Sep 25, 2022
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, यह सही है की ज़िंदगी जीने के लिए है और कहीं ना कहीं ‘जीना’ कुछ हद तक पैसे या भौतिक सुख-सुविधाओं के आस-पास जुड़ ही जाता है। इसीलिए लोग सफलता का पहला अर्थ पैसे और सुख-सुविधाओं से लगाते हैं और फिर उसे पाने की कामना करते हैं। कामना करना, उसे पाने के लिए मेहनत करना या अथक प्रयत्न करना कहीं से गलत भी नहीं है। लेकिन रास्ते में कठिनाइयाँ ना मिलें, ऐसा सम्भव नहीं है। पर कुछ लोग तो और एक कदम आगे जाते हैं और सोचते हैं की असफलता की बात करना तो छोड़ो, उस विषय में सोचना भी मना है।
मेरी नज़र में तो उपरोक्त सोच ही पूरी तरह गलत है। जो लोग मनमाफ़िक परिणाम पाकर खुश होते हैं और प्रतिकूल स्थितियों या परिणामों में दुखी होते हैं, वे हमेशा सुख और दुःख के बीच में ही झूला झूलते हैं। माफ़ कीजिएगा, मैं तो इसे मानसिक दिवालियापन मानता हूँ। जो व्यक्ति जीवन में सिर्फ़ पैसा, सुख-सुविधा और सफलता चाहता है, वह ज़िंदगी जीता नहीं, सिर्फ़ काटता है अर्थात् इसका जीवन मृतकों से भी बुरा होता है। ऐसा मैं एक छोटे से कारण से कह रहा हूँ, जिसका अंतर्मन, जिसका दिल सिर्फ़ और सिर्फ़ पैसे की चिंता से भरा हुआ है, जो सिर्फ़ पैसे को ही सब कुछ मानता है, जो हमेशा अनजाने डर से घिरा रहकर जीवन जीता है, उसे ज़िंदगी जीना नहीं कहा जा सकता है। दोस्तों मेरी बात पर प्रतिक्रिया देने से पहले एक बार इसपर सोच कर ज़रूर देखिएगा।
वास्तव में तो दोस्तों ज़िंदगी जीने का अर्थ हर पल उत्साह से भरा होना है, जिसमें ऊँचा उठने, कुछ बड़ा पाने की चाह तो हो। लेकिन किसी तरह का अनजान डर ना हो। जहाँ आप हर पल कुछ पाने के लिए नहीं बल्कि अपना सर्वश्रेष्ठ देने के लिए कार्य करते हैं। और साथ ही आपका जीवन जीने का उत्साह दिन-प्रतिदिन बढ़ता जाता हो।
जी हाँ दोस्तों मैंने तो अपने अभी तक के जीवन से यही सीखा है। मैं स्वयं अपने जीवन में एक, दो या तीन नहीं, कई बार असफल हुआ हूँ। लेकिन हर बार पहले से ज़्यादा बेहतर बनकर उठा हूँ। जीवन में ऐसी उत्साहपूर्ण सक्रियता सिर्फ़ और सिर्फ़ तब सम्भव है, जब आप हर पल कठिनाइयों से लड़ने और असफलताओं को गले लगाने के लिए तैयार रहते हैं, अर्थात् इनसे निपटने का साहस रखें। इसे आप उर्दू की कहावत, ‘हिम्मत ए मर्दा, मदद ए ख़ुदा!’ से भी जोड़ कर देख सकते हैं।
वैसे भी दोस्तों जो चुनौतियों से डरेगा वो मरेगा। अर्थात् वह बेचैन, व्यग्र, चिंतित, निराश और डरा हुआ रहेगा। ऐसे हताश या नकारात्मक लोगों को तो इस संसार पर बोझा ही माना जा सकता है क्यूंकि निराश मनःस्थिति वाला व्यक्ति किसी पुरुषार्थ के लायक़ नहीं रहता है। आप खुद सोच कर देखिए किसी पौधे की जड़ में ही कीड़े या दीमक पड़ जाए तो क्या वह पौधा लहलहा सकता है? उसमें फूल, फल लग सकते हैं? बिलकुल भी नहीं साथियों, उपरोक्त लोग भी ऐसे ही होते हैं। याद रखिएगा, जिसके सपने में दम और दिल में ऊर्जा ना हो और जो व्यक्ति विपरीत परिस्थितियों से लड़ना ना जानता हो, उससे जीवन खुलकर जीने की आशा बिलकुल भी नहीं रखी जा सकती है।
दोस्तों अगर आप वाक़ई खुल कर जीवन जीना चाहते हैं तो सुख-सुविधा की कामना ज़रूर करें, यह पूरी तरह सही और उपयुक्त है लेकिन साथ ही रास्ते में आने वाली कठिनाइयों से लोहा लेने की लिए सदैव तत्पर रहें। कठिनाइयाँ असल में आपका सुख, जीत की ख़ुशी और संतुष्टि लेकर आती है, बस वह यह सब देने से पहले थोड़ी डर के लिए हमारे साथ खेल करती हैं, आपको परखती है की आप इनके लायक़ भी हैं के नहीं। यदि आप कठिनाइयों के द्वारा ली जाने वाली परीक्षा में असफल हो गए तो जीवन में अंधेरा होना तय है और तब आपका जीवन निराशा, क्षोभ, भय तथा असंतोष से भर जाएगा और अगर आपने इस परीक्षा को उत्तीर्ण कर लिया तो आपके हाथ जीवन का असली सुख होगा।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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