक्षा कर ग़लतियाँ पहचानने और उन्हें दूर करने का पूरी ईमानदारी से प्रयास करता है, वह कभी भी जीवन में असफल नहीं रह सकता है। वह सौ प्रतिशत निश्चित तौर पर अपने जीवन में विकास करने लगता है। ऐसे लोग दोस्तों, निश्चित तौर पर ईश्वरीय आशीर्वाद और जीवन के प्रति सही नज़रिए के कारण प्रगति या उन्नति के पथ पर चलते हुए, एक दिन सफल बन जाते हैं।’
इसके विपरीत इस दुनिया में कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जो अपने को सर्वश्रेष्ठ मान, जीवन जीते हैं। वे मान कर चलते हैं कि उनसे तो इस जीवन में कोई गलती, कोई चूक हो ही नहीं सकती है। ईश्वर के बाद वे ही सर्व ज्ञाता है। इसी वजह से वे सामान्य तौर पर अपना कार्य उतावलेपन और जल्दबाज़ी के साथ करते हैं। ऐसे लोगों को दूसरों के द्वारा किया गया कोई भी कार्य सामान्य तौर पर पसंद नहीं आता है, इसलिए ये लोग ज़्यादातर समय असंतुष्टि के भाव के साथ जीते हैं। असंतुष्टि का यही भाव इन्हें उद्विग्न और तनावग्रस्त बनाता है। ऐसे लोग अक्सर सोची गई वस्तु या लक्ष्य को तुरंत ही पूरा होने की कल्पना करते हैं और अगर किसी भी वजह से इन्हें तत्काल मनमाफ़िक परिणाम ना मिले, तो यह अपना मानसिक संतुलन खो बैठते हैं। नकारात्मक भाव, चिड़चिड़ाहट, ग़ुस्सा आदि इन्हें अशांत बना देता है। यही अशांति इनके असंतुष्टि के भाव को कई गुना और बढ़ा देती है।
याद रखिएगा दोस्तों, जीवन में आगे बढ़ने, प्रगति करने और सफल होने के लिए सबसे बड़ा गुण मानसिक स्थिरता है। अगर आप मानसिक स्थिरता खो देते हैं तो आप असंतोष रूपी उस भार को अपने कंधे पर उठा लेते हैं, जिसके साथ जीवन में लम्बा चल पाना असम्भव ही है। जी हाँ दोस्तों, असंतोष के भाव के साथ आज तक इस दुनिया में कोई भी सफल नहीं हुआ है। इसलिए दोस्तों जीवन में सफल होना है तो खुद के समेत हर व्यक्ति, हर परिस्थिति को स्वतंत्र बुद्धि की कसौटी पर परखें और जो निष्कर्ष निकलता है याने उस विषय, उस व्यक्ति, उस परिस्थिति के बारे में जो आपका अंतर्मन कहता है उसे साहस के साथ स्वीकारें। उसके आधार पर निष्कर्ष निकालें और साहस के साथ उसे अपनों से या टीम से साझा करते हुए स्वयं में सुधार करें और फिर दूसरों याने अपनों और अपनी टीम को सिखाएँ।
हो सकता है दोस्तों, ऐसा करते समय आपको अपनों के ही विरोध का सामना करना पड़े, लेकिन इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता क्योंकि अपने अंतर्मन का गला घोटने से बेहतर है, अपनों के विरोध का सामना करना। अगर आप अपने अंतर्मन को बार-बार मारेंगे, तो कहीं ना कहीं आप अपने आत्मसम्मान को ठेस पहुँचाएँगे। इससे बेहतर है तमाम विरोधों का सामना करना। इससे आपकी बौद्धिक क्षमता, विचारों की स्पष्टता, तर्क शक्ति आदि सब बढ़ेगी। कुल मिलाकर कहा जाए तो इससे आपकी बुद्धि अधिक कार्य कुशल और समर्थ बनेगी।
अंत में इतना ही कहूँगा दोस्तों, आनंद और मानसिक संतुलन का सबसे बड़ा शत्रु असंतोष है। इसलिए असंतोष से बचते हुए आशापूर्ण सुंदर भविष्य के लिए उत्साहपूर्ण तरीके से पुरुषार्थ करते हुए आगे बढ़ना ही जीवन को सफल बनाने का एकमात्र तरीक़ा है। असंतोष से प्रगति का पथ प्रशस्त नहीं, अवरुद्ध ही होता है। इसलिए ग़लतियों को स्वीकारें और जीवन में आगे बढ़ें।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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