top of page
  • Writer's pictureNirmal Bhatnagar

इंसान की असली पहचान उसका व्यक्तित्व है…

Sep 22, 2023

फिर भी ज़िंदगी हसीन है…

दोस्तों, जीवन कई बार आपको ऐसी स्थिति में लाकर खड़ा करता है जहाँ अक्सर यह समझ ही नहीं आता है कि सही क्या है और ग़लत क्या। अपनी बात को समझाने के लिए मैं आपको एक क़िस्सा सुनाता हूँ। बात कुछ वर्ष पहले की है, राजस्थान के एक छोटे से शहर में मुझे एक संस्था के लिए कंसलटेंट के रूप में कार्य करने का मौक़ा मिला। संस्था प्रमुख ने मुझसे निवेदन किया कि सेंटर के उदघाट्न कार्यक्रम में, मैं किसी सेलिब्रिटी को आमंत्रित करूँ। मैंने अपने एक परिचित जो कि एक रियलिटी शो के विजेता थे को वहाँ विशिष्ट अतिथि के रूप में बुलाने का निर्णय लिया।


मैंने जब इस इवेंट को फाइनल करने के लिये अपने परिचित याने उस ‘सेलिब्रिटी’ से संपर्क किया और उन्हें इवेंट के बारे में बताया तो वे बेहद खुश हुए और अपनी चुनौतीपूर्ण स्थिति के बारे में बताया। मैंने तुरंत उन्हें बुक किया और उनसे आगे की औपचारिकताओं के विषय में पूछा तो मुझे पता चला कि उनके लिए अपनी प्रोफेशनल फ़ीस से ज़्यादा ज़रूरी एक अच्छी लक्ज़री कार, बिज़नेस क्लास फ्लाइट टिकट और दिखावे के लिए बाउंसर का होना ज़रूरी था। मैं उनकी प्राथमिकताएँ जान हैरान था। मैंने उन्हें जब उनकी चुनौतियों को याद दिलाते हुए इस विषय में पूछा तो वे बोले, ‘सर, समस्यायें मेरी अपनी व्यक्तिगत हैं। हमारे प्रोफ़ेशन में हमारे लिये अपने सेलिब्रिटी स्टेटस को मेंटेन करना आवश्यक रहता है।’


दोस्तों, मुझे नहीं पता उनकी बात में कितनी सच्चाई और कितनी धारणायें थी क्योंकि मेरा ताल्लुक़ उस इंडस्ट्री से ज़्यादा नहीं था। लेकिन मैं इतना अवश्य जानता हूँ कि ख़ुद का घर जलाकर हवन नहीं किया जाता है। कोई पद, कोई सम्मान, कोई पुरस्कार आपको महान नहीं बनाता है। उसके लिए तो आपको अपने कार्य से लोगों के दिल में जगह बनानी पढ़ती है। लेकिन उपरोक्त उदाहरण में मेरे परिचित के लिए अपनी ख़ुद की बनाई इमेज को बचाना इतना अधिक ज़रूरी हो गया था कि वे उसके लिये अपनी महंत, अपनी कमाई, अपना भविष्य आदि तक दांव पर लगाने के लिए राज़ी थे। हो सकता है साथियों इस विषय में मेरी सोच पूरी तरह ग़लत हो। लेकिन मेरा मानना है कि हमें सही और ग़लत के बीच की बारीक लाइन को अपनी प्राथमिकताओं के आधार पर एकदम स्पष्ट बना लेना चाहिये। अन्यथा आप अनावश्यक की मुश्किलों में फँसते जाते हैं।


अगर उन सज्जन के स्थान पर मैं होता तो मेरा कार्य करने का तरीक़ा थोड़ा अलग होता। मैं सर्वप्रथम ऊपरी दिखावे वाली चीजों को कम करके अपना पारिश्रमिक बढ़ाता और उसके बाद अपने कार्य और व्यवहार से लोगों के दिल में अमिट छाप छोड़ने का प्रयास करता क्योंकि मेरा मानना है कि आप किसी विशेष पद पर बैठ पायें या नहीं, आपको कोई विशिष्ट सम्मान या पुरस्कार मिले या नहीं से ज्यादा ज़रूरी किसी के दिल में जगह बनाना है। याद रखियेगा साथियों किसी के दिल, हृदय और मन में अपने लिये स्थान बनाना ही किसी भी व्यक्ति के जीवन की वास्तविक उपलब्धि होती है।


जी हाँ दोस्तों, हमारे अपने व्यक्तित्व की अपनी अलग भाषा होती है जो बिना कहे, बिना लिखे, बिना बताये संपर्क में आने वाले लोगों के अंतर्मन को छू जाती है। जिस प्रकार कस्तूरी की पहचान उसकी सुगंध से होती है ठीक उसी तरह किसी भी इंसान की असली पहचान उसके व्यक्तित्व से होती है। वैसे आगे बढ़ने से पहले मैं आपको एक बात और बता दूँ कि जिस तरह कस्तूरी की सुगंध अपने आप ही आस-पास मौजूद लोगों तक पहुँच जाती है ठीक वैसे ही व्यक्तित्व की भी अपनी एक पहचान होती है जो बिना दिखाये अपने आप ही लोगों तक पहुँच जाती है और जिसे सिर्फ़ महसूस किया जा सकता है।


इस आधार पर कहा जाये तो व्यक्तित्व का प्रभाव स्वभाव से जाना जा सकता है और स्वभाव से ही किसी व्यक्ति का प्रभाव झलकता है। इसीलिए दोस्तों मेरा मानना है कि जीवन में कोई पद, सम्मान या पुरस्कार पा सको या ना पा सको इससे कोई ख़ास फ़र्क़ नहीं पड़ता। लोग तो आपको सम्मान तब ही देंगे, जब आप अपने स्वभाव से उनके दिल पर प्रभाव बना सकें याने उनके दिल को जीत सकें। यही असली विराट और उदार व्यक्तित्व की निशानी है।


-निर्मल भटनागर

एजुकेशनल कंसलटेंट एवं मोटिवेशनल स्पीकर

nirmalbhatnagar@dreamsachievers.com

5 views0 comments
bottom of page