Nirmal Bhatnagar
आंतरिक द्वन्द को खत्म कर पाएँ ख़ुशियाँ…
Apr 10, 2023
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

बात कई साल पुरानी है गाँव के मुख्य मार्ग पर एक सज्जन एकटक एक कुत्ते को देखे जा रहे थे जो हर आने-जाने वाले वाहन के पीछे भौंकते हुए दौड़ लगा रहा था। उन सज्जन के मित्र, उन्हें ऐसा करते देख बड़े आश्चर्यचकित थे। वे उनके पास गए और बोले, ‘मित्र, इस कुत्ते में ऐसा क्या विशेष है, जो तुम इसे एकटक घूरे जा रहे हो? यह तो बस आने-जाने वाली गाड़ियों के पीछे दौड़ लगा रहा है। इसमें गहन चिंतन या चिंता वाली कौन सी बात है?’ वे सज्जन बड़ी विनम्रता के साथ बोले, ‘मैं सोच रहा था किसी दिन इस कुत्ते ने अपनी अथाह मेहनत से किसी गाड़ी को पकड़ भी लिया, तो उसका करेगा क्या?’
दोस्तों, ज़रा गम्भीरता के साथ सोच कर देखिएगा, कहीं यही स्थिति तो हमारे आज के समाज की नहीं है? तेजी से बदलती इस दुनिया में खुद को अव्वल बनाए रखने की चाहत में हम सभी ऐसे कई लक्ष्यों का पीछा कर रहे हैं, जिनके विषय में हमें वाक़ई में पता नहीं है कि अगर हमने उस लक्ष्य को पा भी लिया तो उसका करेंगे क्या?
बिना उद्देश्य की यही भागा-दौड़ी हमारे अंदर अनावश्यक द्वन्द पैदा कर हमारे सुख-चैन, शांति और ख़ुशी को छीन रही है।
मेरी बात से सहमत ना हों दोस्तों, तो अपने आस-पास मौजूद लोगों को ही ध्यान से देख लीजिएगा। आप पाएँगे कि एक अच्छा और शांतिपूर्ण जीवन जीने के लिए आवश्यक धन, आजीविका का साधन व अन्य सुख-सुविधा होने के बाद भी वे दुखी और चिंतित रहते हुए अपना जीवन जी रहे है। यह स्थिति किसी वर्ग विशेष की नहीं है, अपितु हर क्षेत्र में कार्यरत लोगों की है। फिर भले ही वे उच्च शिक्षित, व्यवसायी, विद्वान, उच्च पदस्थ अधिकारी, धार्मिक गुरु, नेता आदि कुछ भी क्यों ना हों। सभी के सभी आपको चिंतित या खोए-खोए नज़र आएँगे। अगर आप इनसे चर्चा करके देखेंगे तो पाएँगे कि इन्हें अपने जीवन से किसी ना किसी तरह की शिकायत है। कोई आपको अपने संघर्ष के बारे में बताएगा, तो कोई किसी पीड़ा या संकट के विषय में बात करेगा, तो कोई अन्य आपको किसी और वजह से नाखुश नज़र आएगा।
ऐसा नहीं है दोस्तों कि यह सभी छोटे-बड़े लोग अपनी समस्याओं के लिए समाधान नहीं ढूँढ रहे हैं या इससे निजात पाने के लिए प्रयास नहीं कर रहे हैं। अधिकांश छोटे-बड़े, अमीर-गरीब आदि सभी, इन समस्याओं के कारण चिंतित हैं और इससे निजात पाने के लिए अपनी ओर से हर संभव प्रयास कर रहे हैं, लेकिन फिर भी उन्हें इसका कोई समाधान नहीं मिल रहा है। इसकी मुख्य वजह इन समस्याओं के समाधान को बाहरी दुनिया में खोजने का प्रयास करना है।
दूसरे शब्दों में कहा जाए, तो ज़्यादातर लोग इस दुनिया में अपनी बाहरी या भौतिक उपलब्धियों से आंतरिक द्वन्द का समाधान खोजने का प्रयास करते हैं, जो वास्तव में सम्भव नहीं है। मेरा यह मानना है कि चूँकि यह द्वन्द हमारी आंतरिक दुनिया याने हमारी अंतरात्मा के साथ है, इसलिए इसका समाधान हमें अपने भीतर ही मिलेगा। जी हाँ दोस्तों, आंतरिक सुख के लिए हमें अपने अंदर की यात्रा करना होगी। यह हमें पद, पैसे, प्रतिष्ठा, समृद्धि, विद्वता, बुद्धि या अन्य भौतिक चीजों के पाने से नहीं मिलेगा। यह सभी चीजें तो हममें अभिमान पैदा करती हैं और जीवन की वास्तविकताओं से दूर करती है।
जी हाँ दोस्तों, जब तक हम इस बात को नहीं स्वीकार लेंगे कि यह आंतरिक द्वन्द हमारी अंतरात्मा और भौतिक तृष्णाओं की वजह से है, तब तक हम इसका समाधान नहीं खोज पाएँगे। किसी वस्तु, सुंदरता या गुण की वजह से पैदा हुआ अहंकार या अभिमान मनुष्य को वास्तविक सुख और आध्यात्मिक शांति से दूर रखता है। जिसका मन और हृदय इस घमंड के घेरे में फंस गया है, वह कैसे संतुष्ट रह सकता है? यह तभी सम्भव है दोस्तों, जब अमीर दौलत का घमंड छोड़, गरीब को अपने समान मान ले। इसी तरह विद्वान साधारण इंसान को और उच्च अधिकारी, आम आदमी को समान मान ले, तो उनका अहंकार अपने आप दूर हो जाएगा और वे जीवन की इस महत्वपूर्ण समस्या का समाधान ढूंढ पाएंगे।
हक़ीक़त में तो दोस्तों, हृदय को मुक्त और व्यापक बनाने से ही जीवन का वास्तविक सुख संभव है। याने जब आप बाहरी दौड़ को छोड़ खुद के अंदर अपने जीवन की वजह तलाश कर उसके अनुसार जीना शुरू कर देंगे तभी इस आंतरिक द्वन्द से निजात पा पाएँगे।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com