आपका चरित्र ही आपकी असली पहचान है…
- Nirmal Bhatnagar

- Jun 15
- 3 min read
June 15, 2025
फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, भौतिक लक्ष्यों या समृद्धि को पाने की चाहत में आज का इंसान इस कदर भटक गया है कि उसे उसकी असली पहचान भी याद नहीं है। इसलिए ही वह पद, पैसे और पॉवर के खेल में उलझकर रह जाता है। जी हाँ दोस्तों, कहीं ना कहीं आज ज्यादातर लोग पद, पैसे और पॉवर की होड़ में यह भूल गए हैं कि उनके पास पहले से ही इन सबसे ज्यादा शक्तिशाली बल है। जिसकी बराबरी उपरोक्त तीनों बातें मिलकर भी नहीं कर सकती है।
चलिए पहेलियों में बात करने के स्थान पर इसी बात को प्रसिद्ध विचारक हावेज़ के कथन से समझने का प्रयास करते है। हावेज हमेशा कहते थे, “चरित्रबल एक शक्ति है, एक प्रतिभा है। वह मित्र और सहायक उत्पन्न कर सकती है और सुख-संपत्ति का सच्चा मार्ग खोल सकती है।” अर्थात् किसी व्यक्ति का सबसे बड़ा गुण उसका चरित्र होता है, और यदि उसमें ईमानदारी, सच्चाई और परोपकार की भावना भरी हो, तो वह न केवल अपने लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए प्रेरणास्रोत बन जाता है। याद रखियेगा दोस्तों, सच्चा महान वही है जिसका आचरण दूसरों को प्रकाश दिखाए, और जिसकी ईमानदारी लोगों के जीवन में विश्वास जगा सके।
सुनने में यह बात बड़ी दार्शनिक सी लगती है। लेकिन हक़ीक़त में यह एक ऐसी सच्चाई है जो इंसान और समाज तो छोड़िये, देश का भविष्य तय कर सकती है। एक बार फ्रांस के राजा चौदहवें लुई ने मंत्री कालवर्ट से पूछा, “हमारा देश इतना बड़ा है, हमारे पास धन और जन की कोई कमी नहीं है, फिर भी हम छोटे से देश हॉलैंड को क्यों नहीं जीत सके?” तब मंत्री ने बड़े गंभीर और मार्मिक स्वर में कहा, “राजन! किसी देश की महानता उसकी लम्बाई और चौड़ाई पर नहीं, बल्कि वहाँ के निवासियों के चरित्र पर निर्भर करती है।” यह उत्तर न केवल लुई के लिए बल्कि हम सभी के लिए एक गहन संदेश है क्योंकि इससे यह स्पष्ट हो जाता है कि देश, समाज और व्यक्ति की असली ताकत उसके चरित्र में होती है। जो लोग पैसों के लिए अपनी ईमानदारी नहीं बेचते, जो विपरीत परिस्थितियों में भी सत्य का साथ नहीं छोड़ते, वही वास्तव में महान कहलाते हैं।
इसी बात को समझाते हुए वालटेयर ने कहा था, “पैसे से कोई बड़ा नहीं बनता, महापुरुष वह है जिसका आचरण श्रेष्ठ है।” ये शब्द आज भी उतने ही प्रासंगिक हैं जितने तब थे। समाज को ऐसे लोगों की आवश्यकता है जो सच्चाई और न्याय के लिए खड़े हो सकें, जो स्वार्थ से ऊपर उठकर धर्म और कर्तव्य के लिए जीवन समर्पित कर सकें। शायद इसीलिए कहा जाता है कि जिसने अपने मस्तक पर कलंक का टीका नहीं लगाया और जिसकी गर्दन किसी के सामने शर्म से नहीं झुकती, वही सच्चा बहादुर है। अर्थात् आपको शारीरिक बल नहीं, बल्कि आत्मबल महान बनाता है। आत्मबल याने वह बल जो आपको किसी के भी सामने झूठ न बोलने दे, और अन्याय के सामने कभी झुकने न दे।
जी हाँ दोस्तों, यही आज के युग की आवश्यकता है। इसलिए हमें अच्छी शिक्षा, आधुनिक जीवन और सफलता के साथ-साथ चरित्र निर्माण पर भी बराबर ध्यान देना होगा क्योंकि विद्या, धन और ताकत हमें ऊँचाई दे सकते हैं, लेकिन चरित्र हमें स्थायित्व, सम्मान और आत्मगौरव प्रदान करता है। इसीलिए चरित्र को एक ऐसी धरोहर माना गया है जो समय के साथ घटती नहीं, बल्कि और अधिक मूल्यवान बनती जाती है।
-निर्मल भटनागर
एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर




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