June 07, 2024
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, अगर आप किसी भी कार्य के प्रति जुनून पैदा कर लें, तो आपको उसमें सफल होने से कोई रोक नहीं सकता है क्योंकि जुनून आपको असफलता, विपरीत परिस्थिति, चुनौती के दौर में भी अपनी संपूर्ण ऊर्जा के साथ लक्ष्य प्राप्ति की दिशा में कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। अपनी बात को मैं आपको स्पेन के एक दस वर्षीय लड़के की कहानी से समझाने का प्रयास करता हूँ, जो बचपन से ही फुटबॉल का एक बड़ा खिलाड़ी बनना चाहता था। इसलिए वह हमेशा अपने माता-पिता, दोस्तों और सभी मिलने वालों से कहा करता था, ‘देखना मैं एक दिन स्पेन का अव्वल फुटबॉल खिलाड़ी और गोलकीपर बनूँगा क्योंकि मुझे यह बेहद पसंद है।’
उस बच्चे के इस सपने को उसके माता-पिता भी बहुत पसंद किया करते थे। इसलिये उन्होंने अपने बच्चे का दाख़िला एक फुटबॉल अकादमी में करवा दिया। वहाँ भी इस बालक ने अपने कोच सहित सभी के समक्ष अपनी बात दोहराना शुरू कर दिया। बस अब वह इसे थोड़ा और स्पष्ट कहते हुए दोहराता था कि ‘देखना एक दिन मैं स्पेन का बहुत बड़ा फुटबॉलर बनूँगा और हमारे यहाँ के सबसे बेहतरीन क्लब ‘रियल मैड्रिड’ के लिए गोल-कीपिंग करूँगा।’
कोच उस बच्चे की आँखों में हमेशा अपने खेल और लक्ष्य के लिए जुनून देखा करते थे। इसलिए वे हमेशा उसपर खूब मेहनत किया करते थे। देखते ही देखते कब दस वर्ष गुजर गये पता ही नहीं चला और यह दस साल का लड़का बीस साल का हो गया और एक बेहतरीन फ़ुटबॉलर बन गया। उसके खेल को देख ‘रियल मैड्रिड क्लब’ द्वारा उसका चयन अपने क्लब में कर लिया। वह युवा उस क्लब से अपना पहला मैच खेलने ही वाला था कि एक दिन शाम को दोस्तों के साथ कार में घूमते हुए उसका एक्सीडेंट हो गया। जिसके कारण उसके शरीर का निचला हिस्सा लकवे याने पैरालिसिस का शिकार हो गया। डॉक्टर ने उस युवा के माता-पिता को बुलाया और बताया कि लकवे के कारण अब उसका फुटबॉल खेलना तो दूर, सामान्य चलना फिरना भी असंभव होगा।
डॉक्टर की बात को सुनने के पश्चात माता-पिता की आँखों से आँसू बह निकले जो रुकने का नाम ही नहीं ले रहे थे। वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि उनके बच्चे का इतना बड़ा सपना एक ही क्षण में कैसे टूट गया? एक दिन उन्होंने बड़ी हिम्मत करके अपने बेटे को इस विषय में बताने का निर्णय लिया और उसके पास जाकर बोले, ‘बेटा, अब आपकी आने वाली ज़िंदगी पहले जैसी नहीं रहेगी। आपको बहुत हिम्मत से काम लेना होगा। डॉक्टर का कहना है कि अब तुम्हारे लिए चलना और फुटबॉल खेलना संभव नहीं होगा।’
माता पिता की बात सुनते ही उस युवा की आँखों के आगे अंधेरा छा गया और वह मायूस हो सोचने लगा कि उसके जीवन भर की मेहनत और उसका सबसे प्रिय सपना एक ही झटके में बर्बाद हो गया। १८ माह तक यह युवा इलाज के लिए अस्पताल में रहा। इस दौरान उसके मन में अनगिनत नकारात्मक विचार आए, परंतु उसने हार नहीं मानी और एक दिन निश्चय कर लिया कि वह उन परिस्थितियों से उबर कर रहेगा और सफल बनेगा।
इस विचार के बाद उसने अपने लेखन के शौक़ को आगे बढ़ाना शुरू किया और अपने ख़ाली समय का सदुपयोग करते हुए कविताएँ और गाने लिखने और उसकी धुन बनाकर गुनगुनाने लगा। इस प्रयोग ने उसे अपना ध्यान फुटबॉल से हटाकर दूसरे क्षेत्र में लगाने का अवसर दिया। अब वह युवा संगीत की दुनिया में कुछ अनोखा और अनूठा करना चाहता था। सोच कर देखियेगा दोस्तों जो युवा इतने लंबे समय से हॉस्पिटल में पड़ा था वो अब नयी सफलता के लिए एक नया सपना देख रहा था।
जल्द ही इस युवा ने अपने नए सपने को हक़ीक़त में बदल कर दिखाया। लगभग २५ वर्ष की उम्र में उसने अपना पहला गाना रिलीज़ किया जो तुरंत ही सबका पसंदीदा और लोकप्रिय गाना बन गया, जिसके बोल थे, 'लाइफ गोज़ ऑन द सेम' ने जल्द ही स्पेन में तहलका मचा दिया और यह युवा जल्द ही स्पेन का बहुत चहेता और बहुत ही मशहूर गायक बन गया। जिसका नाम 'जूलियो इग्लेसियस' था,जो तुरंत सबका पसंदीदा बन गया और सबसे लोकप्रिय गाना बन गया। दोस्तों आपको जानकर आश्चर्य होगा कि इस कलाकार के गानों के एल्बम अलग-अलग भारतीय भाषाओं में 30 करोड़ से ज़्यादा ज़्यादा बार बिक चुके हैं और इनका जीवन हमारे जैसे लोगों के लिए वाकई प्रेरणा-स्रोत है। यह इस बात का प्रमाण है कि असफलताओं के पीछे भी नयी सफलताओं के रास्ते छुपे होते हैं। अगर एक सपना टूटता है, तो हम एक नया सपना बुनकर उसे पूरा करने के लिए जुट सकते हैं। इसीलिए मैं कहता हूँ कि जुनून आपको हर हाल में सफल होने के लिए प्रेरित करता है। शायद इसीलिए कहा है, ‘व्यक्तिगत रूपान्तरण की किसी भी प्रक्रिया में आत्म-स्वीकृति एक अत्यंत महत्त्वपूर्ण मनोभाव होता है।’
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर
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