Nov 12, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
व्यवसायी अक्सर समय से पहले मौक़ों को पहचानकर अपने ज्ञान, अनुभव, विशेषज्ञता, पूँजी और संसाधन आदि की मदद से मुनाफ़ा कमाते हैं। लेकिन कई बार आशा के विपरीत मिले परिणाम उन्हें बड़ा नुक़सान दे, असफल भी बना देते हैं। ऐसी स्थिति में उन्हें तनाव, दबाव और नकारात्मक अनुभव के बीच, खुद को संयमित रखते हुए एक बार फिर बचे हुए संसाधनों, सीमित पूँजी, ज्ञान, योग्यता, कौशल और समय का सही उपयोग कर खुद को सफल बनाना होता है। पिछले दो दिनों में हमने असफलता को पीछे छोड़ सफल बनने के 15 सूत्रों में से 10 सूत्र सीखे थे, आईए आगे बढ़ने से पहले संक्षेप में उन्हें दोहरा लेते हैं-
पहला सूत्र - स्वीकारोक्ति का भाव विकसित करना
अगर आप असफलता के दौर के बाद जल्द सफल होना चाहते हैं, तो सबसे पहले अपनी पूँजी, समय, ऊर्जा और संसाधन का सही प्रयोग करना शुरू करे। यह तभी सम्भव होगा जब आप यथास्थिति को स्वीकारना शुरू कर देंगे।
दूसरा सूत्र - ग़लतियाँ ना दोहराना
जो काम करता है वही ग़लतियाँ करता है और उन्हीं ग़लतियों से सीखकर बेहतर बन सफल हो जाता है। लेकिन अक्सर लोग ग़लतियों को दोहराने के कारण हाथ आए इस मौके को गँवा देते हैं, इससे बचें।
तीसरा सूत्र - स्वयं का, अपनी टीम का एवं व्यवसाय का विस्तृत विश्लेषण करना
असफलता या विफलता का हर कोण अर्थात् योजना, बाज़ार, मैनपॉवर आदि का विस्तृत विश्लेषण SWOT जैसी पद्धति से करना आपको हार के सही कारण को पहचानने का मौक़ा देता है। यह आपको नई योजना बनाने और मेहनत कर उसे सफलता का रूप देनें में मदद करता है।
चौथा सूत्र - प्राथमिकताएँ बनाना
प्राथमिकता को बनाकर उसके अनुसार कार्य करना आपको समय, संसाधन, ऊर्जा और मैन पॉवर का सही उपयोग कर सफल होने का मौक़ा देता है। प्राथमिकताएँ बनाते वक्त उन कार्यों को पहले रखें जो आपको अपने लक्ष्यों की ओर ले जाते हैं।
पाँचवा सूत्र - विशेषज्ञों की मदद लेना
विशेषज्ञों, व्यवसायिक सलाहकारों या कोच की मदद लेना आपको सम्भावित ग़लतियों से बचाकर कम समय में बड़े लक्ष्य प्राप्त करने में मदद करता है। कोच का चुनाव अनुभव, ज्ञान और उनके कार्य क्षेत्र को देख-समझ कर करें।
छठा सूत्र - ख़र्चों पर कंट्रोल करना
नुक़सान के बाद सफल वापसी के लिए हाथ में तरल पूँजी का होना अति आवश्यक है। इसलिए असफलता के बाद सबसे पहले अपने अनावश्यक या ग़ैरज़रूरी ख़र्चों पर लगाम लगाइए। इसके साथ ही आप तरल पूँजी बढ़ाने के लिए ग़ैरज़रूरी स्टॉक, इन्वेंटरी और असेट्स को बेच सकते हैं; स्टाफ़ छटनी, पेरोल, वसूली आदि पर भी कार्य कर सकते है।
सातवाँ सूत्र - कम मुनाफ़े वाले उत्पादों और सेवाओं को छोड़ें
बाज़ार में जिन उत्पादों की माँग ज़्यादा हो, जिनमें मुनाफ़ा अच्छा हो, उन पर अपना फ़ोकस बढ़ाकर, उस पर समय, ऊर्जा और संसाधन लगाना आपके मुनाफ़े को जल्दी बढ़ाता है और इसके लिए आपको अपना फ़ोकस उन उत्पादों या सेवाओं से हटाना होगा जो समय, संसाधन और ऊर्जा तो ज़्यादा माँगती हैं लेकिन मुनाफ़ा कम देती है।
आठवाँ सूत्र - लक्षित बाजार का पुनर्मूल्यांकन करना
उत्पाद या सेवा अच्छी होने के बाद भी सही बाज़ार ना चुन पाने की वजह से हम सफल नहीं हो पाते हैं। इसलिए असफलता के बाद नई शुरुआत करने से पूर्व लक्षित बाज़ार का पुनर्मूल्यांकन करना एक अच्छा विचार है। यह आपको सम्भावित ग्राहक तक कम से कम समय और पूँजी में पहुँचने का मौक़ा देता है।
नवाँ सूत्र - सेल्स बढ़ायें
