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आत्मविश्वास : सफलता की कुंजी

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Apr 26
  • 3 min read

Apr 26, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

दोस्तों, अगर आप मुझसे कहें कि जीवन में सफल होने का कोई एक मूल मंत्र बताऊँ, तो मैं कहूँगा “ख़ुद पर विश्वास रखना।” जी हाँ दोस्तों, आप में पचास नहीं सौ कमियाँ क्यों ना हों लेकिन अगर आपको स्वयं पर याने ख़ुद पर विश्वास है तो आप तमाम कमियों के बाद भी जीवन में सफल हो जाएँगे क्योंकि “ख़ुद पर विश्वास होना”, आपके जीवन की वह नींव है, जिसपर सफलता की इमारत खड़ी होगी। दूसरे शब्दों में कहूँ तो स्वयं पर भरोसा करना ही किसी भी लक्ष्य को पाने का पहला कदम होता है।


वैसे मैं आपको कोई नई बात नहीं बता रहा हूँ, आप सब इस सूत्र को बहुत अच्छे से जानते हैं। लेकिन इसके बाद भी अक्सर कुछ लोग बाहरी परिस्थितियों, संसाधनों या दूसरों की सहायता पर निर्भर होकर आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। लेकिन जब यह सहारा छिन जाता है, तब वे असहाय महसूस करने लगते हैं। इसलिए ज़रूरी है कि हमारी उम्मीदें स्वयं से जुड़ी हों, किसी और से नहीं।


जिस तरह सूर्य अपनी रौशनी से चमकता है और उसे ही दूसरों को देता है। इसलिए वह हमेशा चमकता रह सकता है। उसी तरह हमें भी अपने भीतर की क्षमताओं पर विश्वास करना चाहिए। सूर्य को चमकने के लिए किसी और पर निर्भर नहीं रहना पड़ता। इसके विपरीत, चंद्रमा को सूर्य के प्रकाश पर निर्भर रहना पड़ता है, इसलिए उसकी चमक कभी बढ़ती है, कभी घटती है और कभी-कभी तो पूरी तरह अदृश्य हो जाती है। इसी तरह कमल के फूल को ही देख लीजिए, उसका सौंदर्य तब तक ही दिखाई देता है जब तक सूर्य का प्रकाश उस पर पड़ता है। जैसे ही प्रकाश छिपता है, वह अपनी आभा खो देता है। यह हमें सिखाता है कि दूसरों पर निर्भर रहने से हमारी सुंदरता या सफलता क्षणिक बन जाती है।


यह उदाहरण हमें सिखाता है कि यदि हम केवल दूसरों की मदद, तारीफ या मार्गदर्शन पर निर्भर रहेंगे, तो हमारी सफलता और आत्मविश्वास भी चंद्रमा की तरह अस्थिर रहेंगे। लेकिन जब हम अपने आत्मबल पर भरोसा करते हैं, तो हमारी चमक सूर्य की तरह स्थायी बन जाती है।


लेकिन दोस्तों, स्वयं पर विश्वास रखने का अर्थ यह नहीं है कि हम अहंकार में डूब जाएं। इसका अर्थ है, ईश्वर में आस्था रखते हुए, पूरे मन से परिश्रम करना। याद रखिएगा, ईश्वर पर विश्वास और आत्मविश्वास, जब साथ चलते हैं, तो इंसान को कोई भी परिस्थिति परास्त नहीं कर सकती।


दोस्तों, जब आप हार मानने के स्थान पर ख़ुद पर विश्वास रखते हुए स्वयं से उम्मीद रखते हैं, तो असफलता भी आपका मार्गदर्शन करती है। अर्थात् आप असफलता से सीखकर फिर से खड़े हो जाते हैं। हर कठिनाई में एक अवसर खोज लेते हैं। यह आत्मविश्वास ही हमें भीड़ से अलग बनाता है और किसी भी दौड़ में विजेता।


वैसे भी दोस्तों, जीवन एक लंबी यात्रा है, जिसमें अनेकों उतार-चढ़ाव आते हैं। अगर आपने इन उतार-चढ़ाव के दौर में ख़ुद को स्थिर बना लिया और अपने पैरों पर विश्वास करना सीख लिया, तो आप हर स्थिति को हँसते हुए पार कर जाएँगे। अंत में दोस्तों मैं इतना ही कहना चाहूँगा कि विश्वास की शक्ति वह ऊर्जा है जो हमें अंधकार में भी दिशा दिखाती है, जो हमें टूटने नहीं देती, जो हमें बार-बार उठकर चलना सिखाती है। इसलिए दोस्तों, अगर जीवन में प्रसन्नता और सफलता चाहते हैं तो दूसरों से उम्मीदें छोड़िए, प्रभु कृपा में आस्था रखिए और सबसे पहले, स्वयं पर विश्वास करना सीखिए। यही जीवन की सबसे बड़ी पूंजी है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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