Nirmal Bhatnagar
असफलता और सुधार के लिए गये ब्रेक के अंतर को समझें…
Oct 9, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, इस शनिवार मुझे जयपुर में फाइनेंस वर्ल्ड हेल्थ एंड वेलनेस फ़ेस्ट में बतौर वक्ता भाग लेने का मौक़ा मिला। कार्यक्रम के अंत में प्रश्नोत्तर राउंड में एक युवा, जो उस वक़्त फोटोग्राफर की भूमिका निभा रहे थे, मेरे पास आए और बोले, ‘सर, मैं जीवन में कई बार असफल हुआ हूँ और समझ नहीं पा रहा हूँ कि किस तरह सारी असफलताओं को डील करता हुआ जीवन में आगे बढ़ूँ।’ जब मैंने उनसे विस्तार में बताने के लिए कहा तो मुझे पता चला कि उस युवा ने इंटर्नशिप के दौरान अपनी सी.ए की पढ़ाई को ड्रॉप किया, उसके बाद इवेंट मैनेजमेंट के क्षेत्र में हाथ आज़माया, फिर कुछ समय के लिए आई.टी में और अब वह एक व्यवसायिक फोटोग्राफर के रूप में कार्य कर रहा है। पूरी बातचीत के दौरान मुझे एहसास हुआ कि उस युवा ने पढ़ाई को छोड़कर अन्य क्षेत्रों में हाथ आज़माने का निर्णय असफलता के कारण नहीं अपितु अपनी पसंद का कार्य चुनने के प्रयास में किया है और अब पियर प्रेशर याने अपने दोस्तों को उनके कैरियर में आगे बढ़ता देख, ख़ुद को असफल मान रहा है।
मैंने अपने जवाब की शुरुआत उस युवा से प्रश्न करते हुए करी और उससे पूछा, ‘मान लीजिए आप जयपुर से मुंबई जाना चाहते थे, लेकिन गलती से दिल्ली की ट्रेन में चढ़ गए। अलवर पहुँचने पर आपको एहसास हुआ कि आप गलत ट्रेन में यात्रा कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में आप क्या करेंगे?’ वह युवा तपाक से बोला, ‘ट्रेन बदलूँगा।’ मैंने बात आगे बढ़ाते हुए अगला प्रश्न पूछा, ‘सोचिए इस बार आप जयपुर से मुंबई जाने वाली सही ट्रेन में बैठे हैं। तो अब क्या आप मुंबई पहुँच जाएँगे?’ ‘जी ज़रूर!’ युवा ने तपाक से जवाब देते हुए कहा। मैंने बिना वक़्त गँवाये उससे अगला प्रश्न किया, ‘जिस ट्रेन से आप जयपुर से मुंबई की यात्रा कर रहे थे उसमें कुछ यात्री कोटा, नागदा, रतलाम, बड़ौदा, सूरत और वसई आदि स्टेशन से भी चढ़े। क्या बीच के स्टेशन से चढ़े यात्री भी मुंबई पहुँच जाएँगे?’ युवा को मेरा यह सवाल थोड़ा बेतुका सा लगा, उसने मुस्कुराते हुए कहा, ‘जी, ज़रूर पहुँचेंगे। लेकिन आप कहना क्या चाह रहे हैं, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ।’ मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘बस मेरे एक प्रश्न का उत्तर और दे दीजिए, फिर मैं आपको विस्तार से समझाता हूँ। इतना कहते हुए मैंने अपना अंतिम प्रश्न उस युवा से पूछा, ‘मान लीजिए, मुंबई जाने वाली सही ट्रेन में बैठने के बाद भी आप किसी मानसिक दुविधा के चलते रास्ते के किसी स्टेशन पर गलती से उतर जाते हैं, तो क्या अब आप उस ट्रेन से मुंबई पहुँचेंगे?’ युवा मुस्कुराते हुए बोला, ‘बिलकुल भी नहीं, लेकिन मैं मुंबई जाने के लिए वहाँ से कोई दूसरी ट्रेन ले सकता हूँ।’ मैंने कहा बिलकुल सही कह रहे हैं आप, बस अब इन्हीं सब प्रश्नों को स्वयं और अपने कैरियर से जोड़कर देख लो।
