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  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

इंसानी सोच और वेब्लेन प्रभाव…

Aug 17, 2022

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

हाल ही में अपनी मुंबई यात्रा के दौरान मॉल में कुछ आवश्यक ख़रीददारी करते समय मेरा ध्यान एक दम्पत्ति की ओर गया जो अपने बच्चे को कुछ समझाने का प्रयास कर रहे थे। लेकिन बच्चे के हाव-भाव से स्पष्ट था कि वह उनकी बात से असहमत है और अपनी ज़िद्द पर अड़ा हुआ है। जब मैं उनके समीप पहुँचा तो मुझे एहसास हुआ कि बच्चा एक विशेष उत्पाद ख़रीदने पर अड़ा हुआ था जो अपनी उपयोगिता के मुक़ाबले बहुत अधिक महँगा था।


उपयोगिता या गुणवत्ता के आधार पर सामान क्रय करने की बजाय ब्रांड नेम या क़ीमत से उसे अच्छा मान ख़रीददारी करने की यह मानवीय प्रवृति वेब्लेन प्रभाव कहलाती है, जिसका फ़ायदा उठाकर विभिन्न कम्पनियाँ कम समय में बड़ा मुनाफ़ा बनाती हैं। अपनी बात को समझाने के लिए मैं आपको रोम के प्रसिद्द शासक जूलियस सीज़र से जुड़ी एक घटना सुनाता हूँ।


घटना तब की है जब जूलियस सीज़र की उम्र मात्र 23 वर्ष थी और तेज़ दिमाग़ और आत्मविश्वासी होने के बाद भी उनकी पहचान मात्र एक छोटे-मोटे राजनेता के रूप में थी। एक बार समुद्री यात्रा के दौरान उनके जहाज को समुद्री लुटेरों ने रोककर, फिरौती के रूप में 20 किक्कार अर्थात् 620 किलो चाँदी माँगी, जिसका मूल्य आजकल लगभग 6,00,000 डॉलर है।


फिरौती की रक़म सुनते ही जूलियस सीज़र चिढ़ गए और बोले, ‘यह हास्यास्पद है, मुझे छोड़ने के लिए फिरौती की रक़म इतनी कम कैसे हो सकती है?’ इतना ही नहीं उन्होंने लुटेरों को समझाते हुए इसे बढ़ाकर कम से कम 50 किक्कार अर्थात् 1550 किलोग्राम चाँदी करने के लिए कहा। जिसकी क़ीमत आजकल लगभग 1.5 मिलियन डॉलर है। यह रक़म लुटेरों की परिकल्पना से भी ज़्यादा थी। वे समझ नहीं पा रहे थे कि इतनी चाँदी का क्या करे या कैसे सम्भाले? प्रतिक्रिया देने में असक्षम लुटेरों ने सोचा ज़्यादा ही तो मिल रहा है क्या हर्ज है? वैसे यह घटना थी भी चौकानें वाली क्यूँकि सामान्यतः लोग फिरौती की रक़म कम करने के लिए कहते हैं। लेकिन, ऐसा पहली बार था कि कोई रक़म को उनकी सोच से भी कई गुना ज़्यादा बढ़ाने के लिए कह रहा था।


लुटेरों की उलझन को नज़रंदाज़ करते हुए सीज़र ने चाँदी जुटाने के लिए अपने आदमियों को रोम भेजने के लिए कहा। लुटेरों से इजाज़त पा सीज़र के साथियों ने रोम जाकर लोगों से फिरौती के लिए रक़म इकट्ठा करने के विषय में बात करना शुरू करी।जैसे-जैसे फिरौती की रक़म के बारे में लोगों को पता पड़ रहा था, सीज़र की प्रसिद्धि रोम में बढ़ती जा रही थी क्यूँकि किसी के भी लिए पहले इतनी फिरौती नहीं दी गई थी। दरअसल, सीज़र ने लोगों के बीच चर्चा का विषय बन अपनी अनुपस्थिति को भी अपने पक्ष में भुनाया और अपनी प्रसिद्धि को कई गुना बढ़ाकर राजनैतिक क्षेत्र में स्थापित कर लिया। यानी लोगों सोच रहे थे कि, ‘सीज़र ज़रूर कोई अति महत्वपूर्ण व्यक्ति है, तभी तो इतनी रक़म देकर उन्हें छुड़ाने का प्रयास किया जा रहा है।’