सेल बढ़ाने के लिए खुद से पूछें, ‘अपने उत्पाद या सेवा की सेल बढ़ाने के लिए और क्या किया जा सकता है?’; ‘मेरी सेवा या उत्पाद कैसे ज़्यादा से ज़्यादा सम्भावित ग्राहकों तक जा सकती है?’; ‘क्या मैं अपने उत्पाद या सेवा का मूल्य बढ़ा सकता हूँ?’; ‘क्या किसी नए प्लेटफ़ॉर्म पर मेरा उत्पाद या सेवा बेची जा सकती है?’, ‘क्या नई रणनीति या साझेदारी मुझे बाज़ार या मुनाफ़ा बढ़ाने में मदद कर सकती है?’ आदि। इन प्रश्नों के जवाब के आधार पर मेहनत करें।
दसवाँ सूत्र - फ़ाइनैन्स के कंट्रोल का सिस्टम बनाएँ
याद रखिएगा, आपका कंट्रोल जितना ज़्यादा आपकी पूँजी पर होगा आप व्यापार में उतना ही जल्दी सफल होंगे। इसलिए असफलता के बाद नई शुरुआत करते समय अच्छे फायनेंशियल एडवाइज़र की मदद लें और अपनी पूँजी को ट्रैक करने का सिस्टम विकसित करें। याद रखिएगा, पैसे कमाने जितना ही ज़रूरी अपने पैसे का ध्यान रखना भी है।
चलिए दोस्तों, अब हम अगले पाँच सूत्र सीखते हैं-
ग्यारहवाँ सूत्र - जो और जितना सम्भव हो ऑटोमेट करें
नुक़सान या असफलता के बाद सफल बनना हो तो ग़लतियों को दोहराने से बचने के साथ-साथ, कार्य की गति पर भी ध्यान देना आवश्यक हो जाता है और ऑटोमेशन इसमें हमारी मदद करता है। वैसे ऑटोमेशन के और भी कई लाभ हैं। जैसे, तेज गति और परफ़ेक्शन के साथ कार्य पूर्ण करना; बार-बार चेक री-चेक की ज़रूरत ना रहना; सीमित और एक बार की लागत में परफ़ेक्ट सिस्टम से कार्य करना; आदि।
बारहवाँ सूत्र - विकास की मानसिकता रखें
स्वयं व अपनी टीम के हर सदस्य को यह विश्वास दिलाएँ कि हमारा जन्म सफल बनने, कुछ बड़ा करने के लिए हुआ है। हम अपने जीवन को छोटी-मोटी चीजों में बर्बाद नहीं कर सकते हैं। इसके साथ ही तेज़ी से लक्ष्य की ओर बढ़ने के लिए अपनी टीम को ट्रेन और मोटिवेट करें, उन्हें रिजेक्शन और असफलता को डील करना सिखाएँ; साथ ही उन्हें अपने ब्रांड, उसके कमिटमेंट, एस॰ओ॰पी॰ और भविष्य की योजनाओं के बारे में भी जागरूक रखें।
तेरहवाँ सूत्र - कमियों को दूर करें और अपनी स्ट्रेंथ पर खेलें
विफलता से मिली शिक्षा के आधार पर अपनी कमियों को दूर करें और साथ ही जिस क्षेत्र में आप विशेषज्ञता रखते हैं, उस पर आधारित सेवाओं या उत्पाद का चयन कर खुद को बाज़ार में स्थापित करें। याद रखिएगा, हर उत्पाद, सेवा या अवसर को भुनाने का प्रयास करना सफलता का निश्चित सूत्र नहीं होता है। पहले खुद को स्थापित करें फिर धीमे-धीमे नए क्षेत्रों में सीमित मात्रा में रिस्क लें।
चौदहवाँ सूत्र - संवाद बढ़ाएँ
अक्सर लोग नुक़सान या असफल होने के बाद खुद को समाज, व्यवसायिक समूह आदि से दूर कर लेते हैं। इसके स्थान पर अपने परिवार, दोस्त, पार्टनर, कोच, फ़ायनेंसर्स आदि से संवाद बढ़ाएँ उनसे राय माँगे, उनको अपनी आगामी योजनाओं के बारे में बताएँ। इसका सबसे बड़ा लाभ होगा कि वे समझ पाएँगे कि आप नहीं, सिर्फ़ आपका एक विचार या व्यवसाय असफल हुआ है।
पंद्रहवां सूत्र - एक बार में एक कदम आगे बढ़ाएँ
असफलता से सफलता की यात्रा वैसे ही चुनौतियों भरी होती है, ऐसे में एक साथ बहुत सारे बड़े बदलाव एकसाथ करना ज़्यादा रिस्की हो जाता है। संसाधन, तरल पूँजी, समय आदि की सीमित उपलब्धता को देख एक बार में एक कदम बढ़ा, छोटी-छोटी सफलता ले आगे बढ़ना ऐसी स्थिति में मनोबल और व्यवसाय दोनों के लिए अच्छा रहता है।
आशा करता हूँ उपरोक्त पंद्रह सूत्र आपको अपने व्यवसाय में जल्द सफल बनाने में मदद करेंगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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