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आप जो सोचते हैं, वही बनते हैं…

  • Writer: Nirmal Bhatnagar
    Nirmal Bhatnagar
  • Jul 25
  • 3 min read

July 25, 2025

फिर भी ज़िंदगी हसीन है...

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यकीन मानियेगा दोस्तों, विचारों में गजब की शक्ति होती है। यह ना सिर्फ़ हमारे निर्णय लेने और कार्य करने के तरीक़े को प्रभावित करता है, बल्कि यह हमारे स्वस्थ शरीर और सफल जीवन का रहस्य भी है। जी हाँ दोस्तों, विचार वाकई इतने शक्तिशाली होते हैं। हमारे मन में आया हर एक विचार, फिर चाहे वो सकारात्मक हो या नकारात्मक, हमारे मन और शरीर पर गहरा असर डालता है। यही विचार हमें स्वस्थ भी बना सकते हैं और बीमार भी।


आज की भागमभाग भरी ज़िंदगी में हमें अक्सर विचारों पर ध्यान देने का समय ही नहीं मिलता है या यह कहना बेहतर होगा कि हम एक ही समय में ज़्यादा चीजों में उलझे रहने के कारण अपने विचारों पर ध्यान ही नहीं दे पाते हैं। इसी वजह से हमारे अधिकतर विचार संसार की चिंताओं, भूतकाल की उलझनों और भविष्य की आशंकाओं से भरे होते हैं। ये नकारात्मक और व्यर्थ विचार धीरे-धीरे हमारे शरीर में तनाव, बेचैनी और रोग को जन्म देने लगते हैं। वैज्ञानिक शोध भी यह प्रमाणित करते हैं कि मानसिक तनाव और चिंता हमारे शारीरिक स्वास्थ्य को प्रभावित करते हैं। इसीलिए उच्च रक्तचाप, हृदय रोग, मधुमेह जैसे रोगों की जड़ नकारात्मक विचारों की वजह से उपजे मानसिक असंतुलन को माना गया है।


दोस्तों, गंभीरता पूर्वक सोच कर देखियेगा, अगर हमारे नकारात्मक विचार हमें कमजोर कर सकते है, तो क्या सकारात्मक और आत्मिक विचार हमें मजबूत और स्वस्थ नहीं बना सकते ? बिलकुल बना सकते हैं। जब हम आत्मा और परमात्मा से जुड़े विचारों पर ध्यान केंद्रित करते हैं, तो हमारा मन शांत होता है। हमें जीवन की बड़ी तस्वीर दिखाई देती है। दोस्तों, परमात्मा के प्रति विश्वास, आत्मा की यात्रा का चिंतन और अपने अस्तित्व की समझ हमें आंतरिक बल देती है। यह मानसिक बल हमारे शरीर को भी स्वस्थ रखने में सहायक होता है।


याद रखियेगा दोस्तों, हमारा शरीर, हमारी सोच का ही प्रतिबिंब है। जैसे ही आप अपने विचारों को नकारात्मकता से सकारात्मकता की ओर मोड़ कर, अपने फ़ोकस को दुनियादारी के स्थान पर अपनी आत्मा पर केंद्रित करते हैं, वैसे ही जीवन में आश्चर्यजनक परिवर्तन आने लगते हैं। दोस्तों जीवन को अगर अच्छे से जागरूकता के साथ जीना चाहते हैं तो याद रखियेगा, जितना आवश्यक संसार और शरीर की चिंताओं में उलझना है, उससे कहीं अधिक जरूरी है आत्मिक चिंतन करना क्योंकि जब आप भीतर की यात्रा शुरू करते हैं याने जब आप आत्म ज्ञान, ध्यान, और परमात्मा से जुड़ाव की ओर बढ़ते हैं, तब आपकी ऊर्जा बदलने लगती है। यह ऊर्जा आपकी कार्यक्षमता, भावनात्मक स्थिरता और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाती है।


संभव है आप में से कुछ लोगों के मन में अब यह विचार आ रहा हो कि "जीवन की आपाधापी में यह सब करना संभव होगा क्या?” तो दोस्तों, याद रखियेगा हम सबके जीवन में अपने संघर्ष होते हैं, और इन संघर्षों को ख़त्म करने या कम करने के लिए ही सोच में बदलाव लाना आवश्यक है। लेकिन यह सुनने के बाद भी अगर यह सब करना आपको मुश्किल लग रहा है तो मेरा एक छोटा सा सुझाव मानिए और अपनी सोच में एक छोटा सा परिवर्तन लाइए और ख़ुद को बार-बार सिर्फ़ एक बात याद दिलाइए कि “मेरा सबसे अच्छा समय अभी आना बाकी है।” यकीन मानियेगा, यही आशा, यही विश्वास हम सबको आगे बढ़ने की प्रेरणा देने लगेगा।


अंत में दोस्तों, मैं सिर्फ़ इतना ही कहूँगा, हर पल अपने विचारों की निगरानी करें। व्यर्थ और नकारात्मक विचारों से दूरी बनाएं और परमात्मा, आत्मा, और आत्म-प्रगति की ओर अपने मन को मोड़ें। यह परिवर्तन न केवल आपके मन को बल्कि आपके पूरे जीवन को स्वस्थ, सुखद और सफल बना देगा। याद रखिएगा दोस्तों, आपके विचार आपकी वास्तविकता बनाते हैं। आप जो सोचते हैं, वही बनते हैं।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

 
 
 

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