Nov 27, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, आपने निश्चित तौर पर देखा होगा कई लोग बहुत अच्छे आइडिया या विचार पर योजनाबद्ध तरीके से कार्य करने के बाद भी वे परिणाम नहीं पा पाते हैं जिसकी अपेक्षा उन्होंने की थी। अपना सर्वश्रेष्ठ देने के बाद भी लम्बे समय तक अपेक्षित परिणाम का ना मिलना अक्सर इन लोगों का मनोबल या आत्मविश्वास डगमगा देता है और कई बार सक्षम होने के बाद भी परिणाम अपने पक्ष में ना पाकर व्यक्ति हार मान कर बैठ जाता है। लेकिन मेरा मानना कुछ अलग है साथियों, ईश्वर आपको जितनी ज़्यादा बड़ी सफलता देना चाहता है वह उसके लिए आपको उतना ही ज़्यादा तैयार करता है। बस आपको उस परमपिता ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रखते हुए, जीवन में आने वाली हर स्थिति को स्वीकारते हुए आगे बढ़ते जाना होता है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ-
बात कई साल पुरानी है रायगढ़ के एक व्यापारी को अपने व्यापार में काफ़ी नुक़सान हुआ। हालात कुछ ऐसे बने कि वह व्यापार को बचाने के लिए जितना प्रयास करता, उतना ही गड्डे में धँसता जाता अर्थात् व्यापार में उसका घाटा बढ़ता जाता। एक समय ऐसा आया जब वह अपनी ज़िंदगी से हार मान, खुद को नुक़सान पहुँचाने वाले विचारों को साथ लिए अनजाने रास्ते पर चल पड़ा। रास्ते में उस व्यापारी की मुलाक़ात अपने एक शिक्षक से हुई, शिक्षक उसके हाव-भाव को देख उसकी मनोदशा तुरंत समझ गए और उससे उसकी परेशानी का कारण पूछा। कुछ पल ठहरकर व्यापारी बोला, ‘गुरुजी, पिछले कुछ वर्षों में हुए व्यवसायिक नुक़सान में मैं अपना सब कुछ गँवा चुका हूँ। स्थिति को ठीक करने के लिए मैंने हर सम्भव प्रयास किया लेकिन उसके बाद भी कुछ लाभ नहीं हुआ। मेरा परिवार मुझे छोड़ चुका है, मेरा घरबार सब बिक गया है, सर पर ढेर सारा क़र्ज़ा है। सब कुछ खत्म हो गया है, मैं हार चुका हूँ। ज़िंदगी जीने की कोई वजह नहीं बची है अब आप ही बताइए मैं क्या करूँ?’
शिक्षक ने पास ही के बाग़ीचे में उगी घास और बांस की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘बेटा, शायद तुम इस जगह को पहचान गए होगे। जब तुम विद्यालय में पढ़ते थे तब हमने इस बाग में घास और बांस के बीज लगाए थे और दोनों की अच्छे से देखभाल भी की थी। हमने दोनों को ही एक सा पानी, एक सा वातावरण, एक सी रोशनी और एक समान ध्यान दिया था। घास ने जल्द ही चारों ओर हरियाली फैला दी थी लेकिन बांस का बीज पौधे का रूप ही नहीं ले रहा था। हालाँकि हमारी देखरेख में कोई कमी नहीं थी लेकिन बांस के पौधे को बढ़ता ना देख तुम बहुत परेशान हुए थे।’
ऐसे ही पौधों का ध्यान रखते-रखते दूसरा, फिर तीसरा और फिर चौथा साल गुजर गया। अब घास एकदम घनी और थोड़ी ज़्यादा बड़ी भी हो गई थी। लेकिन बांस के बीज से अभी भी पौधा अंकुरित नहीं हुआ था। तुम उस समय बांस के बीज का ध्यान रखना बंद करना चाहते थे लेकिन मेरे कहने पर तुम बिना नाराज हुए दोनों की देखभाल करते रहे। तुमने अपनी ओर से मेहनत में कोई कमी नहीं छोड़ी। इसकी का नतीजा था कि पाँचवे साल बांस के उस बीज से एक छोटा सा लेकिन एकदम कमजोर सा पौधा अंकुरित हुआ, जो घास से भी छोटा और नाज़ुक लग रहा था। लेकिन आने वाले कुछ ही महीनों में उस पौधे ने कई फ़ीट की ऊँचाई प्राप्त कर ली। तुम जानते हो इसकी वजह क्या थी?, असल में हमने बांस की जड़ को विकसित होने, ज़मीन पर अपनी पकड़ मज़बूत करने के लिए 5 साल का समय दिया था या यूँ कहूँ 5 साल का समय लगाकर उसे मज़बूत पकड़ बनाने में मदद करी थी ताकि वह इतने ऊँचे-ऊँचे बांसों को सम्भाल सके। ठीक उसी तरह आज संघर्ष करके तुम भी अपनी जड़ों को मज़बूत कर रहे हो, जिससे आने वाले कल को तुम अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय बना सको।’
इसीलिए दोस्तों, पूर्व में मैंने कहा था, लम्बे समय तक अपेक्षित परिणाम ना मिलने पर भी हमें ईश्वर पर पूर्ण विश्वास रख, अपने आत्मविश्वास और मनोबल को ऊँचा रखना होगा क्यूँकि हमें पता है कि विपरीत परिस्थितियों में रख ईश्वर हमें बड़ी सफलता के लिए तैयार कर रहा है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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