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Writer's pictureNirmal Bhatnagar

आँखों देखी और कानों से सुनी बात हमेशा सच नहीं होती…

July 20, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अक्सर लोग, स्थितियाँ और ज़िंदगी वैसी नहीं होती जैसी दिखती है क्योंकि अक्सर इन सभी के विषय में बनाई गई धारणाएँ तात्कालिक स्थितियों पर आधारित रहती हैं। अर्थात् अक्सर हमारे द्वारा इनको दिये गये सभी लेबल उस वक़्त आपने क्या देखा, क्या सुना और क्या महसूस किया जैसी बातों पर आधारित रहते हैं। अपनी बात को मैं आपको एक कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ, जिसके लेखक कौन हैं, मुझे नहीं पता। लेकिन मुझे लगता है कि कहानी लिखने के मूल उद्देश्य को पाने के लिए इसे आप सभी से साझा करना ज़रूरी है। तो चलिए शुरू करते हैं…


एक दिन एक प्रोफ़ेसर ने अपने कक्षा के बच्चों को एक कहानी सुनाते हुए कहा, ‘कई वर्ष पूर्व, पानी का एक जहाज़ समुद्र के बीच में दुर्घटना ग्रस्त हो गया और जहाज़ के कप्तान ने सभी लोगों को जहाज़ ख़ाली कर लाइफ बोट पर जाने का आदेश दिया। इसी जहाज पर एक युवा दम्पति भी सवार थे। जब लाईफ बोट पर चढ़ने का उनका नंबर आया तो कप्तान ने बताया कि अब नाव पर केवल एक ही व्यक्ति की जगह बची है। इतना सुनते ही युवा दंपति में से आदमी ने अपनी पत्नी को आगे से हटाया और लाइफ बोट पर कूद गया। अब डूबते हुए जहाज़ पर केवल वह युवा औरत खड़ी थी। उसने अपने पति से चिल्लाकर कुछ कहा और उसके कुछ देर बाद ही वह जहाज़ डूब गया।’


इतना कहकर प्रोफ़ेसर रुके और बच्चों से प्रश्न करते हुए बोले, ‘तुम लोगों को क्या लगता है, उस स्त्री ने अपने पति से क्या कहा होगा?’ ज़्यादातर विद्यार्थी लगभग चिल्लाते हुए बोले, ‘स्त्री ने कहा होगा कि मैं तुमसे नफरत करती हूँ!’ कुछ विद्यार्थी बोले, ‘तुमने यह अच्छा नहीं किया।’ कुछ विद्यार्थियों ने तो यह भी कहा, ‘तुमने तो सात जन्म तक साथ निभाने का वादा किया था फिर मुझे बीच में छोड़ कर क्यों चले गये। धोखेबाज़ हो तुम तो।’ लगभग सब जवाब ऐसे ही थे सिवाय अंतिम लाइन में एकदम शांत बैठे बच्चे के। अंत में उसने बहुत धीमी आवाज़ में कहा, ‘मुझे लगता है उस औरत ने कहा होगा, ‘हमारे बच्चे का ख़याल रखना।’


उस बच्चे का जवाब सुन प्रोफेसर आश्चर्यचकित थे। उन्होंने उस बच्चे से प्रश्न पूछते हुए कहा, ‘क्या तुमने यह कहानी पहले सुन रखी थी।’ लड़का गंभीर स्वर में बोला, ‘जी नहीं, लेकिन यही बात बीमारी से मरती हुई मेरी माँ ने मेरे पिता से कही थी।’ अब पूरी कक्षा में सन्नाटा था। कुछ पलों की चुप्पी के बाद प्रोफ़ेसर ने दुख पूर्वक कहा, ‘तुम्हारा उत्तर सही है।’ फिर कहानी को आगे बढ़ाते हुए वे बोले, ‘’जहाज डूब गया, स्त्री मर गयी, पति किनारे पहुँचा और उसने अपना बाकी जीवन अपनी एकमात्र पुत्री, जो नानी के पास थी, उसके समुचित लालन-पालन में लगा दिया।


कई सालों बाद उस व्यक्ति के मरने के बाद, एक दिन सफाई करते हुए उसकी लड़की को अपने पिता की एक डायरी मिली। जिसे पढ़ने के बाद उसे पता चला कि जिस समय उसके माता-पिता उस जहाज पर सफर कर रहे थे, तब उसकी माँ एक जानलेवा बीमारी से ग्रस्त थी और उनके जीवन के कुछ दिन ही शेष थे। ऐसे कठिन मौके पर उसके पिता ने एक कड़ा निर्णय लिया और लाइफ बोट पर कूद गए। इसके बाद प्रोफ़ेसर एक पल के लिए रुके और बोले, ‘उसके पिता ने डायरी में लिखा था, ‘तुम्हारे बिना मेरे जीवन का कोई मतलब नहीं, मैं तो तुम्हारे साथ ही समंदर में समा जाना चाहता था, लेकिन अपनी संतान का ख्याल आने पर मुझे तुमको अकेले छोड़कर जाना पड़ा।’ कहानी पूर्ण होने के बाद पूरी कक्षा में शांति थी।


दोस्तों, जैसा कि इस कहानी में आपने देखा कि एक ही स्थिति-परिस्थिति के अनेक अर्थ निकल रहे थे। ठीक वैसे ही इस संसार में भी अनेक जटिलताएँ हैं, जिनके कारण एक ही बात किसी को सही और किसी को ग़लत लगती है। इन्हें समझना आसान नहीं है। इसीलिए बिना गहराई को जाने-समझे, ऊपरी सतह से देखकर किसी भी परिस्थिति का एकदम सही आकलन नहीं किया जा सकता है। इसलिए दोस्तों, धारणा ना बनाएँ और हक़ीक़त के आधार पर जीवन जियें। याद रखियेगा, जो दोस्त हर पार्टी के बाद बिल बिल अदा करता है, ज़रूरी नहीं है वह बहुत अमीर हो; उसकी जेब हमेशा नोटों से ठसाठस भरी हो। यह सब तो वह बस दोस्तों के लिये बड़े दिल के कारण कर रहा हो। इसी तरह दोस्तों, जो लोग हमारी मदद करते हैं, ज़रूरी नहीं है कि वो हमारे एहसानों के बोझ तले दबे हों। वे हमारी मदद इसलिए करते हैं क्योंकि उनके दिल में दयालुता और करुणा है।


दोस्तों, आजकल जीवन कठिन इसीलिए हो गया है क्योंकि हमने लोगों को दिल से समझना छोड़ दिया और ऊपरी तौर पर उन्हें जज करना शुरू कर दिया है। इस स्थिति से हमें थोड़ी सी समझ और थोड़ी सी मानवता ही सही रास्ता दिखा सकती है। हमारे जीवन में ऐसे कई पल आएंगे जहां हम सही और गलत के बीच निर्णय नही ले पाएंगे, उस पल, अपने दिल से जुड़ें और फिर निर्णय लें क्योंकि हर आँखों देखी और कानों से सुनी बात सच्ची नहीं होती, पर दिल जो कहता है, वह हमेशा सही होता है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

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