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आज आपने अपने अंतर्मन को नहलाया या नहीं…

Writer: Nirmal BhatnagarNirmal Bhatnagar

Oct 7, 2024

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जिस तरह रोजमर्रा के कार्यों के दौरान हमारा तन गंदा होता है और उसे साफ़ रखने के लिए ही हम प्रतिदिन स्नान करते हैं। ठीक इसी तरह रोजमर्रा के विभिन्न नकारात्मक अनुभवों के कारण हमारा मन भी मैला होता है और जिस तरह आप अपने तन को नहला कर साफ़ करते हैं, ठीक उसी तरह आपको अपने अंतर्मन को भी रोज़ नहला कर साफ़ करना चाहिये। जी हाँ दोस्तों, मन की सफ़ाई भी उतनी ही आवश्यक है, जितनी हमारे तन की। लेकिन अक्सर उस पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता है। जबकि रोज़मर्रा के जीवन में हमारा मन, हमारे तन के मुक़ाबले कई गुना अधिक भ्रम, दुविधाजनक स्थितियों आदि को सहता है।


अपनी बात को मैं आपको एक उदाहरण से समझाने का प्रयास करता हूँ। आज के तेज़ी से बदलते युग में ख़ुद को बेहतर सिद्ध करने, अपने लक्ष्यों को पाने, हर हाल में जीतने के प्रयास में अक्सर हमें कभी आलोचना, निंदा, शिकायत, तर्क-कुतर्क-वितर्क आदि का जाने-अनजाने में प्रयोग करना पड़ता है या फिर इसका शिकार होना पड़ता है। ऐसे में हर पल अपने मन को स्थिर रखना, अपने नज़रिए को सकारात्मक बनाये रखना आसान नहीं होता है। इसलिए ही मैंने पूर्व में कहा था कि हमें शरीर की ही तरह हमारे मन को भी प्रतिदिन साफ़ रखने का प्रयास करना चाहिये। शायद अब आप मेरी उपरोक्त बात से सहमत होंगे और सोच रहे होंगे कि मन को साफ़ रखने के लिए कैसे नहलाया जाये? तो चलिए, कुछ साधारण सूत्रों से हम अपने मन को साफ़ रखना सीखते हैं-


पहला सूत्र : कैसा जीवन जीना चाहते हैं, तय कीजिए

आप कैसा जीवन जीना चाहते हैं, यह तय करने के लिए आपको यह भी पता होना चाहिये कि दुनिया छोड़ते वक़्त आप लोगों के मन में कैसी यादें छोड़ना चाहते हैं। इसके लिए आपको अपनी एक छवि बनानी होगी और फिर उस छवि के आधार पर आपको पर्सनल, इमोशनल, सोशल, प्रोफेशनल आदि क्षेत्रों के लक्ष्य तय करते हुए, एक्शन प्लान बनाना होगा और उसके अनुसार जीवन जीना होगा।


दूसरा सूत्र : जीवन जीने के नियम तय कीजिए

थोपी गई जीवन शैली या मान्यताओं के अंदर बंधा महसूस करते हुए जीवन जीने से बेहतर है कि आप अपनी अंतिम छवि और आज के लक्ष्यों के आधार पर अपने स्वयं के बनाये जीवन मूल्यों और नियमों पर आधारित जीवन जियें। स्वयं के जीवन मूल्यों और जीवन जीने के नियमों पर आधारित जीवन जीना, आपको अनावश्यक सामाजिक दबावों से बचाएगा और आप अपनी जीवन शैली के आधार पर संतुष्टि के साथ अपना जीवन जी पायेंगे।


तीसरा सूत्र : अच्छे लोगों की संगत कीजिए

निश्चित तौर पर आपने यह कहावत सुनी ही होगी कि ‘संगत से रंगत बदलती है।’ अर्थात् आप जिस माहौल में, जिन लोगों के साथ रहते हैं, वैसे ही बनते जाते हैं। इसलिए ऐसे लोगों, ऐसी किताबों, पॉडकास्ट, वीडियो आदि को खोजिए जो आपके जीवन जीने के नियमों से मेल खाते हैं। समान सोच वाले लोगों या साधनों का साथ आपको चुनौती भरे दौर में अपनी सोच, अपने नज़रिए के अनुरूप समाधान खोजने में या उसी के अनुरूप नई बातों को सीखने में मदद करेगा।


चौथा सूत्र : ख़ुद के लिए वक़्त निकालिए

याद रखियेगा, इस दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण इंसान आप हैं। इसलिए दुनियादारी के चक्कर में दुनिया के इस महत्वपूर्ण इंसान से मिलने का मौक़ा मत गँवा दीजियेगा। अन्यथा आप जीवन में कभी भी संतुष्टि और असली ख़ुशी को अनुभव नहीं कर पायेंगे।


पाँचवाँ सूत्र : रिश्तों को डील करना सीखें

जैसा मैंने अपने पूर्व के लेखों में बताया है कि हर रिश्ते का एक अंत होता है, इसलिए किसी भी रिश्ते को ख़ुद से बड़ा मत होने दीजिए। रिश्तों में, ईमानदार उद्देश्य आधारित रिश्तों में जुड़ना और उन्हें छोड़ना सीखिए ।


छठा सूत्र : प्रार्थना करें

प्रार्थना आपको अपने इष्ट से और ख़ुद की अंतरात्मा से जुड़ने का मौक़ा देती है और साथ ही इसके द्वारा आप अपनी सकारात्मक छवि को फिर देख पाते हैं। बार-बार दोहरा पाते हैं। जो अंततः आपको सुखी, संतुष्ट, स्थिर और शांत बनाता है।


सातवाँ सूत्र : रात के अंतिम विचार को सकारात्मक बनाएँ

जैसा कि हम जानते हैं कि चेतन मन के मुक़ाबले अवचेतन मन कई गुना अधिक शक्तिशाली होता है और यह हमारे सोने के बाद भी क्रियाशील रहता है और बिना तर्क के इस स्तर तक पहुँचे हर विचार को स्वीकारता है। इसलिए हमारे मन के इस स्तर याने अवचेतन मन तक पहुँचे विचार को पूरा करने के लिए हमारे रोम-रोम को तैयार करता है।


आशा करता हूँ दोस्तों उपरोक्त ७ सूत्रों के साथ आप अपने मन को साफ़ रख सुख, शांति और ख़ुशी से भरा जीवन जी पायेंगे।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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