Jan 11, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है...
दोस्तों, अगर आप मुझसे राम और रावण के बीच का मुख्य अंतर पूछें, तो मैं कहूँगा अहंकार। एक ओर जहाँ रावण को अपने ज्ञान का अहंकार था वहीं राम को अपने अहंकार का ज्ञान था। अर्थात् अहंकार का होना आपको ज्ञानी, महा पराक्रमी होने के बाद भी बर्बाद कर सकता है। इसलिए ही कहते हैं, अहंकार मनुष्य के व्यक्तित्व का वह नकारात्मक पक्ष है, जो उसे दूसरों से अलग और श्रेष्ठ समझने के भ्रम में डालकर उसके मन के सुख, चैन और शांति को छीन लेता है। दूसरे शब्दों में कहूँ तो अहंकार मनुष्य के व्यक्तित्व का वह नकारात्मक पक्ष है जो इंसान के मन को नकारात्मक रूप से प्रभावित कर आत्म-विकास याने सेल्फ डेवलपमेंट को रोक देता है और इंसान के रिश्तों और उसकी मानसिक शांति को छीन लेता है। अगर आप अहंकार से बचना चाहते हैं तो आपको अपने व्यवहार और सोच में परिवर्तन लाना होगा। आइए, आज हम अहंकार को नियंत्रित करने के 7 प्रमुख सूत्र सीखते हैं-
नियम 1 : आहत होना और अपमानित महसूस करना बंद करें
किसी की बात या व्यवहार से तुरंत आहत होना अहंकार का परिणाम है। जब हम हर छोटी-बड़ी बात को व्यक्तिगत रूप से लेने लगते हैं, तो हम अपने जीवन में नकारात्मकता को बढ़ावा देते हैं। हमें यह समझना चाहिए कि हर व्यक्ति की अपनी सोच और दृष्टिकोण होता है। दूसरों की राय को केवल उन्हीं तक सीमित रखकर स्वीकार करना सीखें।
नियम 2: श्रेष्ठ बनने की कोशिश न करें
यह सोच कि आप दूसरों से अधिक श्रेष्ठ हैं, अहंकार का मुख्य लक्षण है। याद रखें, हर व्यक्ति के पास कुछ खास गुण होते हैं, और हम सभी एक-दूसरे से कुछ सीख सकते हैं। दूसरों के साथ समानता और विनम्रता का भाव रखना आपके व्यक्तित्व को निखारता है और रिश्तों को मजबूत बनाता है।
नियम 3: आप केवल अपनी उपलब्धियां नहीं हैं
कई बार लोग अपनी उपलब्धियों के आधार पर खुद को आंकते हैं। लेकिन आपकी पहचान केवल आपकी सफलताओं तक सीमित नहीं है। आपका वास्तविक मूल्य आपके व्यवहार, सोच और दूसरों के साथ आपके संबंधों में छिपा होता है। उपलब्धियों पर गर्व करें, लेकिन उन्हें अपनी पहचान न बनाएं।
नियम 4: जीत ही सब कुछ नहीं है
जीवन में सफलता और असफलता दोनों का ही महत्व है। जीतने का जुनून आपको अहंकारी बना सकता है। हार को स्वीकार करना और उससे सीखना हमें विनम्र बनाता है। याद रखें, जीवन में सबसे बड़ी जीत आपके अनुभव और सीख हैं, न कि केवल पद या पुरस्कार।
नियम 5: नियंत्रण छोड़ना सीखें
हर स्थिति और हर व्यक्ति को नियंत्रित करने की कोशिश करना अहंकार को दर्शाता है। यह समझें कि जीवन में हर चीज़ आपके नियंत्रण में नहीं होती। दूसरों पर भरोसा करना और चीजों को समय के साथ अपने तरीके से होने देना आपके मन को शांति प्रदान करता है।
नियम 6: रुकने का समय पहचानें
जीवन में सही समय पर रुकना और संतोष करना बहुत जरूरी है। यह आदत हमें अहंकार से बचाती है। लगातार अधिक पाने की लालसा हमें अधीर और असंतुष्ट बना देती है। संतोष का भाव अपनाएं और समझें कि कब रुकना जरूरी है।
नियम 7: आप हमेशा सही नहीं हो सकते
यह मानना कि आप हर स्थिति में सही हैं, अहंकार का सबसे बड़ा संकेत है। दूसरों के दृष्टिकोण को समझना और उनकी बातों को महत्व देना सीखें। यह विनम्रता आपको दूसरों के साथ बेहतर संबंध बनाने और अपने ज्ञान को बढ़ाने में मदद करेगी।
अंत में मैं सिर्फ़ इतना कहना चाहूँगा कि अहंकार को वश में करना आत्म-विकास और मानसिक शांति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन 7 नियमों का पालन करके आप न केवल अपने अहंकार को नियंत्रित कर सकते हैं, बल्कि एक बेहतर इंसान बनने की दिशा में कदम बढ़ा सकते हैं। जीवन में विनम्रता, संतोष और सहानुभूति को अपनाएं, क्योंकि यही सच्ची खुशी का मार्ग है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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