मेरा यह जवाब शायद उस युवा की अपेक्षा से परे था, वह आश्चर्यचकित निगाहों से मेरी ओर देखते हुए बोला, ‘कैसे?’ मैंने कहा, ‘पढ़ाई अथवा कोई कार्य अगर आपको आपके लक्ष्यों की ओर नहीं ले जा रहा है तो उसे बीच में ही छोड़ना बेहतर है। अन्यथा आप रोज़ समझौता करते हुए अपना जीवन जीते हैं। यह स्थिति ग़लत दिशा में जा रही ट्रेन में बैठने के समान है। ऐसी स्थिति में अपनी पढ़ाई या कैरियर की दिशा को बीच में बदलना, एक सही कदम है। इसलिए मैं सी.ए की पढ़ाई या अन्य चीजों को बीच में छोड़ने के आपके निर्णय को असफलता से जोड़कर नहीं देखूँगा। रही बात कैरियर बनाने में देरी होने की तो वह तब तक मायने नहीं रखता, जब तक आप रोज़ एक कदम सही दिशा में उठा रहे हैं फिर भले ही वह कदम छोटा सा ही क्यों ना हो। यह स्थिति मुंबई वाली ट्रेन में जयपुर के स्थान पर कोटा, नागदा, रतलाम, बड़ौदा, सूरत और वसई आदि स्टेशन से चढ़कर मुंबई पहुँचने के समान होगी। इस पूरे प्रयास में सबसे महत्वपूर्ण यही है कि आपकी दिशा सही हो यानी आपको आपका लक्ष्य पता हो।’
‘सर यही तो समस्या है कि लक्ष्य क्या है पता नहीं है।’ युवा ने बात आगे बढ़ाते हुए कहा। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘इसको पता करने का सबसे आसान तरीक़ा उन कार्यों को पहचानना है जो आपको ख़ुशी देते हैं। इसके साथ ही, जिन्हें करते समय आप थकने के स्थान पर ख़ुद को ऊर्जावान महसूस करते हैं और जो कार्य आपके आलस्य और काम टालने की प्रवृति को कम करते हैं। ऐसे कार्यों या क्षेत्रों को आप अपना लक्ष्य बना सकते हैं।’ यहाँ तक बात पहुँचते-पहुँचते युवा की आँखों की चमक वापस आ चुकी थी। उसने बात आगे बढ़ाते हुए पूछा, ‘सर अगर बहुत सारे काम मुझे ख़ुशी, ऊर्जा और गति दे रहे हों तो फिर उनमें से मुझे किसे चुनना चाहिए?’ प्रश्न बड़ा सटीक और आवश्यक था मैंने मुस्कुराते हुए कहा, ‘ऊपर वाली सारी बातों को भूलकर तुम्हें उन बातों, कार्यों या प्राथमिकताओं की सूची बनाना चाहिये जो तुम अपने जीवन में पूरी करना चाहते हो। उसके बाद जितने भी कार्य तुम्हें पसंद थे उनमें से उस कार्य को अपना लक्ष्य बनाओ जिसकी सहायता से तुम अपनी सभी प्राथमिकताओं को पूरा कर सकते हो। इसके लिए एक उपाय यह भी हो सकता है कि तुम दो या तीन पसंदीदा कार्यों को मिलाकर एक नया क्षेत्र अपने लक्ष्य के रूप में चुन लो।’
सही कहा ना दोस्तों? अगर कोई डिग्री या कोर्स आपको आपके सपनों को पूरा करने की दिशा नहीं दिखा पा रहा हो या जिसे करते वक़्त आपको आंतरिक ख़ुशी नहीं मिल रही हो या फिर उसके लिए पढ़ना आपको बोझ लगता हो तो उसे बीच में छोड़ना असफलता नहीं अपितु अपने जीवन की गाड़ी को सही दिशा में ले जाने का सार्थक प्रयास है और अगर सार्थक प्रयास चुनने याने ख़ुशी देने वाले लक्ष्य को चुनने और उसे पाने के लिए आपको थोड़ा समय लगाना और साथ ही दर्द भी सहना पड़ता है तो भी कोई नुक़सान नहीं है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com