अगर पूरी घटना पर पुनः विचार किया जाए तो सीज़र ने प्रभावी रूप से खुद को वेब्लेन ब्रांड बना लिया था। उसने पूरे रोम में स्वयं को सबसे मूल्यवान मानते हुए, महत्व दिया था। लेकिन पूरे रोम में कोई नहीं जानता था कि सीज़र ने ऐसा किया है, यह एक स्वतंत्र मूल्यांकन था। लेकिन इस स्वतंत्र मूल्यांकन को प्रभावी तरीके से लोगों के बीच में पहुँचाने के तरीके ने इसे विश्वसनीय और प्रामाणिक बना दिया था। इन्हीं घटनाओं ने लुटेरों को इतना भ्रमित कर दिया था कि उन्होंने सीज़र को बिना फिरौती के ही छोड़ दिया क्यूँकि वे समझ ही नहीं पा रहे थे कि इतनी चाँदी को कैसे ले जाये?


इसके विपरीत मान ले कि लुटेरे अपने साथ चाँदी ले भी जाते तो इतनी चाँदी रखना और सीज़र से बचना कठिन था क्यूँकि सीज़र तब तक रोम का प्रसिद्ध और महत्वपूर्ण व्यक्ति बन गया था। उसके लिए विशाल सेना जुटाना मुश्किल नहीं था। वह उन समुद्री लुटेरों को मार कर खत्म करने और पूरी चाँदी वापस लेने में भी सक्षम था। ख़ैर वेब्लेन प्रभाव का प्रभावी उपयोग कर सीज़र बहुत अमीर और प्रसिद्ध बना। समय के साथ आत्मविश्वास और बुद्धि के संयोजन से वह पूरे रोम का शासक बना और रोमन साम्राज्य के स्वर्ण युग की अध्यक्षता की। साथ ही उसने रोम का स्पेन से जर्मनी तक, ब्रिटेन से मध्य पूर्व तक विस्तार करा। इसका सबसे प्रमुख कारण सीज़र को यह पता होना था कि सफलता हकीकत में दिमाग से शुरू होती है।

चलिए अब संक्षेप में इसे दुबारा समझ लेते हैं। दोस्तों, एक अविश्वसनीय फिरौती की माँग ने सीज़र को रोम के राजनैतिक क्षेत्र में प्रसिद्ध कर, स्थापित कर दिया। अगर आप स्थिति को तार्किक आधार पर देखेंगे तो आप पाएँगे कि सीज़र ने लुटेरों को मनोवैज्ञानिक रूप से भ्रम में डाला था। इसी स्थिति को वेब्लेन प्रभाव कहा जाता है। हालाँकि इस दुनिया में इसका प्रयोग 2000 वर्षों से भी अधिक समय से हो रहा है।


वेब्लेन प्रभाव में चीजों को इस तरह प्रस्तुत किया जाता है कि ग्राहक महँगी वस्तु को अन्य सभी उपलब्ध उत्पादों से बेहतर क्वालिटी का मानता है और इसीलिए उसकी अधिक क़ीमत देने के लिए तैयार रहता है। इसीलिए अगर आप बाज़ार पर नज़र डालेंगे तो रोलेक्स, कार्टियर, बेंटले, रोल्स-रॉयस, एस्टन मार्टिन, लुई वीटन, क्रिश्चियन लॉबाउटिन, हैरोड्स, क्रिस्टल शैम्पेन, आदि जैसी कम्पनियाँ इसका प्रभावी उपयोग कर शीर्ष पर हैं। ये सभी उत्पाद अपने सस्ते विकल्पों की तुलना में कार्यात्मक रूप से बेहतर नहीं हो सकते हैं, लेकिन केवल उनकी उच्च कीमतें उन्हें बेहतर, अधिक मूल्यवान और अधिक वांछनीय बनाती हैं।


अगर दोस्तों, हम अपनी सबसे महँगी सम्पत्ति मन पर इसका प्रयोग करें तो निश्चित तौर पर आप दुनिया जीत सकते हैं, एक बार सोचकर देखिएगा।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com


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