Nov 24, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…
दोस्तों, आज के लेख की शुरुआत कुछ चौकाने वाले आंकड़ों से करना चाहूँगा। “भारत रत्न डॉ बाबासाहेब अंबेडकर लॉ कॉलेज”, भिवाड़ी के असिस्टेंट प्रोफेसर श्री सरफ़राज़ और अंसारी शब्नूर बानो के द्वारा की गई वर्ष 2022 में एक रिसर्च के मुताबिक़; कोविड 19 के बाद भारत में वकीलों के पास आने वाले 10 फ़ोन में से 7 फ़ोन तलाक़ के मामलों के होते हैं। अगर मैं आपको एक अन्य रिसर्च के आंकड़ों से इसे और स्पष्ट बताने का प्रयास करूँ तो लॉकडाउन हटने के बाद भारतीय न्यायालय में तलाक के मामलों में 20% की वृद्धि हुई है और 2022 के मुक़ाबले 2023-24 में तलाक की अर्ज़ियों में लगभग 55 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इसमें और ज्यादा चौकानें वाली बात यह है कि इनमें से ज्यादातर शादियां एक साल भी अच्छे से नहीं चल पाई हैं। जब इस विषय में गहराई से पड़ताल की गई तो इस बढ़ते हुए आँकड़े के पीछे की मुख्य वजह घरेलू हिंसा, विवाहेतर संबंध, वित्तीय समस्या, चिड़चिड़ापन, गुस्सा, बदलती प्राथमिकताएँ, नशे की लत या अन्य व्यसन पाये गए। दूसरे शब्दों में कहा जाये तो आज ‘प्यार’ के मुक़ाबले ‘मैं’ बड़ा होना तलाक की मुख्य वजह है। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी के माध्यम से समझाने का प्रयास करता हूँ।
कई साल पहले समुद्र के बीच एक द्वीप पर सारी भावनाएँ साथ रहती थी। इन सभी भावनाओं में सामान्यतः ‘प्रेम’ सामंजस्य बनाये रखने का काम किया करता था। एक दिन समुद्र में बहुत ही तेज तूफ़ान आया, जिसकी भयावता देख सभी भावनाओं को अंदाजा हो गया कि आज इस द्वीप का बचना नामुमकिन है। अर्थात् आज के इस तूफ़ान में इस द्वीप के जलमग्न होने की पूरी संभावना है। इस भयानक स्थिति को देख सारी भावनाएँ डर गई और बचने के प्रयास में इधर-उधर भागने लगी।
लेकिन ‘प्रेम’ ने आज भी अपनी आदत के अनुसार सभी भावनाओं को बचाने का प्रयास करते हुए एक बड़ी सी नाव बनाई और सभी भावनाओं को उस पर आने के लिए कहा। सभी भावनाएँ उसी पल कूद कर नाव पर चढ़ गई और ‘प्रेम’ ने आज भी अपने व्यवहार के मुताबिक़ मीठी नज़र घुमा कर यह देखने का प्रयास किया कि कहीं कोई भावना पीछे तो नहीं छूट गई है। कुछ ही मिनिटों में ‘प्रेम’ को एहसास हुआ कि बाक़ी सब भावनाएँ तो नाव पर सवार थी, लेकिन अहंकार कहीं नजर नहीं आ रहा था। ‘प्रेम’ ने तुरंत सभी भावनाओं से अहंकार के विषय में पूछा, लेकिन कोई भी उसके संदर्भ में कुछ बता नहीं पाया। सभी चिंतित भावनाओं ने तुरंत अहंकार को खोजना प्रारंभ किया तो वह नाव के नीचे द्वीप के एक कोने में वह अलग-थलग खड़ा नजर आया। ‘प्रेम’ तुरंत नाव से नीचे उतरा और उसके पास जाकर बड़े प्यार से नाव के ऊपर लाने के लिए मनाने का प्रयास करने लगा। लेकिन अहंकार तो अहंकार ही था, वह ‘प्रेम’ के किसी भी तर्क को सुनने के लिए तैयार ही नहीं था। इसलिए वह अपनी जगह से टस से मस नहीं हुआ। अहंकार के व्यवहार को देख अन्य सभी भावनाओं ने प्रेम याने प्यार को समझाने का प्रयास किया कि तुम अहंकार को वहीं छोड़ कर नाव पर वापस आ जाओ क्योंकि अहंकार सदा से ही ज़िद्दी रहा है।
लेकिन प्रेम तो प्रेम ही था, वह आज भी आशान्वित था। वह सभी भावनाओं से बोला, ‘तुम लोग जरा भी चिंता ना करो मैं अहंकार को समझाकर राजी कर लूँगा। उसके बिना मेरा नाव पर आना उचित नहीं होगा। अभी यह बातें चल ही रही थी कि अचानक तूफ़ान बड़ा तेज हुआ और नाव आगे बढ़ गई। नाव पर होने के कारण अन्य सभी भावनाएं तो जीवित बच गई, लेकिन उस अहंकार के कारण प्रेम मर गया!!!
दोस्तों यकीन मानियेगा, रिश्तों में बढ़ती परेशानियों और तलाक़ के बढ़ते मामलों के पीछे भी यही कारण है। आज लोगों में पैसे, शिक्षा, इच्छाओं, आदतों, रूप-रंग, पसंद-नापसंद आदि बातें इतनी महत्वपूर्ण हो गई है कि इनके अहंकार की वजह से ‘प्रेम’ कहीं बीच में ही मर गया है और रिश्ते असमय ही दम तोड़ रहे हैं।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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